केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2023-24 का संसद में आम बजट पेश कर दिया है. अल्पसंख्यक समुदायों की नज़र से अगर देखा जाए तो यह बजट बेहद निराशाजनक है और यह बजट लगातार घटने के बावजूद अल्पसंख्यकों के प्रति सरकार की द्वेष भावना को साफ दिखाता है.
अगर वित्त मंत्री के इस बजट की समीक्षा की जाए तो अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में भारी कटौती कर दी गई है. हालांकि यह एक सच्चाई है कि पिछले साल के आधे से भी कम बजट का पैसा खर्च किया गया है. मदरसा शिक्षक आधुनिकीकरण योजना के अब पूरी तरह से रुक का खतरा है. जिसे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से केंद्रीय अल्पसंख्यक मदरसा शिक्षकों के मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया है. जिससे बजट लगभग खत्म सा हो गया है.
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट इस बार काम करके 3,097 करोड़ रुपए कर दिया गया है. जबकि साल 2022 – 23 में ये बजट 5,020 करोड़ रुपए था. हैरानी की बात तो यह है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने साल 2022- 23 में अपने 2,612 करोड़ रुपये के प्रस्तावित बजट में से आधे से भी कम खर्च किया था. प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप और मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप बंद होने को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं. लेकिन इस बार के बजट में स्किल डेवलपमेंट के लिए चलाई जा रही योजना का बजट 235 करोड़ से घटाकर सिर्फ 10 लाख कर दिया गया. जबकि नई मंजिल योजना भी 46 करोड़ से घटाकर 10 लाख के बजट में सीमित कर दी गई है.