Home ताज़ातरीन अज़रबैजान-अर्मेनिया में युद्ध जैसे हालात, झड़पों में 5 की मौत, कई घायल, अर्मेनिया बढ़ा रहा है तनाव: अज़रबैजान

अज़रबैजान-अर्मेनिया में युद्ध जैसे हालात, झड़पों में 5 की मौत, कई घायल, अर्मेनिया बढ़ा रहा है तनाव: अज़रबैजान

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अज़रबैजान-अर्मेनिया में युद्ध जैसे हालात, झड़पों में 5 की मौत, कई घायल, अर्मेनिया बढ़ा रहा है तनाव: अज़रबैजान

अर्मेनिया और नोगर्नो काराबाख में अलगाववादियों ने अज़रबैजानी सैनिकों पर हमला कर क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है, आर्मेनियाई समर्थित अलगाववादियों के हमले में 2 वरिष्ठ अज़रबैजानी सैनिकों की मौत हो गई है, जबकि कई घायल हो गए हैं. हालांकि अज़रबैजानी सैनिकों की जवाबी कार्रवाई में कई अलगाववादी ढेर और कई लोग घायल हुए हैं.

दरअसल अज़रबैजानी रक्षा मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि रूसी शांति सैनिकों के अस्थायी नियंत्रण के तहत अर्मेनिया से अज़रबैजानी क्षेत्रों में सैन्य उपकरण, गोला – बारूद और अलगाववादियों के मूवमेंट की जानकारी मिली थी, जो ज़ंकांडी-ज़ाल्फ़ाली-तुरसू गंदगी सड़क का उपयोग कर अज़रबैजान के क्षेत्र नोगर्नो – काराबाख में किसी बड़ी घटना को अंजाम देना चाहते थे. खबरों के अनुसार 5 मार्च की सुबह जब अज़रबैजानी सेना की यूनिट्स ने इन अवैध तरीके से सैन्य उपकरण सप्लाई करने वाले वाहनों को रोक कर उनको चेक करने का प्रयास किया, तभी विरोधी पक्ष ने अचानक ही अज़रबैजानी सैनिकों पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दिन, जिसके नतीजे में उसके दो वरिष्ठ सैनिकों की मौत जबकि कई घायल हो गए. जिसके बाद अज़रबैजानी सैनिकों द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में कई अलगाववादी ढेर जबकि कुछ घायल हुए हैं.

अज़रबैजानी रक्षा मंत्रालय ने अर्मेनिया की सरकार को नोगर्नो-काराबाख में अवैध तरीके से सैन्य उपकरण और गोला-बारूद पहुंचाने और अलगाववादियों को हर तरह से समर्थन देने का दोषी ठहराया है. बयान में अज़रबैजान ने अर्मेनिया पर पाखंड और जबरन कब्जे का भी आरोप लगाया है.

इस बीच अज़रबैजान के विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि इस तरह की आक्रामकता और उकसावे की हरकतें साफ जाहिर करती हैं कि आर्मेनिया ने अज़रबैजान के खिलाफ अपनी कब्जे की नीति में कोई बदलाव नहीं किया है, और शांति की कोशिशों पर आर्मेनिया की सोच महज पाखंड के अलावा और कुछ नहीं हैं. यह हरकत यह भी साबित कर रही है कि आर्मेनिया इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा स्थापित करने में किसी तरह की कोई दिलचस्पी नहीं रखता है. बयान में यह भी कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाइयाँ एक बार फिर अज़रबैजान और अर्मेनिया के बीच सीमा नियंत्रण-एक्जिट व्यवस्था लागू करने की आवश्यकता को साबित करती हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के सैन्य उकसावों को रोकने, अज़रबैजान त्रिपक्षीय घोषणा को लागू करने, आर्मेनिया से अवैध हथियारों और बड़े पैमाने पर गोला – बारूद को अलगाववादियों तक पहुंचाने, उनका समर्थन की हर कोशिश की न सिर्फ कड़ी आलोचना करता है बल्कि वो ये मांग भी करता है कि आर्मेनिया अपने सशस्त्र सैनिकों को अज़रबैजान के क्षेत्रों से तत्काल वापसी करे.

बयान में कहा गया है कि आज की यह उकसाने की घटना एक बार फिर इस बात की पुष्टि करती है कि अर्मेनियाई सैन्य-राजनीतिक नेतृत्व अज़रबैजानी क्षेत्र में हथियार और गोला-बारूद, साथ ही जनशक्ति की आपूर्ति करते हुए, अजरबैजान के खिलाफ तोड़फोड़ और उकसावे की अपनी कार्रवाई को जारी रखे हुए है.

बता दें कि अज़रबैजान के कब्ज़े वाले नोगर्नो – काराबाख क्षेत्र पर आर्मेनियाई समर्थित अलगाववादी समय समय पर उकसावे और अज़रबैजानी सैनिकों पर हमले कर इस क्षेत्र में तनाव पैदा करते रहे हैं. पिछले साल सितंबर में भी आर्मेनिया द्वारा उकसावे की कार्रवाई के बाद जंग जैसे हालात बन गए थे. तब दोनों देशों के 150 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे.

गौरतलब है कि इससे पहले सितंबर 2020 में भी दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया था. संघर्ष विराम के बाद युद्ध तो रुक गया, लेकिन समय-समय पर दोनों देशों के बीच झड़पे होती रहीं हैं. दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर विवाद है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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