Monday, December 9, 2024
होमदेशउत्तर बंगाल में सीएम ममता के दौरे से बंगाल में फिर उठी...

उत्तर बंगाल में सीएम ममता के दौरे से बंगाल में फिर उठी कामतापुर देश की मांग

 

अखिलेश अखिल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तीन दिनों की यात्रा पर उत्तर बंगाल से जुड़े इलाको में आज से जा रही है. खासकर अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में रहकर तीनो दिनों तक प्रशासनिक कामों को अंजाम देगीं. लेकिन ममता की यात्रा से पहले एक वीडिओ सामने आने के बाद माहौल ख़राब हो गया है. प्रतिबंधित संगठन केएलओ द्वारा जारी इस कथित वीडिओ में खून खराबे की धमकी दी गई है. इस धमकी भरे वीडिओ के सामने आने के बाद सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है लेकिन एक नई राजनीति भी शुरू हो गई है.
एक कथित वीडियो में, केएलओ नेता जीवन सिंह होने का दावा करते हुए एक नकाबपोश व्यक्ति ने ममता को उत्तर बंगाल का दौरा करने के खिलाफ चेतावनी दी. वीडियो में नकाबपोश व्यक्ति सशस्त्र अंगरक्षकों के साथ था. लाइव हिंदुस्तान द्वारा इस वीडियो की प्रामाणिकता का स्वतंत्र रूप से सत्यापन नहीं किया जा सका है. ममता बनर्जी अगले तीन दिनों में अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में राजनीतिक और प्रशासनिक बैठकें करेंगी.
राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “वीडियो में जीवन सिंह को सैन्य वर्दी पहने और ऑटोमैटिक राइफलों से लैस एक दर्जन से अधिक छापामारों से घिरा हुआ दिखाया गया है. हमें नहीं पता कि वीडियो कहां और कब शूट किया गया था, लेकिन सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.” वीडियो के मुताबिक, नकाबपोश व्यक्ति ने कहा, “हम ममता बनर्जी सहित सभी लोगों से अपील करते हैं कि कामतापुर राज्य की हमारी मांग का विरोध नहीं करें. उन्हें उत्तर बंगाल की यात्रा नहीं करनी चाहिए. हम आने वाले दिनों में अपना आंदोलन तेज करेंगे और सभी से सहयोग मांगेंगे.’’
वीडियो में कहा गया है, “अगर कोई हमें रोकने की कोशिश करता है, तो उसके नतीजे विनाशकारी होंगे. खूनखराबा होगा. हम इसके लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए तैयार हैं.” पुलिस ने इस वीडियो के संबंध में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. क्योंकि ममता मंगलवार को अलीपुरद्वार में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करने वाली हैं.
कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन पूर्वोत्तर भारत में स्थित एक बेहद वामपंथी उग्रवादी संगठन है जिसका उद्देश्य ‘कामतापुर’ को भारत से मुक्त करना है. इस आतंकी संगठन के प्रस्तावित राज्य में पश्चिम बंगाल के छह जिले और असम के चार निकटवर्ती जिले शामिल हैं.
इस क्षेत्र के अविकसित रहने का हवाला देते हुए 90 के दशक में पश्चिम बंगाल के उत्तरी जिलों और असम के पश्चिमी हिस्सों को काट कर अलग कामतापुर राज्य बनाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था. हालांकि, नब्बे के दशक के मध्य में केएलओ का गठन हुआ और इसके साथ ही आंदोलन हिंसक हो गया. पुराने केएलओ के ज्यादातर नेता या तो जेलों में हैं या तृणमूल शासन के तहत मुख्यधारा में लौट आए हैं. इस बीच कुछ छोटे समूह उभरे हैं जो राज्य की मांग के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास करते हैं.
कामतापुर पीपुल्स पार्टी (यूनाइटेड) के अध्यक्ष निखिल रॉय ने कहा, “अगर कोई धमकी दे रहा है तो इसका शायद ही कोई मायने हो. लेकिन मैंने वीडियो नहीं देखा है, इसलिए मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता.” केएलओ की चेतावनी को लेकर पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल और भारतीय जनता पार्टी के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया और तृणमूल ने बीजेपी पर राज्य में अलगाववादी आंदोलनों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.
उधर, तृणमूल के वरिष्ठ नेता पार्थ प्रतिम राय ने कहा, “यह स्पष्ट है कि बीजेपी नेता अपने निहित राजनीतिक हितों के लिए राज्य में अलगाववादी आंदोलनों को बढ़ावा दे रहे हैं. वो पिछले एक साल से अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की मांग कर रहे हैं.”
बीजेपी ने हालांकि आरोपों को बेबुनियाद बताया है. बीजेपी की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, “पश्चिम बंगाल का विभाजन सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक रूप से व्यवहार्य नहीं है. हम एक अलग राज्य के पक्ष में नहीं हैं. लेकिन हमें लगता है कि उत्तर बंगाल में विकास की जरूरत है. उस क्षेत्र के लोग लंबे समय से वंचित हैं.’’

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments