राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित जमीयत ए उलेमा हिंद के 34 वें तीन दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन मंच पर मौलाना सैयद अरशद मदनी के भाषण के बाद हंगामा खड़ा हो गया. दरअसल, दरअसल जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अल्लाह और ओम को एक ही बताया था, जिस पर जैन मणि आचार्य लोकेश भाषण के तुरंत बाद पोडियम पर पहुंच कर विरोध जताते हुए हंगामा खड़ा कर दिया. उसके बाद उनके समेत कई अन्य धर्मगुरु मंच छोड़ कर चले गए.
दरअसल अपने भाषण के दौरान जमीयत के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने कहा कि उनके पूर्वज ‘मनु’ यानी आदम थे. उन्होंने ओम की पूजा की. ओम कौन है? ओम और अल्लाह एक हैं. मौलाना अरशद मदनी ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि मनु सबसे पहले भारतीय भूमि पर आए और मनु ने यहां एकेश्वरवाद का प्रचार किया. मनु जिसे हम आदम कहते हैं, उसे हम धरती पर आने वाला पहला पैगम्बर मानते हैं. वो इस धरती पर आए और हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी उनके वंशज हैं.
उनके इस बयान पर जैन गुरु लोकेश मुनि ने मंच पर खड़े होकर विरोध जताया और कहा, ”कार्यक्रम में शामिल होने में आपत्तिजनक बातें क्यों?” लोकेश मुनि ने कहा कि हम यहां समरसता, राष्ट्रीय एकता की बात करने आए हैं, लेकिन यहां एक धर्म विशेष को बड़ा बनाने की कोशिश की जा रही है. हम इसका विरोध करते हैं और हम इस सम्मेलन का बहिष्कार करते हैं. जिसके बाद मंच के सामने अफरातफरी मच गई और आचार्य लोकेश मणि का विरोध करने पर उनके खिलाफ नारेबाजी की गई. इस दौरान आचार्य लोकेश मणि के साथ सरदार चंडोक सिंह और मंच पर मौजूद कुछ अन्य धर्म गुरु वहां से चलेंगे.
दूसरी ओर जमीयत के मंच से स्वामी चानमयानन्द ने कहा कि नफरत से किसी का भला नहीं हुआ है, लेकिन प्यार जीवन भर रह सकता है. धर्म के नाम पर जब हम बंटे तो एक देश से दो हो गए.
मंच पर मौजूद परमार्थ निकितन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद ने कहा कि मौलाना अरशद मदनी एक इस्लामिक विद्वान हैं. और मुझे पूरी उम्मीद थी कि वह यहां से इस्लाम के बारे में बात करेंगे. उन्होंने यहां इस्लाम की ही बात की है. जिस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है. हम यहां शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए आए हैं और हमने यहां अपनी बात रखी भी है. उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी बात है कि मौलाना ने आज मंच से मनु और ओम की उपस्थिति को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने कहा कि अगर हमें कोई आपत्ति है तो हमें बाद में स्पष्टीकरण मांगना चाहिए था, ना कि मंच से ही इसका विरोध शुरू कर देते. मैं जैन गुरु लोकेश मुनि के विरोध के तौर तरीके से सहमत नहीं हूं.