संसद के विशेष सत्र के बीच सोमवार को मोदी कैबिनेट ने बड़ा कदम उठाते हुए महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लोकसभा और विधानसभाओं जैसी निर्वाचित संस्थाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण को मंजूरी दे दी गई है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक महिला आरक्षण बिल को 19 सितंबर यानी मंगलवार को संसद में पेश किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि दोपहर एक बजे के बाद इसे लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है. सरकार की कोशिश है कि इसे व्यापक चर्चा के बाद बुधवार को पास करवा लिया जाए.
इससे पहले संसद का विशेष सत्र शुरू होने से ठीक पहले सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का सत्र छोटा है लेकिन समय के हिसाब से बहुत बड़ा, मूल्यवान और ऐतिहासिक निर्णयों का है.
बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में कांग्रेस, बीजू जनता दल और भारत राष्ट्र समिति सहित कई दलों ने महिला आरक्षण बिल को पेश करने की सरकार से मांग की थी.
बता दें कि महिला आरक्षण बिल पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की सरकार के समय 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया गया था. तब से लेकर अब तक ये बिल 27 वर्षों से ज्यादा समय से लंबित है. इस विधेयक का मुख्य लक्ष्य महिलाओं के लिए लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में 15 साल के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करना है.
उसके बाद पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में लोकसभा में इस बिल को आगे बढ़ाया, लेकिन ये फिर भी पारित नहीं हुआ. यूपीए-1 की सरकार के दौरान 6 मई, 2008 को इस विधेयक को राज्यसभा में दोबारा पेश किया गया. महिला आरक्षण विधेयक 9 मई, 2008 को स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया. स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट 17 दिसंबर, 2009 को प्रस्तुत की गई. केंद्रीय कैबिनेट ने फरवरी 2010 में इस विधेयक को मंजूरी दे दी. इसके बाद 9 मार्च, 2010 को राज्यसभा से पारित हो गया, लेकिन लोकसभा में लंबित था.