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नितिन गडकरी ने किसानों के बहाने फिर साधा सरकार पर निशाना 

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नितिन गडकरी ने किसानों के बहाने फिर साधा सरकार पर निशाना 

 

मोदी सरकार के सबसे काबिल मंत्री कहे जाने वाले नितिन गडकरी अपनी बेबाकी के लिए ही जाने जाते हैं. उनकी बेबाकी भले ही सरकार को परेशान करती हो लेकिन वो कहने से नहीं चूकते. गडकरी का मानना है कि लोकतंत्र में जनता को धोखा नहीं दिया जा सकता. और लम्बे समय तो और भी नहीं. सच को छुपाया भी नहीं जा सकता. लेकिन राजनीति में तो सच वर्जित है ! राजनीति तो झूठ के सहारे की जाती है. लेकिन गडकरी को यह झूठी राजनीति रास नहीं आती. महाराष्ट्र के कई जिलों में भारी बारिश हुई है. इससे खेती को काफी नुकसान हो रहा है. किसान केंद्र और राज्य सरकार से राहत और मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठ हैं. अपने बेबाक बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान किसानों को सरकार पर ज्यादा भरोसा नहीं करने सलाह दी है. दरअसल, उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वो कृषि उत्पादों की मार्केटिंग और उसके निर्यात के लिए अपनी खुद की कंपनियां बनाएं.

गडकरी ने कहा कि सरकार वहां कदम रख सकती है, जहां किसान किसी समस्या का समाधान नहीं ढूंढ सकते हैं. वह अपने एग्रोविजन फाउंडेशन और सरकारी निकाय ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक संपर्क कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 50 से 100 किसानों को कृषक उपज कंपनी बनाने के लिए एक साथ आना चाहिए, ताकि वो अपने उत्पाद को खुले बाजार में बेच सकें. उन्होंने कहा कि ऐसे समूह अपना खुद का कोल्ड स्टोरेज भी बना सकते हैं.

नितिन गडकरी ने कहा, ”सरकार पर ज्यादा भरोसा मत करो, मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं सरकार में हूं.” उन्होंने किसानों को यह भी सलाह दी कि “अगर किसान कृषि क्षेत्र में विकास करना चाहते हैं, तो उन्हें खुद पहल करनी चाहिए. गडकरी ने कहा, ”मैंने एक किसान के रूप में अपनी उपज के लिए एक बाजार ढूंढा, आपको भी अपनी उपज के लिए एक बाजार खुद ही ढूंढना चाहिए.” गडकरी ने नासिक के किसान विलास शिंदे का भी उदाहरण दिया, जिन्होंने बिना किसी सरकारी सब्सिडी या मदद के सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार स्थापित किया.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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