अखिलेश अखिल
बीजेपी की मोदी सरकार से पता चला कि देश में अभी अमृतकाल चल रहा है. देश का यह अमृतकाल हालांकि 2015 से ही जारी है. मोदी जी इसकी कई बार व्याख्या कर चुके हैं. अगले साल आजादी की 75 वर्षगाँठ है और उसके दो साल बाद आरएसएस यानी संघ की स्थापना के सौ साल पुरे होने हैं. सरकार और देश का यह अमृतकाल कब तक चलेगा कोई नहीं जानता, लेकिन इस अमृतकाल के दौरान एक बात तो समझ में आयी है कि बीजेपी की राजनीति करने वाले चाहे साधु प्रवृति के लोग हों या फिर अपराधी, दागी सबने अमृत का पान कर लिया है. पौराणिक कथाओं में समुद्र मंथन से अमृत निकलने की चर्चा है जिसमे यह भी ख़ास है कि धार्मिक काम काज करने वाले देवताओं को ही अमृत पान की सुविधा मिली, दानवो, राक्षसों को अमृत सेवन से अलग रखा गया. लेकिन उसी अमृत सेवन करने वाले अधिकतर देवताओं की कहानी यह भी कहती है कि वो पतित थे, निर्लज थे, व्यविचारी थे फिर भी देवता होने की वजह से अमृत के हकदार थे. उधर कई दानव, राक्षस परमभक्त और सदाचारी होते हुए भी अमृत के योग्य नहीं माने गए. ईश्वर के इस विधान को भला कौन चुनौती दे. ठीक इसी तरह बीजेपी के इस विधान और काल को भी कौन चुनौती देगा ?
ये बाते इसलिए कही जा रही है कि देश के इसी अमृतकाल में देश का नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का संचालन एक बाबा द्वारा किये जाने की खबर से देश और दुनिया परेशान और हलकान है. उस बाबा ने एनएसई की सीक्रेट सूचनाओं से किसे मालामाल किया और किसे कंगाल, देश को कितना नुकासन हुआ वह तो अब जांच का विषय है लेकिन मनोरंजन का विषय यह है कि जिस मोहतरमा के हवाले एनएसई की जिम्मेदारी दी गई थी वो गर्व से कह रही है कि वो अपना हर फैसला बाबा के कहने पर ही लेती थी. मोदी सरकार के भीतर इस तरह की कई कहानियां देखने को मिलती है लेकिन यह कहानी तो कुछ और ही है.
तो कहानी यह बनती है कि एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं. गुरुवार को आयकर छापे के बाद शुक्रवार को सीबीआई की टीम उनसे पूछताछ करने पहुंची है. बता दें कि शेयर मार्केट में इन्वेस्टर्स को सुरक्षा देने वाली सरकारी संस्था का नाम सेबी है. सेबी ने दावा किया है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानीएनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्णा ने हिमालय पर रहने वाले अपने आध्यात्मिक गुरु के साथ न सिर्फ सीक्रेट इन्फॉर्मेशन साझा की, बल्कि उसकी सलाह पर कई बड़े फैसले भी लिए. सेबी का यह खुलासा देश के लिए किसी सदमे से कम नहीं लेकिन मोदी सरकार और बीजेपी के लोग इसमें भी जश्न मना रहे हैं.
खुलासे के मुताबिक एनएसई बोर्ड के बैठकों का एजेंडा और सीक्रेट फाइलें भी चित्रा ने बाबा को भेजी. चित्रा ने 2016 में अपने पद से इस्तीफा दिया था. अब सेबी ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज इकट्ठा करने के बाद कहा है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को कई सालों तक चित्रा नहीं, बल्कि बाबा चला रहे थे. इस मामले में फिलहाल जांच जारी है. जाँच के बाद क्या कुछ होता है इसका सबको इन्तजार है. लेकिन चित्रा अकेली हस्ती नहीं है, जिसका कोई बाबा आध्यात्मिक गुरु है. अपने देश में तो प्रधानमंत्री से लेकर कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां बाबाओं के चेले रहे हैं. हर नेता के अलग-अलग बाबा हैं और हर बाबा के अपने पैंतरे भी.
