Thursday, April 18, 2024
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तबलीगी जमात में शामिल विदेशियों की ब्लैकलिस्ट वाले फैसले की जांच करेगा सुप्रीम कोर्ट

अंज़रूल बारी

सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह सरकार के उस फैसले की वैधता की जांच करेगा जिसमे केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में दिल्ली में आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले विदेशियों को ब्लैकलिस्ट करने का फैसला लिया था. कहा जा रहा है कि सरकार ने सुनवाई का मौका दिए बिना ही इनके भारत आने पर 10 साल की रोक लगा दी है. जस्टिस एएम खानविलकर, एएस ओका और सीटी रविकुमार की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की थी.
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उनके खिलाफ आदेश उनके पक्ष की सुनवाई के बिना ही पारित कर दिए गए. यह अनुच्छेद 21 के तहत उनके अधिकारों को प्रतिबंधित करता है, जो सार्वभौमिक मानव का अधिकार है. उन्होंने गृह मंत्रालय से उन्हें काली सूची से हटाने और उनके वीजा को बहाल करने की भी मांग की.
उधर, केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “ऐसा किया जा सकता है क्योंकि यह कानून है. एक राष्ट्र के लिए यह कानून के गंभीर प्रश्न उठाता है. देश को किसी को भी प्रवेश करने के अधिकार से वंचित करने का संप्रभु अधिकार है. आखिरकार, वीजा देश में प्रवेश करने की अनुमति है. तबलीगी जमात की इस घटना को भूल जाइए, हम बड़े मुद्दे पर हैं क्योंकि ऐसी असंख्य स्थितियां हो सकती हैं जहां यह सवाल उठ सकता है.”
इस पुरे मामले पर बेंच ने कहा, “अगर आपके पास इस बात की जानकारी है कि उस व्यक्ति के जासूस होने का संदेह है तो सरकार वीजा से इनकार कर सकती है. लेकिन अगर आप वीजा देते हैं, तो क्या आप उसे मौका दिए बिना एकतरफा इसे रद्द कर सकते हैं. क्या आप किसी व्यक्ति को नोटिस दिए बिना ब्लैकलिस्ट कर सकते हैं?”
तबलीगी जमात कार्यक्रम में भाग लेने के लिए वैध वीजा पर भारत में प्रवेश करने वाले 35 विदेशी नागरिकों की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट की यह टिप्पणी सामने आई. याचिकाकर्ता 2 अप्रैल, 2020, गृह मंत्रालय की ओर से 35 देशों के 960 विदेशियों को ब्लैकलिस्ट करने के निर्णय से व्यथित थे. उन्हें अगले 10 वर्षों तक भारत की यात्रा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया. दो महीने बाद गृह मंत्रालय ने तबलीगी जमात कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अतिरिक्त 2,500 विदेशियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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