राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीयमंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा, प्रजातंत्र पंगु हो गया है
विपक्ष की तरफ से मैदान में खड़े राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा अपना नामांकन भरने के बाद मीडिया को सम्बोधित किया और कई मसलों पर अपनी राय देश के सामने राखी है. उन्होंने यह उम्मीद जताई कि उनकी उम्मीदवारी को लेकर दिख रही विपक्षी एकजुटता 2024 के लोकसभा चुनाव तक कायम रहेगी. यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को ‘प्रतीकात्मक राजनीति’ का हिस्सा करार दिया और कहा कि वह पिछड़े समुदायों के कल्याण के संदर्भ में मोदी सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड पर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में बीजेपी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं जिस बीजेपी का हिस्सा था उसमें आंतरिक लोकतंत्र था, मौजूदा बीजेपी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है.
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहा कि उन्होंने समर्थन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सहित केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों को फोन किया था, लेकिन किसी से भी संपर्क नहीं हो पाया. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश और वित्त मंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि उन्होंने समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से संपर्क साधने का प्रयास किया था. सिन्हा ने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री जी के यहां फोन किया था, पूर्व की तरह इस बार भी उनके यहां से वापस कोई फोन नहीं आया. मैंने राजनाथ सिंह को फोन किया था, उनके यहां से फोन आया तो उस वक्त मैं उपलब्ध नहीं हो पाया. बाद में मैंने फोन किया तो उनसे बात नहीं हो पाई. बीजेपी में जितने पुराने साथी हैं, सबसे संपर्क करने की कोशिश करूंगा.
उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति के कल्याण के संदर्भ में मोदी सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड को लेकर सवाल खड़ा किया. सिन्हा ने कहा, ‘‘यह पहचान का मुकाबला नहीं है. यह विचारधारा का मुकाबला है. एक समुदाय से कोई व्यक्ति ऊपर उठ जाए तो पूरा समुदाय ऊपर नहीं उठ जाता. पिछले पांच साल से जो राष्ट्रपति हैं वो भी एक समुदाय से आते हैं, क्या उनके समुदाय की सभी समस्याओं का समाधान हो गया? ’’उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव दो विचारधाराओं के बीच चुनाव है.
सिन्हा ने कहा, मेरे नाम की घोषणा (द्रौपदी मुर्मू से) पहले हुई थी. राष्ट्रपति पद इतनी गरिमा का पद होता है कि बेहतर यह होता कि सबकी सहमति वाला एक उम्मीदवार होता. सरकार ने सर्वोच्च संवैधानिक पद के चुनाव के लिए सर्वसम्मति बनाने का प्रयास नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मौजूदा समय में प्रजातंत्र पंगु हो गया है. इससे भी बड़ी बात है कि सरकार अपनी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. ऐसा तो कभी नहीं हुआ था कि देश के बड़े-बड़े नेता ईडी के दफ्तर में पहुंच रहे हैं और 50 घंटे से अधिक पूछताछ हो रही है. सरकार की मंशा जांच करना नहीं है, बल्कि बेइज्जत करना है.’’
बता दें कि यशवंत सिन्हा ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार समेत कई प्रमुख विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में नामांकन दाखिल किया. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया था. राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होना है. मतगणना 21 जुलाई को होगी. वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है.