इंदिरा गाँधी जब प्रधानमंत्री थी तब धीरेन्द्र ब्रह्मचारी बाबा की तूती बोलती थी. बाबा की पहुँच सीधे पीएमओ से लेकर इंदिरा गाँधी के आवास तक थी. 1966 में जब इंदिरा प्रधानमंत्री बनीं तो धीरेंद्र बिना समय लिए सीधे उनसे मिलते थे. 1969 में इंदिरा ने धीरेंद्र को 3.3 एकड़ जमीन अशोक रोड पर योगा इंस्टीट्यूट खोलने के लिए दिया था. सीबीआई ने बाद में जांच में पाया कि योगी धीरेंद्र टैक्स दिए बिना गैरकानूनी तरीके से प्राइवेट एयरक्राफ्ट और विदेशी कार लेकर भारत आए थे. 1977 के शाह कमीशन ने कहा कि धीरेंद्र सरकारी फैसलों को भी प्रभावित करते थे. राजनीति से बाबा का यह पहला प्रयोग देखने को मिला था. राजीव गाँधी भी बाबा के शरण में जाते थे. राजीव गांधी जब परेशान होते थे तो देवराहा बाबा के आश्रम में शांति के लिए या किसी बड़े फैसले पर विचार करने के लिए जाते थे. राजीव जब अयोध्या मामले में घिरे, तो 6 नवंबर 1989 को देवराहा बाबा से मिलने गए. बाबा ने कहा, ‘मंदिर बनना चाहिए. आप शिलान्यास करवाएं और शिलान्यास की जगह नहीं बदली जाए.’ नरसिम्हा राव भी बाबा के भक्त रहे. उनके मार्गदर्शक थे तांत्रिक चंद्रास्वामी. राव के शासन के दौरान उनके पास बेशुमार शक्तियां थीं. उन्हें राव का भरोसेमंद सहयोगी और सलाहकार माना जाता था. चंद्रास्वामी के भक्तों की सूची में ब्रूनई के सुल्तान, बहरीन के शेख इसा बिन सलमान अल खलिफा, हथियारों के सौदागर अदनान खशोगी, एक्ट्रेस एलिजाबेथ टेलर भी थीं.
हरियाणा के सिरसा में राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता न सिर्फ हाजिरी लगाते थे, बल्कि कई मंत्रियों ने बाकायदा डेरे को अनुदान भी दिया था. हरियाणा के मौजूदा मुख्यमंत्री के साथ बाबा राम रहीम के खूब गहरे सम्बन्ध थे. अब बाबा जेल में हैं. अखाड़ों का राजनीतिक जुड़ाव किसी से छिपा नहीं है. देश के सबसे बड़े जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं साध्वी निरंजना ज्योति मोदी सरकार में राज्यमंत्री हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि का भी समाजवादी पार्टी से गहरा नाता रहा है. उन्हें मुलायम-अखिलेश परिवार का राजनीतिक गुरु भी कहा गया. हालांकि, सत्ता परिवर्तन के बाद से उनकी नजदीकी भाजपा से हो गई. इन दोनों ही दलों के नेता कई मौके पर विचार विमर्श के लिए नरेंद्र गिरि के पास जाते थे. इसी तरह लालू यादव का बचपन से ही पागल बाबा से जुड़ाव था. लालू यादव मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार 1990 में यूपी के मिर्जापुर स्थित पागल बाबा के आश्रम में पहुंचे थे. नेताओं की बाबा से सरोकार की लम्बी कहानियां हमारे देश में है लेकिन एनएसई की पूर्व सीईओ चित्र रामकृष्ण की कहानी सबसे जुदा और बेजोड़ है.
चित्रा रामकृष्ण पर ‘अज्ञात योगी’ के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का संचालन करने का आरोप है. चित्रा के साथ-साथ आनंद सुब्रमण्यम और रवि नायर के खिलाफ भी सीबीआई ने लुकआउट नोटिस जारी किया है. इन दोनों की नियुक्तियां बाबा के कहने पर चित्रा ने की थी. इससे पहले गुरुवार को चित्रा रामकृष्ण के आवास पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी. उन पर एनएसई से जुड़ी गुप्त जानकारियां अज्ञात लोगों से साझा करने का भी आरोप है, जिससे उनको अवैध आर्थिक लाभ हुआ था.
खबर के मुताबिक सीबीआई की टीम ने चित्रा रामकृष्ण से एनएसई में जल्दी पहुंच हासिल करने की को-लोकेशन सुविधा के दुरुपयोग की जांच के सिलसिले में पूछताछ की. यह जांच दिल्ली स्थित ओपीजी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के मालिक और प्रमोटर संजय गप्ता व अन्य के खिलाफ दर्ज मामले से जुड़ी है. सीबीआई इस मामले में सेबी व एनएसई के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ भी जांच कर रही है. आरोप है कि उक्त कंपनी के मालिक और प्रवर्तक ने एनएसई के अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलकर उसके सर्वर का दुरुपयोग किया और एनएसई में अनुचित पहुंच हासिल की.
हाल ही में आई सेबी की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज के समूह संचालन अधिकारी और प्रबंध निदेशक (एमडी) के सलाहकार के रूप में नियुक्त करने के लिए चित्रा सुब्रमण्यम ने हिमालय में रहने वाले एक अज्ञात योगी से परामर्श किया था. सेबी ने रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपये, एनएसई पर दो-दो करोड़ रुपये, एनएसई के पूर्व एमडी और सीईओ रवि नारायण पर दो करोड़ रुपये और वी आर नरसिम्हन पर 6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.