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दुनिया के लगभग 20 करोड़ लोग भुखमरी के दलदल में फंसे

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दुनिया के लगभग 20 करोड़ लोग भुखमरी के दलदल में फंसे

अंज़रूल बारी

दुनिया के कई देश भुखमरी के जाल में फंसते जा रहे हैं. यूनाइटेड नेशन की ताजा रिपोर्ट कह रही है कि दुनिया के लगभग 20 करोड़ लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं और बीते साल 2021 में ही चार करोड़ करोड़ नए लोग भुखमरी के फंसे हैं. विश्व में लगातार होने वाले संघर्ष, प्राकृतिक आपदा और आर्थिक संकट, लोगों को इस हालत में पहुंचाने के लिए जिम्मेदार हैं. माना जा रहा है कि अगर हालत नहीं सुधरे तो आने वाले समय में भुखमरी की समस्या और भी गंभीर हो सकती है और दुनिया की बड़ी आबादी इसकी चपेट में आ सकती है. रिपोर्ट की मानें, तो इस समय दुनिया की कुल 19.3 करोड़ आबादी भुखमरी में जी रही है.
फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 53 देश भुखमरी की इस परेशानी से जूझ रहे हैं. लेकिन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथोपिया, यमन, और अफगानिस्तान में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं. इस भुखमरी से दुनिया की बड़ी आबादी मौत के मुंह में जा सकती है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 के मुताबिक भारत के 14% बच्चे भुखमरी के कारण कुपोषण का शिकार हो जाते हैं.
रिपोर्ट में रूस-यूक्रेन जंग को अंतरराष्ट्रीय मंहगाई बढ़ने का बड़ा कारण माना गया है. दरअसल रूस-यूक्रेन दोनों ही खेती में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट से लेकर गेहूं, सूरजमुखी का तेल और खाद के बड़े निर्यातक हैं. गौर करने वाली बात ये है कि भुखमरी के मामलों में सोमालिया, कांगो समेत रूस-यूक्रेन से गेहूं आयात करने वाले देशों की हालत सबसे ज्यादा खराब है.
संघर्ष और असुरक्षा की वजह से 24 देशों के 13.9 करोड़ लोग भुखमरी के जाल में फंसे हुए हैं. इसके अलावा कोविड से इकोनॉमी में गिरावट आने के बाद 21 देशों के 3.2 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार हुए हैं. साथ ही प्राकृतिक आपदा से अफ्रीका के 8 देशों के 2.35 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. एफएओ ने इस बात पर चिंता जताते हुए कहा है कि दुनिया में भुखमरी के बढ़ते आंकड़ों के बाद मानवता को बचाने के लिए हमें ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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