Thursday, November 21, 2024
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राज्यपाल सत्यपाल मालिक के आरोप पर सीबीआई करेगी जांच

पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान मेघालय के 21वें राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाया था कि जब वो जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल थे, तो संघ और बड़े औद्योगिक घरानों की फाइल क्लियर करने के बदले 300 करोड़ रुपये के रिश्वत की पेशकश की गई थी. हालांकि, उन्होंने फाइल क्लियर करने के बाद रिश्वत लेने से इनकार कर दिया था और उन सौदों को ही रद्द कर दिया था. अब इस तरह के आरोप की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने की है. माना जा रहा है कि मालिक के बागी तेवर को देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है. हालांकि कई जानकारों ने यह भी कहा है कि अगर राज्यपाल ने इस तरह के आरोप लगाए हैं तब इसकी जांच की जानी चाहिए. याद रहे सत्यपाल मलिक के राज्यपाल रहते ही जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा हटाने के लिए अनुच्छेद-370 को संसद से निरस्त कर दो केंद्रशासित प्रदेशों का गठन किया गया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सत्यपाल मलिक ने कहा था कि जब वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने, तब उनके पास दो फाइलें आई थीं. एक फाइल में अंबानी शामिल थे, जबकि दूसरी फाइल में आरएसएस के एक बड़े अधिकारी और महबूबा सरकार में मंत्री के करीबी रहे नेता जुड़े थे. ये नेता खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी बताते थे. राज्यपाल ने कहा था कि जिन विभागों की ये फाइलें थीं, उनके सचिवों ने उन्हें बताया था कि इन फाइलों में घपला है और सचिवों ने उन्हें यह भी बताया कि इन दोनों फाइलों में उन्हें 150-150 करोड़ रुपये मिल सकते हैं, लेकिन उन्होंने इन दोनों फाइलों से जुड़ी डील को रद्द कर दिया था.
सत्यपाल मलिक ने कहा था कि मैं दोनों फाइलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गया. मैंने उन्हें बताया कि इस फाइल में घपला है, ये-ये लोग इसमें इनवॉल्व है. ये आपका नाम लेते हैं, आप बताएं कि मुझे क्या करना है. मैंने उनसे कहा कि फाइलों को पास नहीं करूंगा, अगर करवाना है तो मैं पद छोड़ देता हूं. दूसरे से करवा लीजिए. मैं प्रधानमंत्री की तारीफ करूंगा, उन्होंने मुझसे कहा कि सत्यपाल करप्शन पर कोई समझौता नहीं करने की जरूरत है.
अब मालिक के उसी आरोप की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश जम्मू कश्मीर प्रशासन ने की है. संभव है कि इस पर जांच शुरू भी हो जाए. लेकिन इसके क्या परिणाम सामने आएंगे, कहना मुश्किल है. जबतक इस पर सीबीआई की रिपोर्ट आएगी तबतक मलिक रिटायर्ड हो चुके होंगे. फिर इस रिपोर्ट पर क्या करवाई होगी कहना कठिन है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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