Monday, December 23, 2024
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सऊदी अरब में सात साल बाद ईरानी दूतावास फिर से खुल गया

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रियाद: सऊदी अरब में ईरान का दूतावास 7 साल बाद एक बार फिर से खुल गया है. दूतावास का मेन गेट खोल कर एक टीम ने इसका निरीक्षण किया.

विदेशी समाचार एजेंसियों गल्फ न्यूज और अलमनेटर के अनुसार, ईरान की तकनीकी निरीक्षण टीम ने बंद दूतावास का में गेट खोला और इमारत का अच्छी तरह से निरीक्षण किया.

गौरतलब हो कि ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि एक तकनीकी प्रतिनिधिमंडल जल्द ही सऊदी अरब भेजा जाएगा, फिलहाल यह तकनीकी प्रतिनिधिमंडल रियाद में मौजूद है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने इस संबंध में कहा था कि ईरानी प्रतिनिधिमंडल रियाद और जेद्दाह में दूतावास और वाणिज्य दूतावास खोलने के लिए जल्द ही आवश्यक कदम उठाएगा.

याद रहे कि राजनयिक मिशन 2016 में उस समय बंद हो गया था जब तेहरान में सऊदी अरब के दूतावास पर हमले बाद रियाद ने ईरान के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे.

शिक्षा का भगवाकरण: NCERT ने मौलाना आज़ाद को भी नहीं बख्शा, 11 वीं क्लास की बुक से चैप्टर हटाया

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मशहूर शिक्षाविद और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का जिक्र राजनीति विज्ञान की किताब से हटा दिया गया है.

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मशहूर शिक्षाविद्, स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का उल्लेख राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की किताब से हटा दिया गया है. इसे युक्तिसंगत बनाने के लिए एनसीईआरटी ने अप्रासंगिकता के आधार पर किताबों से गुजरात दंगों, मुगल इतिहास, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सल आंदोलन आदि के कुछ चैप्टर्स को हटा दिया. इस बदलाव का उल्लेख नहीं किया गया था. हालांकि, (NCERT) एनसीईआरटी ने दावा किया है कि इस साल सिलेबस में कोई कमी नहीं की गई है और इसे पिछले साल जून में तैयार किया गया था.

एनसीईआरटी के प्रमुख दिनेश शुक्लानी ने बुधवार को कहा कि यह अनजाने में हुई गलती हो सकती है कि पिछले साल पाठ्यपुस्तक के युक्तिकरण अभ्यास के तहत कुछ हिस्सों को हटाने की घोषणा नहीं की गई थी.

संशोधित लाइनें अब इस तरह से है, ‘जवाहिरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल या बीआर अंबेडकर आमतौर पर इन समितियों की अध्यक्षता करते थे.’ इस पुस्तक में यह अनुच्छेद भी हटा दिया गया था, “जम्मू और कश्मीर का भारतीय संघ में विलय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत आत्मनिर्णय के निर्धारण पर आधारित था.”

गौरतलब है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा पिछले साल मौलाना आजाद फैलोशिप को भी बंद कर दिया गया था. नए शैक्षणिक सत्र के लिए एनसीईआरटी कक्षा 12 राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘देश की सांप्रदायिक स्थिति पर महात्मा गांधी की मृत्यु’ प्रभावी रूप से गांधी की अवधारणा हिंदू-मुस्लिम एकता ने हिंदू कट्टरपंथियों को उकसाया’ और आरएसएस जैसे संगठनों पर एक समय के लिए प्रतिबंध लगाने सहित कई विषयों का उल्लेख नहीं है.

फ़िलिस्तीनी इंतिफ़ादा आंदोलन के समर्थन में मुस्लिम देशों की नौसेना ने की परेड

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बैतूल मुकद्दस और फिलिस्तीनी इंतिफादा आंदोलन के समर्थन में, ईरान और कुछ रजाकार संगठनों ने, सदस्य देशों में अब तक की सबसे बड़ी नौसैनिक परेड और अभ्यास आयोजित की.

फ़िलिस्तीनी इंतिफ़ादा आंदोलन के समर्थन में इस अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक परेड और अभ्यास को IRGC नौसेना के कमांडर, रियर एडमिरल अली रज़ा तांगसिरी द्वारा लॉन्च किया गया था.

इस नौसैनिक परेड में ईरान, इराक, लेबनान, सीरिया और यमन से स्वयंसेवी सदस्यों के जवानों ने हिस्सा लिया.

खबरों के अनुसार, ईरान के पीपुल्स वालंटियर फोर्स बासिज के 2,700 से अधिक युद्धपोतों ने आबनाए होर्मुज में आयोजित की गई इस नौसैनिक परेड और अभ्यास में हिस्सा लिया.

