Sunday, December 22, 2024
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तुषार गांधी का दावा : सावरकर ने राष्ट्रपिता की हत्या के लिए बंदूक खोजने में मदद की थी 

महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने दावा किया है कि स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर ने राष्ट्रपिता की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे को एक ”कारगर बंदूक” खोजने में मदद की थी. हालांकि भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई ने तुषार गांधी की इन टिप्पणियों को निराधार बताया है.

तुषार गांधी ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि सावरकर ने न केवल अंग्रेजों की मदद की, बल्कि उन्होंने बापू की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे को एक “कारगर बंदूक” खोजने में भी मदद भी की. बापू की हत्या से दो दिन पहले तक गोडसे के पास मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या के लिए एक विश्वसनीय हथियार नहीं था.

कार्यकर्ता और लेखक तुषार गांधी ने यह भी दावा किया कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के दादा प्रबोधनकर ठाकरे ने महात्मा के साथियों को राष्ट्रपिता की हत्या की साजिश के बारे में आगाह किया था. इस संदर्भ में तुषार गांधी ने “सनातनी हिंदुओं के नेता” सावरकर और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार की आलोचना की.

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि जब 1930 के दशक में बापू को मारने के लिए कई प्रयास किए गए, तो प्रबोधनकर ठाकरे ने बापू के साथियों को अकोला, विदर्भ में बापू को मारने की साजिश के बारे में आगाह किया और बापू की जान बचाई. इसके बाद उन्होंने सनातनी हिंदू संगठनों और महाराष्ट्र में उनके नेतृत्व को बापू पर जानलेवा हमलों से दूर रहने की सार्वजनिक चेतावनी दी थी. उन्होंने आगे कहा कि सावरकर और हेडगेवार सनातनी हिंदुओं के नेता थे, इसलिए इसलिए प्रबोधनकर की चेतावनी उन्हीं के लिए थी. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को उनके इतिहास के इस अंश को अवश्य याद दिलाना चाहिए.

तुषार गांधी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि अदालत ने इस मामले (महात्मा गांधी हत्या) में अपना फैसला सुनाया था और सावरकर को इस तरह के आरोपों से बरी कर दिया था. फिर भी कुछ लोग इस तरह की निराधार टिप्पणी करके सावरकर के खिलाफ समाज को गुमराह करते हैं.

तुषार गांधी की सावरकर पर यह आलोचनात्मक टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के महाराष्ट्र चरण के दौरान आरोप लगाने के बाद आई है. राहुल गांधी ने कहा था कि हिंदुत्व विचारक ने अंग्रेजों की मदद की और जेल में रहते हुए डर के मारे उन्हें दया याचिका लिखी. राहुल गांधी द्वारा पिछले सप्ताह स्वतंत्रता सेनानी सावरकर को लेकर गए बयानों पर बीजेपी नेताओं के साथ-साथ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने आलोचना की थी.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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