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‘आप’ ने लगाए दिल्ली के एलजी पर 1400 करोड़ के घपले का आरोप 

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‘आप’ ने लगाए दिल्ली के एलजी पर 1400 करोड़ के घपले का आरोप 

 

केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी के बीच तलवारें खिंच गई है. आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक ने दिल्ली विधानसभा में आरोप लगाया कि उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने 2016 में खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग का अध्यक्ष रहते हुए अपने कर्मचारियों पर 1400 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदलवाने के लिए दबाव डाला था. आरोपों पर उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी.

नए आरोपों से सत्तारूढ़ दल और उपराज्यपाल के बीच के संबंध और खराब हो सकते हैं. उपराज्यपाल सक्सेना ने पिछले महीने अरविंद केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जांच की सिफारिश की थी.

पाठक ने कहा, ‘‘जब वह केवीआईसी के अध्यक्ष थे, तब नोटबंदी हुई थी और वहां काम करने वाले एक खजांची ने लिखित में दिया था कि उन्हें नोट बदलने के लिए मजबूर किया गया था. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें निलंबित कर दिया गया. लेकिन हम इसकी जांच चाहते हैं. एक समाचार रिपोर्ट भी है और प्रभावित कर्मचारियों के बयान भी हैं.’’

उपराज्यपाल के खिलाफ नारेबाजी और तख्तियां लिए ‘आप’ विधायक आसन के समीप पहुंच गए जिसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष राखी बिड़ला ने विधानसभा की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया. ‘आप’ विधायक सक्सेना को दिल्ली के उपराज्यपाल पद से हटाने की मांग कर रहे थे.

सत्ताधार पार्टी ‘आप’ ने कहा, ‘‘जब वह केवीआईसी के अध्यक्ष थे तो उन्होंने अपने खजांजी पर दबाव डालकर पुराने नोट बदलवाये. अकेले दिल्ली शाखा में, 22 लाख रुपये बदले गए. देश भर में 7000 ऐसी शाखाएं हैं, जिसका मतलब है कि 1400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था.’’

आप विधायकों ने मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच की मांग की और उपराज्यपाल सक्सेना के इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग की. उन्होंने ‘‘उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना चोर हैं’’ और ‘‘वी के सक्सेना को गिरफ्तार करो’’ जैसे नारे लिखी तख्तियां लेकर विधानसभा परिसर में गांधी प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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