Sunday, September 8, 2024
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और दिल्ली में फिर से डट गए किसान, बोले, मांगें नहीं हुई पूरी तो फिर होगा आंदोलन

दिल्ली में फिर से किसान डट गए हैं. उनकी वही मांगे हैं जो पहले थी और केंद्र सरकार ने तब उनसे वादा किया था कि बहुत जल्द ही उनकी मांगे पूरी की जाएगी. लेकिन अभी तक सरकार ने मांगे पूरी नहीं की हैं. अपनी मांगों को लेकर अब देश भर के किसान फिर दिल्ली पहुँच गए हैं. और लगातार पहुँच भी रहे हैं. माना जा रहा है कि इस बार की यह लड़ाई और लम्बी चल सकती है.
बता दें कि केंद्रीय सरकार के तीन कृषि कानून का विरोध करते हुए किसानों ने दिल्ली में करीब एक साल से अधिक समय तक धरना प्रदर्शन किया था. हालांकि केंद्र सरकार कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद किसानों ने अपना धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया था. लेकिन एक साल के बाद फिर से किसान दिल्ली की ओर वापस लौटे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की अगुआई में जंतर-मंतर में किसानों ने महापंचायत की. जिसमें बड़ी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया.
किसानों के दिल्ली लौटने और महापंचायत करने का बड़ा उद्देश्य है बेरोजगारी. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस महापंचायत के माध्यम से केंद्र सरकार को बेरोजगाारी के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की. हालांकि इसके अलावा भी किसानों के मुद्दे हैं, जिसपर महापंचायत में चर्चा की गई. ऐसी भी खबर है कि किसानों की मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जितने भी मामले दर्ज किये गये हैं, उन्हें वापस लिया जाए. एसकेएम के सदस्य और ‘महापंचायत’ के आयोजक अभिमन्यु सिंह कोहर ने कहा, महापंचायत एक दिवसीय शांतिपूर्ण कार्यक्रम है, जहां हम एमएसपी पर कानूनी गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक 2022 रद्द करने समेत अपनी मांगों को दोहराएंगे.
जंतर-मंतर में आयोजित महापंचायत में पंजाब, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के कुछ हिस्सों से किसानों से हिस्सा लिया. किसानों का आरोप है कि पहले किसानों के आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने हमारी सभी मांगों पर विचार करने का वादा किया था लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. इसलिए हम फिर से अपनी मांगें उठाएंगे और उन पर चर्चा करेंगे तथा आंदोलन की भावी रणनीति बनाएंगे.
गौरतलब है कि नवंबर 2020 में पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल लिया था. इन कानूनों को एक साल बाद निरस्त कर दिया गया. केंद्र ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी सुरक्षा, किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने समेत उनकी अन्य मांगों पर विचार करने का वादा किया था, जिसके बाद गत वर्ष दिसंबर में किसानों ने अपना आंदोलन निलंबित कर दिया था.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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