Friday, November 22, 2024
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बिहार में होगी जाति आधारित गणना, देश के कई राज्यों में भी शुरू हुई सुगबुआहट 

 

अखिलेश अखिल

 

बिहार में जाति आधारित गणना होगी. बुधवार को इस मसले पर सर्वदलीय बैठक में आम सहमति से यह तय हो गया कि सूबे में जाति आधारित गणना होगी और इसका खर्च राज्य सरकार उठाएगी. खबर के मुताबिक़ आज इस मसले को लेकर कैबिनेट की बैठक भी हो सकती है. अगर सब कुछ ठीक ठाक चला तो जल्द ही इस दिशा में काम जल्द ही आगे बढ़ेगा. पहले बीजेपी इसका विरोध कर रही थी लेकिन बदलती राजनीति को देखते हुए बीजेपी ने भी अपनी सहमति दे दी है. इस गणना का कई अन्य राज्यों पर भी असर पड़ने जा रहा है. यूपी और मध्यप्रदेश में भी इस जाति आधारित गणना की मांग उठ रही है. अगर कई राज्यों में इसकी मांग जोड़ पकड़ती है तो आने वाले समय में देश का राजनीतिक बदल सकता है.

बता दें कि जाति आधारित गणना के माध्यम से राज्य के सभी धर्मों व संप्रदायों के प्रत्येक व्यक्ति के बारे में हर तरह की जानकारी इकट्ठी की जायेगी. जाति के साथ उपजाति, निवास स्थान, घर सहित अमीर और गरीब की भी जानकारी जुटायी जायेगी. इसका मकसद राज्य में उपेक्षित वर्गों और व्यक्तियों की पहचान कर उनका विकास करना है. कल सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि इसका नाम ‘जाति आधारित गणना’ होगा. बैठक में मुख्यमंत्री समेत जदयू, बीजेपी, हम, राजद, कांग्रेस, भाकपा, भाकपा-माले, माकपा, एआइएमआइएम के 16 प्रतिनिधि शामिल हुए. मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना करवाने में राज्य सरकार खर्च करेगी.

अब सर्वदलीय बैठक में सहमति के बाद इसे कैबिनेट में पेश कर खर्च की जाने वाली राशि की मंजूरी ली जायेगी. साथ ही इसके लिए समय सीमा तय की जायेगी. इसके लिए कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि अलग-अलग जातियों में अनेक उपजातियां हैं. जाति व उपजाति सभी की गणना की जायेगी. हम लोगों का मकसद सभी का विकास करना, उन्हें आगे बढ़ाना है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विधानसभा से दो बार सर्वसम्मति से इसका प्रस्ताव पास किया जा चुका है. इसके बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना करवाने का प्रस्ताव रखा था. उस पर पीएम ने कहा था कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर नहीं किया जा सकता है, राज्य स्तर पर किया जा सकता है.

सीएम ने कहा कि बिहार में इसकी शुरुआत के बाद सभी राज्य इस पर विचार कर रहे हैं. अगर सभी राज्यों में यह हो जायेगी, तो राष्ट्रीय स्तर पर ऑटोमेटिक हो जायेगी. हमलोग जातीय गणना को बिहार में बहुत अच्छे ढंग से करना चाहते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वदलीय बैठक कर जातीय जनगणना का निर्णय पहले ही ले लिया जाता, लेकिन विधान परिषद और स्थानीय निकाय चुनावों की वजह से इसमें विलंब हुआ.

बता दें कि सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा राजद से तेजस्वी यादव व मनोज झा, जदयू से मंत्री विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव व श्रवण कुमार, बीजेपी से उपमुख्यमंत्री तारकिशाेर प्रसाद और प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, हम से पूर्व सीएम जीतनराम मांझी, भाकपा माले से महबूब आलम, भाकपा से रामनरेश पांडेय व रामरतन सिंह, माकपा से ललन चौधरी व अजय कुमार, कांग्रेस से अजीत शर्मा और एआइएमआइएम के अख्तरुल ईमान शामिल हुए़ थे.

जाति आधारित गणना के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके शुरू होने के बाद सब कुछ पब्लिक डोमेन में उपलब्ध होगा. इसे हर कोई देख सकेगा. इसके बारे में समय-समय पर राजनीतिक दलों सहित मीडिया को जानकारी दी जायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कैबिनेट से पास होने के बाद इसके बारे में विज्ञापन दिया जायेगा. सोशल मीडिया के माध्यम से भी प्रचारित किया जायेगा. इसका मकसद आम लोगों को जानकारी उपलब्ध करवाना है.

यह भी देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं, वो इस गणना की आड़ में पिछड़े या अति पिछड़े नहीं बन जाएं. ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं, जिनके कारण पिछड़ों की हकमारी होती है. देश में सरकारी तौर पर 3747 जातियां हैं. जबकि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिये हलफनामे में बताया कि 2011 के सर्वे में जनता ने 4.30 लाख जातियों का ब्योरा दिया है. ऐसा यहां नहीं हो, इसके लिए सावधानी बरतने की जरूरत है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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