यह नौसैनिक परेड फिलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों के बचाव में और ज़ायोनी सरकार के आपराधिक कार्यों की निंदा में आयोजित की गई थी. याद रहे कि इस नौसैनिक परेड को दुनिया भर के पचहत्तर टेलीविजन चैनलों द्वारा लाइव प्रसारित गया था.

गैर-राजनयिक गतिविधियाँ: नॉर्वे ने 15 रूसी राजनयिकों को देश से फौरन निकल जाने का आदेश दिया

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नॉर्वे ने रूसी दूतावास से 15 खुफिया अधिकारियों को फौरन से देश से बाहर निकल जाने के निर्देश दिये हैं.

राजधानी ओस्लो से मिल रही खबरों के मुताबिक, नॉर्वे के विदेश मंत्री एनीकेन होयटफेल्ट का कहना है कि रूसी दूतावास के 15 खुफिया अधिकारियों को ना- पसंदीदा घोषित कर दिया गया है.

उन्होंने आगे कहा कि रूसी अधिकारियों की गतिविधियां राजनयिक साख के अनुसार नहीं थीं. एनेकिन होएटफेल्ट ने कहा कि रूसी दूतावास के इन खुफिया अधिकारियों को तत्काल देश छोड़ देना होगा.

न्यूज एजेंसियों के मुताबिक नॉर्वे में स्थित रूसी दूतावास ने नॉर्वे सरकार द्वारा दिए गए इस निर्देश की कड़ी निंदा की है.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक रूसी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी प्रतिक्रिया बेहद नकारात्मक है. प्रवक्ता ने आगे कहा कि उग्रवाद पर आधारित नॉर्वे का यह एक और गैर दोस्ताना कदम है, और नॉर्वे के इस कदम का जवाब दिया जाएगा.

कतर और बहरीन 6 साल बाद राजनयिक संबंध बहाल करेंगे

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खाड़ी देश कतर और बहरीन छह साल बाद राजनयिक संबंध बहाल करेंगे, दोनों देशों की आधिकारिक समाचार एजेंसियों ने इस बड़े डेवलपमेंट की पुष्टि की है.

बता दें कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिस्र ने साढ़े तीन साल बाद, जनवरी 2021 में खाड़ी के इन देशों ने कतर के बहिष्कार को खत्म करने का एलान किया था.

बहरीन के अलावा, अन्य तीन देशों ने 2021 में ही दोहा के साथ यात्रा और व्यापारिक संबंध को बहाल कर लिया था.

बुधवार को, बहरीन और क़तरी समितियों ने रियाद में खाड़ी सहयोग संगठन के सेक्रेट्रियेट मुख्यालय में दूसरी बैठक की, जहाँ दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ फिर से राजनयिक संबंधों को बहाल करने का फैसला लिया.

इससे पहले इस साल जनवरी में ही बहरीन के क्राउन प्रिंस ने टेलीफोन द्वारा कतरी अमीर से फोन पर बात की थी. बता दें कि वर्ष 2017 में अरब देशों ने कट्टरपंथ इस्लाम पसंद संगठनों का समर्थन करने का हवाला देते हुए कतर से अपने संबंध तोड़ लिए थे.

पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद का बेटा असद और साथी गुलाम यूपी पुलिस के साथ एनकाउंटर में ढेर

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पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और उसके साथी मुहम्मद गुलाम को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स के जवानों ने झांसी में एक एनकाउंटर में मार गिराया है. बेटे असद के एनकाउंटर में मारे जाने की खबर सुनकर अतीक की तबीयत कोर्ट रूम में ही बिगड़ गई. पहले वह खूब रोया और फिर चक्कर खाकर गिर पड़ा.

उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस को इन दोनों अभियुक्तों की तलाश थी. इन दोनों पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम रखा गया था. पुलिस के अनुसार, यह ‘एनकाउंटर’ दो डिप्टी एसपी नवेंदु और विमल के नेतृत्व में अंजाम दिया गया.

पुलिस के अनुसार, असद की उम्र लगभग 20 साल थी. पुलिस का दावा है कि इन दोनों के पास से विदेशों में बने हथियार भी बरामद किए गए हैं. पुलिस का दावा है कि ये दोनों उमेश पाल की हत्या में शूटर्स थे. उनके मुताबिक़, सीसीटीवी में ये दोनों गोली चलाते हुए दिख रहे थे.

जहां अतीक अहमद के बेटे असद और उनके सहयोगी ग़ुलाम के ‘एनकाउंटर’ की सीएम आदित्यनाथ ने तारीफ़ की है. तो वही दूसरी तरफ अब इस एनकाउंटर को लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं.

 

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘एनकाउंटर’ को फर्जी करार दिया है. उन्होंने एक ट्वीट कर लिखा, “फर्जी एनकाउंटर करके बीजेपी सरकार असल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाह रही है. भाजपाई न्यायालय में विश्वास ही नहीं करते हैं.” साथ ही एनकाउंटर की जांच कराने की भी मांग की है.

