Wednesday, June 7, 2023
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केंद्र सरकार ने रोका जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर, दिल्ली दंगों को लेकर बीजेपी नेताओं पर दिया था FIR का हुक्म

केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली में हुए दंगों के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं के खिलाफ सख्त टिप्पणी करने वाले जज का ट्रांसफर रोक दिया है. सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने ओडिशा हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस काम कर रहे जस्टिस एस मुरलीधर का ट्रांसफर मद्रास हाईकोर्ट में करने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार की तरफ से इसे मंजूरी नहीं दी गई. जबकि दूसरे तीन जजों के ट्रांसफर को हरी झंडी दिखा दी गई.

दरअसल 28 सितंबर को कोलेजियम ने जस्टिस पंकज मिथल को राजस्थान और जस्टिस एस मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश की थी. ये सिफारिश केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस तक पहुंचाई गई. जिसके बाद सरकार की तरफ से फैसला लिया गया. सरकार की तरफ से जस्टिस मिथल के ट्रांसफर को मंजूरी दी गई, जो इससे पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे. इनके अलावा सरकार ने 28 सितंबर को पीबी वराले को कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस अली मोहम्मद माग्रे को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी दी थी.

बता दें कि जस्टिस एस मुरलीधर का ट्रैक रिकॉर्ड काफी शानदार रहा है, उन्हें अपने सख्त लहजे और फैसलों के लिए जाना जाता है. लाइव लॉ के डेटा के मुताबिक 2006 में जस्टिस मुरलीधर को दिल्ली हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्ति मिली थी. इसके बाद वो उस पीठ का हिस्सा थे जिसने पहली बार 2009 में नाज फाउंडेशन मामले में समलैंगिकता के पक्ष में टिप्पणी की थी. इसके अलावा हाशिमपुरा नरसंहार मामले में पीएसी के जवानों और सिख विरोधी दंगे के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराने वाली बेंच की अध्यक्षता भी जस्टिस मुरलीधर ने की थी.

 

जस्टिस एस मुरलीधर का नाम तब खुलकर सामने आया था. जब साल 2020 में दिल्ली दंगे हुए. इन दंगों के बाद जस्टिस मुरलीधर ने बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा समेत तमाम लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे. साथ ही दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई थी. इन तमाम बीजेपी नेताओं पर आरोप था कि इन्होंने दंगे से ठीक पहले भड़काऊ भाषण दिए थे. बता दें कि फरवरी 2020 में नागरिकता कानून के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों के बीच दंगे भड़क गए थे. दो दिन चले इन दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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