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कड़ाके की ठंढ में अब विपक्षी एकता को लेकर बढ़ेगा तापमान 

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कड़ाके की ठंढ में अब विपक्षी एकता को लेकर बढ़ेगा तापमान 

अखिलेश अखिल

कांग्रेस की भारत जोड़ा यात्रा दिल्ली पहुंचकर एक सप्ताह के लिए विश्राम पर है. भारत यात्री जहां अपने अपने परिजनों से मिलने जायेंगे, वही सम्भावना इस बात की है कि विपक्षी एकता की चाहत रखने वाले नेता इसी बीच में मंथन करेंगे, एक दूसरे से मिलेंगे. उम्मीद की जा रही है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस दिशा में पहल करेंगे. बता दें कि नीतीश कुमार नए साल की शुरुआत यानी खरमास के बाद बिहार यात्रा की तैयारी कर रहे हैं. जनता का मिजाज जानने के लिए वो बिहार का दौरा करेंगे. और अगले लोकसभा चुनाव के लिए नए समीकरण की तलाश भी करेंगे. नीतीश की यह यात्रा करीब दो महीने से ज्यादा की होगी. मकसद एक ही है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कैसे बीजेपी को मात दिया जाए.

इसकी भी सम्भावना है कि नीतीश कुमार जल्द ही दिल्ली आएंगे और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से बात करेंगे. नीतीश कुमार इससे पहले भी कांग्रेस समेत सामान विचारधारा वाली पार्टियों के नेताओं से मिल चुके हैं. पिछली मुलाकात में लालू यादव के साथ नीतीश कुमार सोनिया गाँधी से मिले थे. कहा जा रहा है कि तब सोनिया गाँधी ने उनसे कहा था कि गुजरात, हिमाचल चुनाव और भारत जोड़ो यात्रा के बाद सब मिलेंगे. अब फिर से मुलाकात की बारी है. अब जब भारत जोड़ो यात्रा का पहला चरण समाप्त हो गया है, तो माना जा रहा है कि विपक्षी दलों की बैठक के लिए फिर से बात शुरू होगी.

हालांकि नीतीश कुमार के दूत कई राज्यों के नेताओं से संपर्क बनाये हुए हैं. और कहा जा रहा है कि कई राज्यों में बीजेपी के खिलाफ एक मंच पर आने के लिए कई विपक्षी दल सहमत भी हो गए हैं. हालांकि नीतीश कुमार यूपी को सबसे पहले साधने की कोशिश कर रहे हैं. यूपी के साथ ही उत्तर – पूर्व के राज्यों पर उनकी ज्यादा नजर है. जानकारी के मुताबिक़ नीतीश कुमार चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीट पर बीजेपी के सामने एक ही उम्मीदवार हो. इसके लिए वह मायावती को भी अपने मिशन में शामिल करना चाहते हैं. उन्होंने अपने एक विश्वासी नेता को संपर्क सूत्र खुलवाने को कहा है. हालांकि, मायावती के मौजूदा रुख को देखते हुए अखिलेश यादव और कांग्रेस दोनों को इसमें संदेह है कि बीएसपी विपक्षी एकता को स्वीकार करेगी. नीतीश कुमार का मानना है कि मायावती के लिए यह सियासी विकल्प नहीं बल्कि सियासी मजबूरी होगी.

अभी नीतीश कुमार की दूसरी कोशिश बीजेपी के खिलाफ उत्तर-पूर्व में एक व्यापक गठबंधन बनाने की है. इसके लिए वह बदरुद्दीन अजमल के अलावा टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ संपर्क में हैं. साथ ही वह त्रिपुरा में भी बीजेपी के खिलाफ गठबंधन बनाने के पक्ष में हैं. उनका मानना है कि अगर सही तरीके से गठबंधन हुआ तो बीजेपी और उनके सहयोगियों को उत्तर-पूर्व में भी बड़ा नुकसान पहुंचाया जा सकता है. जहां एनडीए ने पिछले लगातार दो आम चुनावों में क्लीन स्वीप किया है.

जेडीयू सूत्रों के अनुसार, नीतीश यह भी मानते हैं कि बिना कांग्रेस के विपक्षी एकता मुमकिन नहीं है. भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस से उम्मीदे भी बढ़ी है. कहा जा रहा है कि जिस तरह से दक्षिण से उत्तर तक राहुल गाँधी के साथ लोगों रेस्पोंस देखने को मिला है, उससे भविष्य में कांग्रेस को लाभ हो सकता है. इस यात्रा का आने वाले चुनाव में कितना असर पडेगा. इसे देखना अभी बाकी है क्योंकि चुनावी राजनीति में काफी मजबूत हो चुकी बीजेपी और पीएम मोदी का इकबाल अभी भी कायम है. ऐसे में बीजेपी को घेरने के लिए जबतक सामूहिक प्रयास नहीं होंगे, तबतक बीजेपी को हराना मुश्किल है. ऐसे में नीतीश कुमार बड़े सधे कदम से विपक्षी एकता की तैयारी कर रहे हैं. अब देखना है कि चुनाव से पहले यह प्रयास कितना रंग दिखाता है और कांग्रेस की इसमें क्या भूमिका होती है.

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