Tuesday, April 16, 2024
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गुजरात दंगा : सुप्रीम कोर्ट ने दिया 9 में से 6 केस बंद करने के आदेश 

 

गुजरात दंगे से जुड़े नौ में से आठ मुक़दमे अब बंद हो जायेंगे. सुप्रीम कोर्ट का यही आदेश है. आईएम मामलो से जुडी कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी. सीजेआई जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को कहा कि इतना समय गुजरने के बाद इन मामलों पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है. अदालत का यह फैसला अजूबा ही है. अभी तक किसी को न्याय नहीं मिला, लेकिन मुक़दमे अब नहीं चलेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 केस में निचली अदालतें फैसला सुना चुकी हैं. इनमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी मानवाधिकार आयोग की याचिका भी शामिल है, जिसमें दंगों के दौरान हुई हिंसा की जांच की मांग की गई थी. कोर्ट ने दंगा पीड़ितों और सिटीजंस फॉर जस्टिस नाम के गैर सरकारी संगठन की रिट याचिका पर भी विचार किया. एनजीओ ने 2003-2004 में दाखिल याचिका में दंगों की जांच गुजरात पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपने की मांग की थी.

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. बेंच में जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल हैं. बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही गुजरात दंगों से जुड़े 9 केस की जांच के लिए एसआईटी गठित कर चुका है. इनमें से 8 केस का ट्रायल पूरा हो चुका है. नारोदा गांव से जुड़े मामले की सुनवाई अभी जारी है.

कोर्ट के मुताबिक नारोदा केस में कानूनी कदम उठा सकेगी. एसआईटी के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि 9 मामलों में से केवल नारोदा गांव इलाके में हुई हिंसा का मामला ही लंबित है, और उसमें भी अंतिम दलीलें ही बाकी हैं. बाकी 8 मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है और वो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपीलेट स्टेज में हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि कानून के मुताबिक नारोदा गांव केस का ट्रायल जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट की बनाई एसआईटी इस केस में कानून के अनुसार जरूरी कदम उठा सकती है.’

बता दें कि गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी. आग लगने से 59 लोग मारे गए थे. ये सभी कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे. इसके बाद गुजरात में सांप्रदायिक तनाव फैल गया. गोधरा में सभी स्कूल-दुकानें बंद कर कर दिए गए हैं. कर्फ्यू लगा दिया गया. पुलिस को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए. गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एएस 6 कोच को बाहर से आग लगाई थी, जिससे अंदर बैठे लोगों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिला था.

गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे. इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे. उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद स्थित अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती ‘गुलबर्ग सोसाइटी’ को भी निशाना बनाया था. इसमें जकिया जाफरी के पति पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे. इनमें से 38 लोगों के शव बरामद हुए थे, जबकि जाफरी सहित 31 लोगों को लापता बताया गया था.

2008 में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया था. कोर्ट ने SIT से इस मामले में हुईं तमाम सुनवाइयों पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. बाद में जकिया की शिकायत की जांच भी SIT को सौंपी गई. SIT ने मोदी को क्लीन चिट दी और 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर SIT ने मजिस्ट्रेट को क्लोजर रिपोर्ट सौंपी.

2013 में जकिया ने क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करते हुए मजिस्ट्रेट के सामने याचिका दायर की थी. मजिस्ट्रेट ने यह याचिका खारिज कर दी. इसके बाद जाकिया ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने 2017 में मजिस्ट्रेट का फैसला बरकरार रखा.

जकिया ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून 2022 को जकिया जाफरी की तरफ से पीएम मोदी के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जकिया की याचिका में मेरिट नहीं है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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