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झारखंड में सियासी खेल शुरू , झामुमों और बीजेपी में भिड़ंत

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झारखंड में सियासी खेल शुरू , झामुमों और बीजेपी में भिड़ंत

न्यूज़ डेस्क

पहले राष्ट्रपति चुनाव और फिर राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण। द्रौपदी मुर्मू के महामहिम बनने के बाद झारखंड में खेल शुरू हो गया है। इस खेल की शुरुआत अभी झामुमों ने की है लेकिन दाव किसका सटीक बैठता है इसे देखना बाकी है। बीजेपी किसी भी सूरत में अब हेमंत सरकार को गिराना चाहती है या ऐसी परिस्थिति पैदा करना चाहती है ताकि झामुमों या तो बीजेपी के साथ सरकार बनाये या फिर झामुमो समेत कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर वह सरकार बनाने का खेल कर सकती है। महाराष्ट्र की तरह ही झारखंड में खेल करने का बड़ा प्लान है बीजेपी के पास। यह प्लान लम्बे समय से जारी है।

इधर अब फिर से झारखंड की राजनीति गरम है़। झामुमो-भाजपा आमने-सामने हैं। राष्ट्रपति चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन में सेंधमारी के बाद राज्य की राजनीति में सरगरमी बढ़ी है़ सियासी दावं-पेच चले जा रहे हैं। झामुमो ने कहा कि भाजपा के 16 विधायक उसके संपर्क में हैं। इधर भाजपा ने भी पलटवार किया है़। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झामुमो डूबता जहाज है इसकी सवारी कौन करेगा।

उधर सांसद निशिकांत दुबे ने भी निशाना साधा है। श्री दुबे ने कहा कि झामुमो के 21 विधायकों ने ही बगावत कर दी है़। झामुमो के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि भाजपा के 16 विधायक पार्टी नेताओं के संपर्क में हैं। साथ ही हेमंत सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। इसे लेकर भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक से प्रस्ताव मिला है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में पार्टी गंभीर है। अगर लिखित रूप से प्रस्ताव आया, तो इस पर विचार होगा। यह पूछने पर कि चर्चा है कि झामुमो व कांग्रेस के विधायक भाजपा के संपर्क में हैं? इस पर श्री भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो के सभी विधायक इंटैक्ट हैं। राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी की ओर से घोषणा के अनुरूप विधायकों ने एकजुटता का परिचय दिया है।

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने झामुमो पर हमला करते हुए कहा कि राज्य में वशंवाद की बुनियाद पर अयोग्य हाथों में सत्ता है। चौतरफा लूट मची है़। झामुमो डूबता हुआ जहाज है़ इसकी सवारी कौन करेगा। इस डूबते जहाज पर जो सवार हैं, उन्हें ही बचा ले़ं यही बड़ी उपलब्धि होगी़। सांसद श्री दुबे ने कहा कि झामुमो बौखला गया है और ख्याली पुलाव पका रहा है।

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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