Home देश नफरत की राजनीति पर फौरन लगे ब्रेक – 108 पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी के नाम भेजा खत

नफरत की राजनीति पर फौरन लगे ब्रेक – 108 पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी के नाम भेजा खत

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नफरत की राजनीति पर फौरन लगे ब्रेक – 108 पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी के नाम भेजा खत

अंज़रूल बारी

देश के बड़े सौ से अधिक ब्यूरोक्रेट्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ओपन लेटर भेज कर देश में बढ़ती नफ़रत पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए इस बात की मांग की है कि वो ‘नफरत की राजनीति’ पर फौरन ब्रेक लगाएंगे. लेटर में कहा गया है कि बीजेपी शासित राज्यों में कथित तौर पर इस को ‘कठोरता से’ जोर दिया जा रहा है, जिसे फौरन रोका जाना चाहिए. पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी को लिखे गए अपने एक खुले खत में कहा, कि ‘हम देश में नफरत से भरी तबाही का उन्माद देख रहे हैं, जहां न सिर्फ मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि संविधान पर भी खतरा मंडरा रहा है.’
समाचार एजेंसियों के मुताबिक पीएम मोदी को संबोधित करते हुए पत्र में कहा गया है, कि ‘‘पूर्व नौकरशाह के नाते, हम आपसे ये कहना चाहते हैं कि जिस तेज़ी के साथ संवैधानिक ढांचे को नष्ट किया जा रहा है, वह हमें बोलने, अपना गुस्सा और अपने दर्द को ज़ाहिर करने के लिए मजबूर करता है.”
पूर्व नौकरशाहों ने पत्र में कहा है, कि ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के आपके वादे को दिल से लेते हुए आपकी अंतरात्मा से अपील करते हैं… हम उम्मीद करते है कि आजादी का अमृत महोत्सव के इस वर्ष में, पक्षपातपूर्ण विचारों से ऊपर उठकर, आप नफरत की राजनीति को खत्म करने की लोगों से अपील करेंगे.”
पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने अपने खत में आगे ये भी कहा है कि पिछले कुछ वर्षों और महीनों में कई राज्यों – असम, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुसलमानों के प्रति नफरत और हिंसा की घटनाओं में तेज़ी से बढ़ोतरी ने एक भयावह नया आयाम हासिल कर लिया है.
पत्र में कहा गया है कि दिल्ली को छोड़कर इन राज्यों में बीजेपी की ही सरकारें हैं और दिल्ली में पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में ही है.
इस खत में 108 पूर्व नौकरशाहों ने हस्ताक्षर किए हैं, इनमें दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टीकेए नायर जैसे बड़े नौकरशाहों के नाम शामिल हैं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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