ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा के लिए महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया. बोर्ड द्वारा जारी किए गए बयान के मुताबिक बैठक में समान नागरिक संहिता सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई.
इसके अलावा बोर्ड की इस बैठक में देश में तेज़ी से बढ़ रहे नफरती माहौल पर भी गहरी चिंता जताई गई और कहा गया कि देश में जिस तरह से समाज में नफरत का जहर घोला जा रहा है यह देश के लिए बड़ा ही नुकसानदेह और घातक है.
बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए खालिद मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि हमारे देश के लिए जिसमें विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं वहां समान नागरिक संहिता जैसे कानून की कोई जरूरत नहीं है. हर समुदाय या वर्ग को अपनी पहचान के साथ देश में रहने की आज़ादी होनी चाहिए.
उन्होंने असम में बाल विवाह के खिलाफ चल रहे अभियान की कड़ी आलोचना की और कम उम्र में बाल विवाह के तहत की जा रही धर पकड़ और गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह शादियां काफी पहले हो चुकी हैं, और अब उनके खिलाफ यह कार्रवाई पूरी तरह से नामुनासिब और गलत है. उन्होंने कहा कि यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में है. इसलिए असम सरकार को इस तरह की कार्रवाई से बचना चाहिए.
बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि देश के संविधान ने सभी को अपने धर्म का पालन करने की आजादी दी है. इसमें पर्सनल लॉ शामिल है. इसलिए सरकार को हर व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए और समान नागरिक संहिता कानून लागू करना सरकार का एक अनावश्यक कदम होगा. इतने बड़े देश में जहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते और बस्ते हैं, ऐसा कानून संभव नहीं है और इससे देश का भला नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि बोर्ड में हाउस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 पर भी लंबी बहस हुई और कहा गया कि यह कानून सरकार का बनाया हुआ कानून है. जिसे संसद ने मंजूरी दी है. इसे बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है. इससे देश को भी फायदा होता है.
बैठक में ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस इत्तेहाद मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी सहित 51 सदस्यों ने भाग लिया.