Monday, December 9, 2024
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ज्ञानवापी प्रकरण : सुप्रीम कोर्ट और वाराणसी सिविल जज कोर्ट में आज होगी सुनवाई

अखिलेश अखिल

ज्ञानवापी का मामला अयोध्या मामले की तरह बनता जा रहा है. आगे क्या कुछ होता है और अदालत इस पुरे मामले पर क्या कुछ करता है इसे देखना होगा लेकिन ठीक अयोध्या प्रकरण की तरह ही अब ज्ञानवापी मामले को लेकर समाज बांटता दिख रहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और वाराणसी के सिविल जज की अदालत में आज सुनवाई होगी. सर्वे के लिए पूर्व में नियुक्त कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने छह और सात मई को हुई कार्यवाही का ब्योरा बुधवार को सिविल कोर्ट में सौंप दिया. कोर्ट ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में ले लिया है.
अदालत ने पहले अजय कुमार मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था. बाद में सूचनाएं लीक करने के आरोपों पर उन्हें हटा दिया गया. दूसरी ओर, 14 से 16 मई के बीच हुई कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट 19 मई को सिविल जज की कोर्ट में पेश की जा सकती है. सिविल जज रवि कुमार ने ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश दिया था. वादियों ने शृंगार गौरी और अन्य विग्रहों की वस्तुस्थिति जानने और दर्शन-पूजन के अधिकार के लिए याचिका लगाई है. उधर वादी पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा है कि ज्ञानवापी परिसर में नंदी के सामने स्थित व्यास कक्ष से ज्योतिर्लिंग का रास्ता है. यहां खुदाई की जाए तो कुछ नए तथ्य सामने आएंगे.
शिवलिंग के फव्वारा होने के दूसरे पक्ष के दावे पर हरिशंकर जैन बोले कि अगर फव्वारा है तो उसे चलाकर दिखाएं. ऐसा होता तो उसके ऊपर का हिस्सा टिनशेड से न घिरा होता. हरिशंकर जैन के अधिवक्ता पुत्र विष्णु जैन ने कहा कि फव्वारा है तो इसके नीचे पानी सप्लाई की व्यवस्था भी होगी. हम उसके नीचे जांच की मांग कर रहे हैं. अगर यह फव्वारा है तो दूसरे पक्ष को जांच से ऐतराज क्यों है.
उधर ,एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर हरिशंकर जैन ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि उन्हें कानून का ज्ञान ज्यादा होगा मगर मैं सच की बात करूंगा. वह कह रहे हैं कि वहां मसजिद थी, मैं कह रहा हूं कि वहां शिवलिंग है. एक बात तो साबित है कि जो पूजा स्थल किसी एक धर्म का होता है वहां किसी दूसरे धर्म की पूजा मान्य नहीं होती.
अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि इस काम की शुरुआत में सभी ने हमारी आलोचना की थी. भगवान अब सामने आ गए हैं और सत्य की जीत हुई. हम खोदाई की मांग करेंगे. जांच के बाद पता चलेगा कि शिवलिंग का विस्तार नीचे कहां तक है. उन्होंने कहा कि हम यह लड़ाई अपनी आखिरी सांस तक लड़ेंगे. स्वास्थ्य ठीक रहा तो अगली सुनवाई में फिर बनारस आएंगे. उन्होंने उम्मीद जताई कि ज्ञानवापी में शीघ्र भव्य मंदिर बनेगा.
बता दें कि आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने ज्ञानवापी मामले के ताजा घटनाक्रम पर कड़ा विरोध करते हुए अपनी आगे की रणनीति तय की है. बोर्ड इस रणनीति के तहत कानूनी लड़ाई तो लड़ेगा ही साथ ही राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेगा. वहीं सियासी दलों को भी लामबंद किया जाएगा. माना जा रहा है कि बोर्ड इस मुद्दे पर आन्दोलन भी कर सकता है. यह बात मंगलवार की देर रात बोर्ड की आनलाइन हुई बैठक में तय हुई. बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक की जानकारी प्रवक्ता कासिल रसूल इलियास ने दी. उन्होंने बताया, बैठक में उपासना स्थल विशेष (उपबंध) अधिनियम-1991 पर चर्चा हुई. 18 सितम्बर 1991 को पारित हुए इस अधिनियम में है कि भारत में 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थान जिस स्वरूप में था, वह उसी स्वरूप में रहेगा, उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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