Tuesday, December 3, 2024
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अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के फैसले को सुरक्षित

जम्मू कश्मीर से मोदी सरकार द्वारा रातों रात हटाए गए धारा 370 मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधानिक पीठ ने 16 दिन चली ज़ोरदार बहस के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है. दरअसल 5 अगस्त 2019 को संसद ने जम्मू – कश्मीर को धारा 370 के तहत हासिल विशेष दर्जा खत्म करने का प्रस्ताव पास किया था. साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेश – जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का भी फैसला लिया गया था. बता दें कि अनुच्छेद 370 के तहत ही जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था.

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मामले की सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने सबसे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुहम्मद अकबर लोन के हलफनामे पर चर्चा की.जिसके जवाब में सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें अकबर लोन का हलफनामा कल रात मिला है. उसमें साफ दिख रहा है कि जब आतंकी हमला हुआ था, तो लोन की सहानुभूति सिर्फ आतंकियों और सिविलयन लोगों के लिए थी. उन्होंने भारत का जिक्र ऐसे किया है, जैसे ये कोई विदेशी देश हो. तुषार मेहता ने आगे कहा कि लोन के हलफनामे में ये बात होनी चाहिए कि वो इस बयान को वापस ले रहे हैं, वो आतंक का समर्थन नहीं करते हैं, वो किसी अलगाववादी गतिविधि का समर्थन नहीं करते हैं और इस देश का कोई नागरिक ऐसी बात नहीं कर सकता है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की इस संवैधिक बेंच में भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत जैसे जजेज़ शामिल हैं. संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित थी.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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