Home देश मुसलमान शुक्रवार की हिंसा में शामिल लोगों को इस्लाम से बाहर करें: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

मुसलमान शुक्रवार की हिंसा में शामिल लोगों को इस्लाम से बाहर करें: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

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मुसलमान शुक्रवार की हिंसा में शामिल लोगों को इस्लाम से बाहर करें: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

 

आरएसएस से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने रविवार को शुक्रवार की हिंसा की निंदा करते हुए मांग की है कि इसमें शामिल मुस्लिमों को इस्लाम से बाहर कर दिया जाए. समाचार एजेंसी पीटीआई लिखती है कि एमआरएम का मानना है कि इन प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ इस्लाम धर्म को बदनाम किया है बल्कि मुसलमानों को शर्मसार भी किया है.

मंच का कहना है कि इस्लाम धर्म को एक शांतिपूर्ण धर्म के रूप में जाना जाता है, लेकिन शुक्रवार को देश के विभिन्न हिस्सों में पथराव और दंगे की घटनाएं इस ओर इशारा देती हैं कि इसको “शैतान” सिफत लोगों ने अपने चंगुल में जकड़ लिया है. मंच की मांग है कि जिन लोगों ने शुक्रवार को पथराव, आगज़नी की हिंसा और नफरत भरे भाषण दिए, उन्हें इस्लाम से बाहर कर दिया जाए. मंच ने सभी उलेमा और मौलवियों से इस मांग पर विचार करने की भी अपील की है.

संगठन ने आरोप लगाया कि शुक्रवार की हिंसा “भारत में अशांति पैदा करने और पैगंबर मोहम्मद (अल्ला) के खिलाफ बीजेपी के दो पदाधिकारियों द्वारा की गई टिप्पणियों के विरोध में विदेशों में अपनी छवि खराब करने की साजिश का हिस्सा थी.

मंच ने कहा कि यह देखते हुए ही बीजेपी ने पहले ही अपने पदाधिकारियों के खिलाफ उनकी टिप्पणियों के लिए कार्रवाई की है, संगठन ने मुस्लिम समुदाय से “शांत रहने और किसी के बहकावे में न आने” की अपील की. बयान में ये भी कहा गया है कि “एमआरएम मुस्लिम समाज से यह अनुरोध करता है कि हिंसा और नफरत किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. हिंसा ही विनाश की ओर ले जाती है. पैगंबर मोहम्मद साहब ने भी धैर्य और प्रेम का संदेश दिया है.

अपने संस्थापक और आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में एक बयान में एमआरएम ने कहा, ” ये हिंसक घटनाऐं भारत में अशांति पैदा करने और विदेशों में देश की छवि को खराब करने के लिए एक साजिश के तौर पर अंजाम दी गई हैं.” बयान में मुसलमानों से शांति बनाए रखने और ऐसा नहीं करने का भी आग्रह किया गया है. मंच का मानना है कि ऐसी हिंसक घटनाएं कुछ लोगों के जरिये गुमराह किए जाने पर हुई हैं.

खबरों के अनुसार मुस्लिम मंच ने मांग की है कि सभी राज्य सरकारें ऐसे दंगाइयों के खिलाफ कानून-व्यवस्था के साथ-साथ शांति बनाए रखने के लिए त्वरित कार्रवाई करें, और साथ ही टीएमसी, आप, समाजवादी पार्टी, शिवसेना, कांग्रेस सहित गैर-बीजेपी राजनीतिक दलों से उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहें ताकि ऐसे नेता और लोग “जो हिंदू देवताओं और धर्म का अपमान करते हैं, उनके खिलाफ सख्त और कड़ी कर्रवाई की जाए.”

बता दें कि इन हिंसक घटनाओं के मद्देनजर, शनिवार को देश भर से एमआरएम के सभी प्रमुख और बड़े पदाधिकारियों की एक आपातकालीन ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई थी. राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफज़ाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में शुक्रवार को देश के अलग अलग हिस्सों में हुए पथराव, आगजनी और दंगे की घटनाओं की भी कड़ी निंदा की गई.

हालांकि मुस्लिम समाज में एमआरएम को हमेशा शक की निगाह से देखा जाता रहा है, ऐसे में मंच की ये अपील खुद को मुस्लिम समाज में स्वीकृति दिलवाने के बजाए दूरी का सबब बन सकती है. दरअसल नबी की इहानत से दुनिया का कोई मुस्लिम समझौता नहीं कर सकता है, यही वजह है कि दुनिया के किसी भी हिस्से में एहानत की कोशिश हुई है. मुसलमानो ने सड़कों पर उतर कर न सिर्फ विरोध किया है बल्कि आरोपियों को जान से हाथ तक धोना पड़ा है. ऐसे में मंच की प्रदर्शनकारियों को इस्लाम से बाहर किए जाने की मांग मुसलमानों के गुस्से को कम करने के बजाए और भी बढ़ा सकती है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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