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पांच साल बाद हुई सुप्रीम कोर्ट में अल्पसंख्यक समुदाय के जज की नियुक्ति

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पांच साल बाद हुई सुप्रीम कोर्ट में अल्पसंख्यक समुदाय के जज की नियुक्ति

अंज़रूल बारी

सुप्रीम कोर्ट में 43 जजों का कोटा उस समय पूरा हो गया जब शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की नियुक्ति पर केंद्र सरकार की मुहर लग गई. गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुधांशु धूलिया और गुजरात हाईकोर्ट के जज जमशेद बी पारदीवाला को जज के तौर पर नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति ने दोनों जजों के नियुक्ति पर साइन भी कर दिए हैं. 5 मई को चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली कोलेजियम ने केंद्र को दोनों जजों के नाम की सिफारिश की थी.
दोनों जज अगले हफ्ते नए पद की शपथ लेंगे, अब सर्वोच्च अदालत नवंबर 2019 के बाद अपनी 34 जजों की क्षमता को पूरा कर लेगा. जस्टिस पारदीवाला सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले चौथे पारसी जज होंगे. सुप्रीम कोर्ट में 5 साल बाद किसी अल्पसंख्यक समुदाय के जज की नियुक्ति हुई है. वहीं, जस्टिस धूलिया उत्तराखंड हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले दूसरे जज होंगे.
जस्टिस पारदीवाला देश के अगले चीफ जस्टिस भी हो सकते हैं. मई 2028 में वो चीफ जस्टिस बनाए जा सकते हैं. चीफ जस्टिस के तौर पर उनका कार्यकाल सवा दो साल का होगा. इससे पहले फरवरी 2017 में अल्पसंख्यक समुदाय से जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर की नियुक्ति हुई थी. अगस्त 2021 में रिटायर होने वाले जस्टिस नरीमन सुप्रीम कोर्ट में आखिरी पारसी जज थे.
चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव की कोलेजियम ने देश के अलग – अलग हाईकोर्ट में रिकॉर्ड 10 नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की थी. यह सिफारिश अगस्त 2021 में की गई थी.
अगले कुछ दिन बाद ही जस्टिस विनीत शरण रिटायर होने वाले हैं. इसके बाद जून में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जुलाई में जस्टिस खानविलकर, अगस्त में चीफ जस्टिस रमणा, सितंबर में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, अक्टूबर में जस्टिस हेमंत गुप्ता और नवम्बर में जस्टिस यूयू ललित चीफ जस्टिस के रूप में रिटायर होने वाले हैं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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