Saturday, September 7, 2024
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दिल्ली आ रही ममता बनर्जी विपक्षी एकता को फिर एकजुट करेंगी, सोनिया गाँधी से करेंगी मुलाकात 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर से विपक्षी एकता को एकजुट करने का प्रयास करेगी. ममता पांच दिवसीय यात्रा पर दिल्ली आ रही है. इस यात्रा में ममता की पहली मुलाकात सोनिया गाँधी से होने की सम्भावना है. राष्ट्रपति चुनाव में आई दरार और प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई से परेशान विपक्ष एक बार फिर एकजुट होने की कोशिश में है. ममता एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तेलंगाना राष्ट्र समिति के केसीआर, सपा नेता अखिलेश यादव, आप नेता अरविंद केजरीवाल और डीएमके नेता एमके स्टालिन एक मंच पर आ सकते हैं. इन दलों के लोकसभा में लगभग 125 सांसद हैं.

जानकारी के मुताबिक ममता बुधवार को दिल्ली में टीएमसी के सांसदों से मिलेंगी. अगले दिन अन्य दलों के नेताओं से मिलेंगी. शुक्रवार को उनकी सोनिया से मुलाकात होनी है. शनिवार को ममता तेलंगाना, तमिलनाडु, दिल्ली, पंजाब के मुख्यमंत्रियों से मिलेंगी.

इसी दिन एक लिस्ट भी सार्वजनिक करेंगी. सूत्रों का कहना है कि यह सूची उन नेताओं की होगी, जिनके बीजेपी में शामिल होने या अप्रत्यक्ष मदद के लिए राजी होने के बाद उनके खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई थम गई. वहीं, टीएमसी सूत्रों के मुताबिक, शिक्षक घोटाले में करीबी मंत्री और टीएमसी संस्थापक सदस्य पार्थ चटर्जी के करीबी के यहां ईडी के छापे में बरामद रकम से ममता बैकफुट पर थीं.

राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्षी एकता में दरार दिखी थी, उसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि ममता विपक्षी एकता का नेतृत्व करने से खुद को दूर करने लगी हैं और मोदी सरकार को लेकर उनका रुख नरम होने जा रहा है, लेकिन इसके बजाय उल्टा हुआ. ईडी की कार्रवाई के बाद ममता ने पार्थ को मंत्री पद से हटाया और आक्रामक रहने का फैसला किया. दूसरी ओर, नीति आयोग की रविवार को बैठक है. इसमें ममता पहली बार शामिल होंगी.

संसद के मौजूदा मानसून सत्र के शुरुआती दो हफ्ते हंगामे में बीते हैं. मिली जानकारी के अनुसार गतिरोध तोड़ने के लिए सरकार महंगाई और जीएसटी के मुद्दे पर बहस कराने के लिए राजी हो गई है. इस सहमति पर पहुंचने के लिए दिनभर में अनौपचारिक मुलाकातों का दौर चला. सत्ताधारी एनडीए की ओर से बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अहम भूमिका निभाई.

कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश सक्रिय रहे. राज्यसभा में विपक्ष के नेता खुड़गे ने अपने चैंबर में दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की. इसी के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष ने रुख नरम करने का संकेत दिया. माना जा रहा है कि सोमवार को लोकसभा में महंगाई पर चर्चा हाेगी. फिर मंगलवार को राज्यसभा में चर्चा होगी. वैसे भी संसद के सुचारू रूप से संचालित होने के हालात भी पैदा हो चुके हैं. राज्यसभा से इस सप्ताह के शुरुआती 3 दिनों में 27 सदस्यों के निलंबन की अवधि पूरी हो गई है.

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क्या एकनाथ शिंदे सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार संभव होगा ? जब सभी विधयक मंत्री बनना चाहते हैं तब सरकार का मुखिया मंत्रिमंडल विस्तार कर पायेगा ? असंभव लगता है. महाराष्ट्र में शिंदे सरकार की यही परेशानी है. शिंदे के साथ 50 विधायक हैं. इनमे शिवसेना के 40 और बाकि दलों और निर्दलीय के दस विधायक है. शिंदे के समर्थन में खड़े सभी 40 विधायक मंत्री पद चाहते हैं. यही समझ निर्दलीय विधायकों की भी है. अगर शिंदे ने ऐसा नहीं किया तो परेशानी होगी और एकता भी भांग हो सकती है. उधर बीजेपी के लोग किसी भी तरह से मंत्रिमंडल का विस्तार चाह रहे हैं. खबर के मुताबिक़ इस पुरे मामले की रेख गृह मंत्री अमित शाह खुद कर रहे हैं, लेकिन वो भी बेवस हैं. जानकारी के मुताबिक शाह मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी भी कर चुके हैं लेकिन घोषणा नहीं कर पा रहे हैं. डर है कि घोषणा होते ही शिंदे समर्थक शिव सैनिक विधायकों में असंतोष फैलेगा और फिर सारा खेल खराब हो सकता है. बता दें कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का गठन हुए 29 दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके सम्बन्ध में सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को कहा कि कैबिनेट विस्तार दो से तीन दिनों में हो जायेगा. वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक तारीख निर्धारित करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह कहा कि मंत्रियों को विभागों को जल्द ही आवंटित किया जाएगा. सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के लिए एकनाथ शिंदे गुट के सामने “आंतरिक अशांति” जिम्मेदार है. सूत्र ने कहा कि असली बात यह है कि विधायकों को इस हकीकत से रूबरू कराया जाए कि वो सभी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते और सभी विधायक मंत्री नहीं बन सकते. उधर, भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि बीजेपी अभी वेट एंड वाच की स्थिति में है. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “हमें काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. शिंदे गुट पर नजर डालें तो वहां 50 विधायक हैं. इनमें 40 विधायक शिवसेना के हैं. हर कोई मंत्री बनना चाहता है. कुल मिलाकर महाराष्ट्र में सीएम सहित 43 मंत्री हो सकते हैं.” बीजेपी के एक अन्य सूत्र ने कहा, “अगर हम कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बिहार में गठबंधन सरकारों के पिछले उदाहरणों को देखें, तो मंत्रिमंडल का विस्तार करने के लिए एक महीने का समय लंबा नहीं है.” वहीं पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि असली शिवसेना कौन है या सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. मामले की सुनवाई 1 अगस्त को सूचीबद्ध है. बीजेपी के एक पूर्व मंत्री ने कहा कि समस्या शिंदे गुट तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि 106 विधायकों वाली बीजेपी एक बड़ी पार्टी है. इसे सेकेंडरी भूमिका निभाते हुए नहीं देखा जा सकता. इसके समर्थन के बिना शिंदे गुट महाराष्ट्र पर शासन नहीं कर सकता. देखना है कि शिंदे सरकार का विस्तार कब तक होता है. उधर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे भी पार्टी की मजबूती को लेकर अपने समर्थकों के बीच खड़े हैं. उम्मीद की जा रही है कि अगर शिंदे समर्थक विधयकों की मंशा पूरी नहीं की गई तो खेल और भी विचित्र हो सकता है. संभव है कि कुछ लोग उद्धव के पास लौट सकते हैं या फिर किसी पार्टी के साथ जुड़कर एक नया तमाशा खड़ा कर सकते हैं.
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Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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