एनकाउंटर पर सांसद और एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सवाल उठाए हैं, ओवैसी ने कहा कि बीजेपी धर्म के नाम पर एनकाउंटर कर रही है. एमआईएम के सोशल मीडिया पर जारी किए गए एक वीडियो में ओवैसी कहते हुए नजर आ रहे हैं कि, “क्या बीजेपी उन लोगों को भी गोली मारेगी जिन्होंने जुनैद और नासिर को मारा है.”

उन्होंने कहा, “यहां कानून की धज्जियां उड़ रही हैं, तुम संविधान का एनकाउंटर करना चाहते हो, तुम कानून को कमज़ोर करना चाहते हो. फिर कोर्ट किस लिए है.. सीआरपीसी, आईपीसी किस लिए हैं, जज किस लिए हैं.”

“अगर तुम फैसला करोगे कि गोली से इंसाफ़ करोगे, तो बंद कर दो अदालतों को…आप पकड़ो मुजरिम को, कोई कत्ल करता है तो सज़ा दिलाओ मुजरिम को.”

गौरतलब है कि घटना की तस्वीरों और वीडियो में कथित मुठभेड़ वाले स्थान पर जमीन पर दो शव और उनके पास एक मोटरसाइकिल नजर आ रही है. बाद में एक एंबुलेंस से दोनों शवों को अस्पताल ले जाया गया.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और नदवतुल उलेमा के नाज़िम मौलाना राबे हसनी नदवी का निधन

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और दारुल उलूम नदवतुल उलेमा के नाज़िम मौलाना सैयद मुहम्मद राबे हसनी नदवी का लंबी बीमारी के बाद आज लखनऊ में निधन हो गया. वो 94 वर्ष के थे. उन्हें सांस लेने में दिक्कत के बाद इलाज के लिए रायबरेली से लखनऊ लाया गया था, जहां नदवतुल उलमा में उन्होंने आखरी सांस ली. उनके परिवार में तीन बेटियां हैं.

याद रहे कि मौलाना राबे हसनी नदवी पिछले करीब 21 साल से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष थे. उनकी नमाज-ए-जनाजा जुमेरत को रात 10 बजे नदवा में पढ़ी गई और शुक्रवार सुबह आठ बजे रायबरेली में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.

उधर उनके निधन की खबर फैलते ही जहां मुस्लिम समुदाए शोक में डूब गया, साथ ही सियासी गलियारे से भी शोक संदेश आने शुरू हो गए. यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है.

पार्टी महासचिव और यूपी कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी मौलाना राबे हसनी नदवी को श्रद्धांजलि दी.

उन्होंने लिखा, “ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष हजरत मौलाना राबे हसनी नदवी जी के निधन का दुखद समाचार मिला. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दें. शोक संतप्त परिजनों एवं प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. विनम्र श्रद्धांजलि.”

पूर्व सांसद और इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स के अध्यक्ष मुहम्मद अदीब ने मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि आज हमने अपना आध्यात्मिक संरक्षक खो दिया है. पहले मौलाना अली मियां साहब हमारे संरक्षक थे और फिर मौलाना राबे हसनी नदवी साहब हमारे संरक्षक रहे. मौलाना राबे हसनी नदवी, हजरत मौलाना अली मियां साहब के बाद आखिरी स्तंभ थे.

वेलफेयर पार्टी के अध्यक्ष डॉ. कासिम रसूल इलियास ने मौलाना के निधन को बड़ा सानेहा करार दिया है. उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि देश इस समय एक नाजुक दौर से गुजर रहा है, और मुस्लिम कौम पर चारों ओर से हमले हो रहे हैं, ऐसे समय में मौलाना राबे हसनी नदवी साहब का हमारे बीच से गुजर जाना किसी बड़े सानहे से कम नहीं है.

Media One के प्रसारण पर लगा प्रतिबंध हटा, SC ने कहा सरकार की नीतियों की आलोचना राष्ट्रविरोधी नहीं’

