![नीतीश कुमार को लेकर बड़े डील की शुरुआत नीतीश कुमार को लेकर बड़े डील की शुरुआत](https://freejournalmedia.in/wp-content/uploads/2022/03/WhatsApp-Image-2022-03-28-at-2.09.57-PM.jpeg)
क्या पटना, राजनीतिक डील का बड़ा केंद्र बन गया है ? क्या ये सारे राजनीतिक डील नीतीश कुमार को लेकर चल रहे हैं ? और क्या ये डील सफल हो गई तो नीतीश कुमार केंद्र में आकर 2024 के चुनाव का बड़ा चेहरा होंगे ? क्या नीतीश कुमार पीएम मोदी के 2024 मिशन के सारथि होंगे या फिर विपक्ष का चेहरा ? पटना की राजनीतिक गलियारों में इसी तरह की कई बातें गर्दिश कर रही हैं. इन बातों को बल तब और भी मिल गया जब नीतीश कुमार योगी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने लखनऊ पहुंचे और अपना सर झुका कर पीएम मोदी का अभिवादन किया. अब से पहले सीएम नीतीश कुमार को कभी भी पीएम मोदी के सामने सर झुकाकर अभिवादन करते नहीं देखा गया था. पटना में चल रही संभावित डील की हम चर्चा करेंगे लेकिन सबसे पहले पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से उपजी राजनीति पर एक नजर.
पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी चार राज्यों में वापस कर गई. पंजाब में आप ने कांग्रेस को बेदखल कर दिया. इन पांचों राज्यों के चुनाव परिणाम ने कांग्रेस की साख पर न सिर्फ बट्टा लगा दिया बल्कि उसके भविष्य पर भी सवाल खड़ा कर दिया है. कांग्रेस का भविष्य क्या होगा इस पर मंथन जारी है लेकिन पार्टी के भीतर जिस तरह के मौकाटेरियन नेताओं की भरमार है, उसे देखते हुए निकट भविष्य में कांग्रेस के भीतर किसी बड़े बदलाव और बड़ी उपलब्धि की सम्भावना नहीं की जा सकती. हाँ एक बात साफ़ है कि अगले लोक सभा चुनाव तक कांग्रेस अपना परफॉर्मेंस नहीं सुधारती है तो फिर उसका मर्सिया पढ़ते लोगों को देर नहीं लगेगी और बीजेपी को रोक पाना हर किसी के लिए और कठिन हो जायेगा. अगर ऐसा हुआ तो भारतीय लोकतंत्र के लिए यह सब चुनौती भरा होगा, क्योंकि बीजेपी के सामने अगर कोई मजबूत विपक्ष नहीं रहेगा तो संसद से सड़क तक सत्ता सरकार के खिलाफ फिर कौन बोलेगा.
यह बात और है कि भारत में कई ऐसे राज्य हैं जहां आज क्षेत्रीय दलों की मजबूती बढ़ी है. लेकिन ऐसे सूबों की संख्या आखिर कितनी है ? दक्षिण में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में क्षेत्रीय दलों की सरकार है और वहां के क्षत्रप भी मजबूत हैं तो ओडिशा, बंगाल में नवीन पटनायक और ममता की मजबूत मौजूदगी है. इधर दिल्ली, पंजाब में आप की सरकार है. लेकिन इन दलों की इतनी हैसियत नहीं कि अगले चुनाव में बीजेपी को चुनौती दे सकें. बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड में जो सरकारें चल रही हैं वह साझा सरकार है और इन तीनों राज्यों में भी बीजेपी की मजबूत पकड़ है. कभी भी कोई बड़ा खेल हो सकता है. समय पलटते ही यहां बीजेपी कोई भी खेल कर सकती है. जिस तरह की राजनीति दिख रही है और जिस तरह से बीजेपी के भीतर रणनीति बन रही है, ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि आने वाले समय में बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र की राजनीति में कई बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं.
खैर, अब डील की बात. जानकारी के मुताबिक़ इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गदगद हैं. बीजेपी के सहयोग से वो बिहार सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. यह बात और है कि जदयू और बीजेपी के बीच भिड़ंत चलती रहती है और बीजेपी के कई नेता अक्सर नीतीश सरकार को घेरते भी रहते हैं, लेकिन व्यक्तिगत रूप से ईमानदार, मेहनती और हमेशा बिहार के विकास के बारे में सोचते रहने वाले नीतीश कुमार बीजेपी को ज्यादा कुछ कहने से बचते रहते हैं. इसके कारण भी हैं. एक तो उनकी पार्टी के पास पहले वाला संख्या बल नहीं है और दूसरी संभावना रहते हुए भी अभी वो राजद के साथ नहीं जाना चाहते, और तीसरी बात यह है कि एनडीए में रहकर ही अपनी अंतिम इच्छा की पूर्ति की तलाश करते हैं.
