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कांग्रेस को दुआ नहीं, दवा की ज़रूरत, इलाज ‘कम्पाउंडर’ कर रहे हैं: आजाद

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कांग्रेस को दुआ नहीं, दवा की ज़रूरत, इलाज ‘कम्पाउंडर’ कर रहे हैं: आजाद

 

कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद पार्टी नेताओं के तीखे हमले झेल रहे पूर्व वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को अपनी पुरानी पार्टी और उसके नेतृत्व पर तीखा पलटवार किया. उन्होंने कहा कि ‘बीमार’ कांग्रेस को दुआ नहीं, दवा की जरूरत है, लेकिन बदकिस्मती से ये इलाज ‘कम्पाउंडर’ कर रहे हैं. कांग्रेस नेताओं के आरोप कि आजाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले हुए हैं, उसपर आजाद ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि जो संसद में भाषण देने के बाद प्रधानमंत्री से गले मिले, वह मोदी के साथ मिले या नहीं? उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की नींव कमजोर हो गई है और वह कभी भी बिखर सकती है.

आजाद ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि ‘जी 23’ की ओर से अगस्त, 2020 में पत्र लिखे जाने की वजह से वह कांग्रेस नेतृत्व और उसके करीबी लोगों की आंखों में खटकने लगे थे. उन्होंने कहा, ‘‘मोदी-वोदी सब बहाना है. इनकी आंखों में हम खटकते हैं क्योंकि हमने पत्र लिखा. इनको लगता है कि इन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता…पत्र लिखने के बाद से मैं इन्हें खटक रहा था.’’

‘डीएनए मोदी-मय’ होने के कांग्रेस के आरोप को लेकर आजाद ने राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी से वह लोग मिले हुए हैं जो उनका सपना पूरा करने में उनकी मदद कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ कहा था। इसमें जो लोग उनकी मदद कर रहे हैं वह नरेंद्र मोदी से मिले हुए हैं। जो संसद में भाषण देकर उनसे गले मिलते हैं और कहते हैं हमारा दिल साफ है, वह मिले हैं कि नहीं?’’

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पहले वह अपने डीएनए की जांच कराएं. वह तो पहले फ्रीलांसर थे. वह बताएं कि पहले किस सरकार के कर्मचारी थे. वह हमारी पार्टी में नहीं थे. पहले वह अपनी जांच कराएं कि उनका डीएनए किस पार्टी का हैं.’’ आजाद ने कहा, ‘‘सबसे ज्यादा अफसोस की बात यह है कि जो बाहरी हैं, जो चापलूसी करते हैं, उन्हें पद मिले हैं.’’

कांग्रेस को ‘बीमार’ करार देते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘‘मैं तो दुआ ही कर सकता हूं. मेरी दुआ से तो कांग्रेस ठीक नहीं हो सकती. उसके लिए दवा चाहिए. उसके लिए जो डॉक्टर हैं वह असल में डॉक्टर नहीं बल्कि कम्पाउंडर हैं.’’

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव कार्यक्रम के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने कहा, ‘‘जब चुनाव होता है, उसके लिए सदस्यता अभियान होता है. यह पुराने समय से चला आ रहा है. अब क्या हो रहा है कि वोटर लिस्ट से लोगों के नाम लिए जाते हैं और उनके पैसे भर दिए जाते हैं. यह नकली सदस्यता अभियान है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर कागज की इमारत बनाओगे तो वह हवा से गिर जाएगी या आग से जल जाएगी. ऐसे चुनाव करने से क्या फायदा होगा. यह सब फर्जी है.’’ आजाद ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘बैंक लुट गया तो महाप्रबंधक बदलने से क्या होगा? कांग्रेस की हालत यह है कि पार्टी के भीतर कांग्रेसजन कोई है नहीं, सब दूसरे दलों में भाग गए हैं.’’

ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव और कई अन्य युवा नेताओं के कांग्रेस छोड़ने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सबसे ज्यादा ‘राहुल टीम’ के लोग भागे हैं. हम तो इंदिरा गांधी के टीम से हैं.’’

इस आरोप पर कि राज्यसभा नहीं मिलने पर उन्होंने विरोधी रुख अपनाया., आजाद ने कहा, ‘‘जब हमने पत्र (अगस्त, 2020) लिखा था तो उस वक्त मैं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष था और मेरा कार्यकाल एक साल बचा हुआ था. अगर मुझे खुश करना होता तो क्या मैं यह करता ? मैंने तो पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि मुझे कुछ नहीं चाहिए.’’

बीजेपी के साथ गठबंधन की संभावना से जुड़े सवाल पर आजाद ने कहा, ‘‘कांग्रेस अनपढ़ों की जमात है. जिसे जम्मू-कश्मीर में एबीसी मालूम है. वह भी जानता है कि मैं बीजेपी के जनाधार वाले क्षेत्र में एक वोट नहीं बढ़ा सकता और मेरे क्षेत्र में बीजेपी एक वोट नहीं बढ़ा सकती.’’ अपने त्यागपत्र में जिन बातों का उल्लेख उन्होंने किया है वह समुद्र की एक बूंद भर है.

राज्यसभा में उनकी विदाई के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के भावुक होने और कई कांग्रेस नेताओं के कटाक्ष का भी आजाद जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो मोदी जी को निर्मम आदमी समझता था. सोचता था कि उन्होंने शादी नहीं की और उनके बच्चे नहीं हैं तो उन्हें कोई परवाह नहीं है. लेकिन कम से कम उन्होंने इंसानियत तो दिखाई.’’ आजाद के अनुसार, राज्यसभा में मोदी और उन्होंने आंसू एक दूसरे के लिए नहीं, बल्कि कई वर्ष पूर्व जम्मू-कश्मीर में हुई आतंकी घटना से जुड़े विषय को लेकर बहाए थे.

बता दें कि आजाद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेतृत्व आंतरिक चुनाव के नाम पर धोखा दे रहा है। उन्होंने राहुल गांधी पर ‘‘अपरिपक्व और बचकाने’’ व्यवहार का आरोप भी लगाया था। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए उन पर पार्टी को धोखा देने का आरोप लगाया था और कहा था कि उनका ‘डीनएनए मोदी-मय’ हो गया है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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