मिशन 2024 को लेकर सत्ता पक्ष की अपनी तैयारी है तो विपक्ष की अपनी तैयारी. नीतीश कुमार कांग्रेस को साथ लेकर विपक्ष भूमिका को मजबूत करने में जुटे हैं तो तेलंगाना के सीएम केसीआर किसी भी सूरत में विपक्षी एकता में कांग्रेस को साथ रखने को तैयार नहीं हैं. तेलंगाना में केसीआर की लड़ाई कांग्रेस से है और वो नहीं चाहते कि बीजेपी को घेरने की लड़ाई में कांग्रेस विपक्ष की धुरी बने. रविवार को केसीआर ने राष्ट्रीय पार्टी लॉन्च करने का ऐलान कर दिया है. तेलंगाना सीएम के कार्यालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रीय दल के गठन का ऐलान बुद्धिजीवियों, अर्थशास्त्रियों और जानकारों के साथ लंबी चर्चा के बाद लिया गया है. केसीआर ने कहा, ‘जल्द ही एक राष्ट्रीय पार्टी का गठन और नीतियां तैयार की जाएंगी.’ तेलंगाना में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. केसीआर की रविवार को मुलाकात को कर्नाटक के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी से हुई. इस मुलाकात में यह सहमति बनी कि बीजेपी को मात देना जरुरी है. लेकिन विपक्षी एकता से किसी भी तरह से कांग्रेस को दूर रखना है. कुमार स्वामी की सहमति और साथ मिलने के बाद केसीआर ने दक्षिण से इस तरह की राजनीति शुरू करने की बात कही है. इसका प्रभाव उत्तर भारत में क्या होगा इसे देखना होगा. लेकिन केसीआर के इस खेल का विपक्षी एकता पर प्रभाव पड़ता दिख रहा है. बता दें कि केसीआर पिछले साल भर से सभी विपक्षी दलों से मिल रहे हैं और अभी हाल में भी वो पटना जाकर नीतीश कुमार से मिले थे.
हैदराबाद में केसीआर और कुमार स्वामी की हुई इस मुलाकात के दौरान देश के राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों नेताओं ने विपक्षी एकता तैयार करने में राव की भूमिका पर बात की. तेलंगाना राष्ट्र समिति के एक पदाधिकारी का कहना है कि देश के लोग ‘गैर कांग्रेसी’ विकल्प के लिए तैयार हैं और बीजेपी के हमलों का सामना करने के लिए क्षेत्रीय दलों को साथ आना होगा. रविवार को केसीआर को कुमार स्वामी का बड़ा समर्थन मिला है. खास बात है कि केसीआर ने बीजेपी के खिलाफ गठबंधन से कांग्रेस को भी बाहर रखा है. उनका कहना है कि बीजेपी का विकल्प बनने के लिए कांग्रेस उतनी मजबूत नहीं है और लोगों का भरोसा उसके नेतृत्व से उठ गया है.
हाल ही में बिहार पहुंचे केसीआर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात कर चर्चा की थी. अब इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि क्षेत्रीय नेताओं के साथ हुई कुछ चर्चाओं में कांग्रेस को किसी भी संघीय गठबंधन से बाहर रखने की बात खासतौर पर शामिल थी. तेलंगाना सीएम वाम दलों का समर्थन भी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.
केसीआर के इस पहल का विपक्षी एकता पर कितना असर पड़ता है इसे देखना होगा. जानकार मान रहे हैं कि इससे विपक्षी एकता नहीं बन सकती. ऐसे में केसीआर का कोई भी प्रयास बीजेपी को ही लाभ पहुंचाता दिख रहा है. बीजेपी भी चाहती है कि विपक्षी एकता नहीं बने. अब इस पुरे मामले को नीतीश और पवार के साथ ही ममता और नविन पटनायक किस रूप में देखते हैं इस पर गौर करने की जरूरत है.