किसी भी राजनेता की अंतिम इच्छा क्या होती है ? प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्रपति बनने की. हालांकि विपक्ष की तरफ से पीएम का चेहरा बनने का ऑफर जरूर है लेकिन जीत की सम्भावना से वो सशंकित हैं. और राष्ट्रपति का ऑफर मिल जाए तो फिर क्या कहने ! इस मामले में नीतीश कुमार कुछ ज्यादा ही तेज हैं और मौजूदा देश के नेताओं में सबसे ज्यादा चालाक भी. उनकी समझदारी और चालाकी के सामने शायद ही पीएम मोदी या अमित शाह ठहर पाए. नीतीश कुमार वर्तमान को ज्यादा तरजीह देते हैं और भविष्य पर नजर रखते हैं और भविष्य उनके पाले में कैसे आये इस पर मंथन भी करते रहते हैं.
बिहार से खबर मिल रही है कि अगले महीने चार पांच राज्यों के सीएम बिहार जा रहे हैं. इनकी मुलाकात नीतीश कुमार से होनी है. जाहिर है कि 2024 के चुनाव को लेकर चर्चा होगी. जानकारी के मुताबिक मुख्य मंत्रियों की यह बैठक नीतीश कुमार को अगले पीएम उम्मीदवार को लेकर होनी है. नीतीश कुमार इस पर अपनी राय क्या रखेंगे इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. हालांकि इन बातों की जानकारी बीजेपी के नेताओं को भी है और बीजेपी पार्टी हाई कमान को भी.
उधर बीजेपी भी नीतीश कुमार के सहारे एक तीर से कई शिकार करने के फेर में है. चूंकी नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा हैं इसलिए बीजेपी अब अगले राष्ट्रपति उम्मीदवारी के रूप में नीतीश कुमार के साथ डील कर रही है. इससे बीजेपी को कई लाभ है. एक तो बिहार एनडीए की मजबूती बनी रहेगी और जब नीतीश कुमार केंद्र में आ जायेंगे तब बिहार में बीजेपी का मुख्यमंत्री बन जाएगा. जानकारी के मुताबिक़ अगर कोई बड़ी घटना नहीं हुई और डील में कोई हेरा फेरी नहीं हुई तो नित्यानंद राय को बिहार का सीएम बनाया जा सकता है और जदयू के दो नेता उपेंद्र कुशवाहा और ललन सिंह उप मुख्यमंत्री बनाये जा सकते हैं. जानकारी के मुताबिक उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी एक पेंच फंसा है नीतीश चाहते हैं कि कुशवाहा को केंद्र में समायोजित किया जाय. लेकिन अभी इस पर बात नहीं बनी है. लेकिन ऐसा नहीं भी होता है तो कुशवाहा को बिहार में ही उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
इस डील से बीजेपी को तीसरा लाभ 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मिलेगा. नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाह जिस कुर्मी और कोइरी समाज से आते हैं उसकी देश के कई राज्यों में मजबूत पकड़ है और मजबूत वोट बैंक भी. उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में कुर्मी और कोइरी समाज की राजनीति में मजबूत पकड़ है और अगर नीतीश कुमार को राष्ट्रपति के तौर पर बैठा दिया जाता है तो उस समाज में इस नियुक्ति का बड़ा प्रभाव पडेगा और अगले लोकसभा चुनाव में उस समाज का वोट बीजेपी के पाले में जाएगा. बीजेपी के इस खेल को संघ कितना मानता है इसे भी देखना होगा लेकिन जब बातें सत्ता में बने रहने की हो तब संभव है कि संघ भी इस पर अपनी मुहर लगा दे.
उधर, नीतीश कुमार अभी इस पर मौन हैं. लेकिन लखनऊ में पीएम मोदी के सामने झुककर अभिवादन करने को आप इसी रूप में देख सकते हैं. जहाँ तक अगले लोक सभा चुनाव में विपक्षी चेहरा बनने की बात है वह भी नीतीश कुमार के लिए कम लुभावना नहीं है. लेकिन नीतीश कुमार को यह अनुमान है कि अगले लोक सभा चुनाव में विपक्ष कोई बड़ा खेल करने की हालत में नहीं है और अभी जिस तरह के हालत हैं और मोदी के प्रति लोगों में रुझान है ऐसे में अगला लोक सभा चुनाव भी बीजेपी के पक्ष में ही जा सकता है. फिर यह चुनाव तो ढाई साल बाद होने हैं जबकि राष्ट्रपति चुनाव तो इसी साल होने हैं. इसलिए निश्चित को छोड़कर अनिश्चित के पाले में नीतीश कुमार नहीं पड़ना चाहते. बावजूद इसके अगर बीजेपी नीतीश कुमार को लेकर कई मसलों पर हिचकती भी है तो नीतीश के रास्ते खुले हुए हैं और एनडीए से हटने के कई बहाने और तर्क भी हैं उनके पास मौजूद हैं.
इस राजनीतिक मिलन और डील का आने वाले दिनों में केंद्र और बिहार की राजनीति पर कितना असर पड़ेगा इसे देखना है.