अखिलेश अखिल
बड़ी मछलियां कैसे छोटी मछलियों को अपना निवाला बनाती हैं इसका उदहारण बिहार में देखने को मिल रहा है. वीआईपी नेता मुकेश साहनी बड़े मजबूत अंदाज में बिहारी की राजनीति में अपनी पैठ बना रहे थे. पिछले चुनाव में चार विधायक जीतकर वह एनडीए का हिस्सा भी बने थे. लेकिन अब पार्टी के अध्यक्ष मुकेश साहनी ही पैदल होने वाले हैं. उनके तीन विधायकों को बीजेपी ने अपना बना लिया है जबकि मुकेश साहनी को अब मंत्रिमंडल से हटाने की तैयारी चल रही है. इसकी विधिवत शुरुआत भी हो गई है. इसके लिए बीजेपी ने अनुशंसा भी कर दी है. जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल को इस संबंध में पत्र भेज दिया है.
मिली जानकारी के अनुसार आज ही राज्यपाल, मुकेश साहनी को मंत्रीमंडल से निकालने के संबंध में आदेश जारी कर सकते हैं. बीजेपी में जब से विकासशील इंसान पार्टी के विधायक शामिल हुए थे, तभी से बीजेपी मुकेश सहनी का इस्तीफा मांग रही थी. हालांकि शुक्रवार को साहनी विधानसभा पहुंचे थे, जहां उन्होंने मंत्री के रूप में एक सवाल का जवाब भी दिया था, जदयू-बीजेपी के नेताओं से बात भी की थी.
मुकेश सहनी के पास मत्स्य पालन और पशुपालन विभाग था. विधायकों के भाजपा में जाने के बाद साहनी का जाना तय माना जा रहा था. साहनी खुद पिछला चुनाव हार गए थे, लेकिन उनके चार विधायक विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे, जिसके बाद वो नीतीश सरकार में बने रहे और मंत्री बनें. लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ उतरना उनके लिए भारी पड़ गया. सीट तो जीत नहीं पाए, बिहार सरकार से भी बाहर हो गए.
मुकेश साहनी की इच्छा थी कि बीजेपी उन्हें यूपी चुनाव में सीट दे, लेकिन यहां पहले से ही मल्लाह समाज के नेता संजय निषाद की पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन था, ऊपर से साहनी का यहांं उस तरह से जनाधार भी नहीं था. यूपी में हारने के बाद भी साहनी शांत नहीं बैठे और एमएलसी चुनाव में एनडीए से अलग हो कर उम्मीदवार उतारने लगे.
इसके बाद उनकी पार्टी के सभी तीन विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. इसके साथ ही बीजेपी के पास 77 विधायक हो गए और वो बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बन गई. बीजेपी में शामिल होने वाले तीन विधायक राजू सिंह, मिश्रीलाल यादव और स्वर्ण सिंह हैं.
साहनी की पार्टी के चौथे विधायक का निधन हो गया था, जहां अभी उपचुनाव की प्रक्रिया चल रही है. इस सीट पर भी विवाद था. यहां से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार उतार दिया था, जिसके विरोध में वीआईपी ने भी अपना कैंडिडेट उतारा दिया है.
मुकेश साहनी से पहले उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का जदयू में विलय हो चुका है तो चिराग पासवान के छह सांसदों में से पांच सांसद बीजेपी में जा चुके हैं. चिराग की पार्टी भी अब उनसे छिन चुकी है. उनकी पार्टी अब उनके चाचा के नाम हो गई है.