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए उसके मीडिया वन के प्रसारण पर प्रतिबंध से जुड़े आदेश को रद्द कर दिया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने केरल के एक मलयाली न्यूज चैनल पर सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए प्रतिबंध लगा दिया था. जिसके खिलाफ मलयाली चैनल ‘मीडियावन’ केरल हाईकोर्ट चला गया, लेकिन वहां भी उसे राहत नहीं मिला. जिसके बाद चैनल ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रूख किया, जहां सीजेआई की बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए बैन को हटा दिया.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए कहा कि सरकार की नीतियों या कदमों की आलोचना को एंटी-नेशनल नहीं कहा जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि लोकतांत्रिक देश मजबूती से चलता रहे, इसके लिए जरूरी है कि प्रेस की स्वतंत्रता बनी रहे. लोकतांत्रिक समाज में ये एक अहम किरदार होता है, जो देश की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालता है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बिना किसी आधार के दावे नहीं होने चाहिए. इसके लिए मजबूत तथ्य और पुख्ता सबूत होने जरूरी हैं. बेंच ने केंद्र की नीतियों पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा लोगों के अधिकार छीनने के लिए नहीं उठाया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि न्यूज चैनल पर बैन लगाना गृहमंत्रालय का एक मनमाना कदम है. हम सरकार को ऐसा कदम उठाने नहीं दे सकते, जिससे प्रेस हर हाल में उनका समर्थन करने लगे.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकारी नीतियों की आलोचना के कारण किसी टीवी चैनल का लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे न्यूज चैनल का टेरर लिंक स्थापित हो रहा हो.

बता दें कि मलयाली टेलीविजन न्यूज चैनल मीडियावन के प्रसारण पर इस साल जनवरी मे केंद्र सरकार ने रोक लगा दी थी. सरकार ने इस कदम के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला दिया था. जिसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस चैनल के ब्रॉडकास्ट लाइसेंस को रिन्यू करने से इनकार कर दिया था. मीडियावन न्यूज चैनल की पैरेंट कंपनी मध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड (एमबीएल) है. इसी ने हाईकोर्ट से राहत ना मिलने पर फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

मुस्लिम विद्वान मौलाना कलीम सिद्दीकी को मिली जमानत, जबरन धर्मांतरण के झूठे इल्जाम में काट रहे थे जेल

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मशहूर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना कलीम सिद्दीकी को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिल गई है. हाईकोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस सरोज यादव और जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने मौलाना कलीम सिद्दीक़ी की याचिका पर सुनवाई के बाद जमानत देने का फैसला किया.

दरअसल मौलाना कलीम सिद्दीकी ग्लोबल पीस सेंटर के अध्यक्ष रहे हैं. विदेशों से मिली धनराशि से कई मदरसों की फंडिंग का भी यूपी एटीएस ने उनपर झूठे आरोप लगाए हैं. मौलाना कलीम सिद्दीकी पर आरोप है कि वह शैक्षणिक, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं क आड़ में जबरन धर्मांतरण कराने का काम देशव्यापी स्तर पर कर रहे थे. आरोप है कि उन्हें इसके लिए उन्हें विदेशों से भारी मात्रा में फंडिंग की जा रही थी.

बता दें कि मौलाना कलीम सिद्दीक़ी धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत करीब डेढ़ साल से जेल में बंद थे. उन्हें 21 सितंबर 2021 को उत्तर प्रदेश के इंटी टेररिस्ट स्क्वाड ने गिरफ्तार किया था. आरोप है कि मौलाना कलीम सिद्धीकी की ट्रस्ट को बहरीन से डेढ़ करोड़ और विदेशी फंडिंग से 3 करोड रुपए मिले थे. मौलाना कलीम सिद्दीक़ी की तरफ से अदालत में वकील एस एम रहमान फैज, ब्रिज मोहन सहाय और जियाउल कय्यूम जिलानी ने पैरवी की.

अर्जेंटीनीयन फुटबॉलर लियोनल मेसी को सऊदी क्लब से खेलने के लिए 400 मिलियन यूरो का ऑफर

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अर्जेंटीना के विश्व कप विजेता कप्तान लियोनेल मेसी को सऊदी अरब के एक क्लब से खेलने का प्रस्ताव मिला है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी अरब के मशहूर अल हिलाल फुटबॉल क्लब ने लियोनेल मेसी को हर साल 400 मिलियन यूरो में खेलने का ऑफर दिया था.

सऊदी क्लब से लियोनेल मेसी के लिए इस बड़े ऑफर का खुलासा इटली के जाने-माने फुटबॉल पत्रकार फैब्रीजियो रोमानो ने किया है. दरअसल लियोनेल मेस्सी फ्रांसीसी क्लब पीएसजी को छोड़ सकते हैं. क्योंकि जल्द ही उनका फ्रांसीसी क्लब पीएसजी से करार खत्म हो रहा है. इतालवी पत्रकार का दावा है कि सऊदी फुटबॉल क्लब अल हिलाल की ओर से मेस्सी को आधिकारिक तौर पर यह ऑफर कर दी गई है.

अगर लियोनेल मेसी सऊदी क्लब के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं, तो वह अपने प्रतिद्वंद्वी क्रिस्टियानो रोनाल्डो के साथ जुड़ जाएंगे, जो सऊदी लीग अल नस्र क्लब के लिए खेलते हैं. याद रहे कि लियोनेल मेसी ने 2021 में पीएसजी के साथ दो साल का अनुबंध किया था. जो जल्द ही खत्म हो रहा है.