Sunday, December 22, 2024
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पाकिस्तान में जमात-ए-इस्लामी प्रमुख के काफिले पर हमला, बाल बाल बचे सिराजुल हक, एक की मौत

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पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हुए एक आत्मघाती बम विस्फोट में जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सिराज-उल-हक बाल बाल बच गए. यह धमाका उनके काफिले के बीच हुआ. धमाके की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई है, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. धमाका जमाते इस्लामी प्रमुख को निशाना बना कर किया गया था.

बताया जा रहा है कि बलूचिस्तान प्रांत के झोब इलाके में जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सिराज-उल-हक एक रैली में हिस्सा लेने अपनी गाड़ी में बैठकर जा रहे थे, जबकि बड़ी संख्या में लोग साथ साथ काफिले में चल रहे थे. रैली में पहुंचने से कुछ दूर पहले ही अचानक से काफिले के पास में ब्लास्ट हो गया. धमाके की आवाज से वहां अफरा-तफरी मच गई. इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई. धमाके के बावजूद जमात प्रमुख रैली में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘हम मानते हैं कि जिंदगी और मौत अल्लाह के हाथ में है’.

उन्होंने कहा कि जमात-ए-इस्लामी बिना किसी डर के लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेगी, चित्राल से लेकर कराची तक 24 करोड़ लोग आग में जल रहे हैं, लोग अपने घरों, मस्जिदों और बाजारों में सुरक्षित नहीं हैं. जमात प्रमुख सिराजुल हक ने कहा कि हुक्मरानों ने जनता का शोषण किया है, उनके अधिकार छीने है, और इन हुक्मरानों ने पाकिस्तान को विश्व शक्तियों का अस्तबल बना दिया है. उन्होंने कहा कि देश में अब आग पर पानी डालने का समय आ गया है. इस बीच जमाते इस्लामी पाकिस्तान ने एलान किया है कि जमात प्रमुख पर हुए आत्मघाती हमले के विरोध में देश के अलग अलग हिस्सों में आज विरोध और प्रदर्शन किए जाएंगे.

आपसी दुश्मनी भुल एकजुट दिखे अरब देश, 12 साल बाद अरब लीग शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति बशर की शिरकत

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मध्य-पूर्व की राजनीति में हाल के महीनों में ऐसे बदलाव हुए हैं जिसने पूरी दुनिया को न सिर्फ चौंकाया है, बल्कि मध्य पूर्व की राजनीति को ही नया रुख दे दिया है. दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र के इस्लामिक देश अपनी कट्टर दुश्मनी भुलाकर एक गए हैं, इसकी सबसे बड़ी मिसाल है कि एक दशक से अधिक समय से अरब लीग से बाहर रहे सीरिया का अरब लीग शिखर सम्मेलन में शामिल होना था.

दरअसल सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान मध्य-पूर्व की स्थिरता के लिए अरब देशों के बीच शांति के बड़े हामी रहे हैं. यही वजह है कि उन्होंने न सिर्फ अपने कट्टर विरोधी ईरान के साथ संबंधों को बहाल किया है बल्कि युद्ध ग्रस्त सीरिया से भी संबंधों को बहाल करने में जुटे हैं. इसके अलावा क्राउन प्रिंस ने युद्ध का दंश झेल रहे यमन में भी हुती विद्रोहियों से न सिर्फ संघर्ष विराम किया है, बल्कि युद्ध खत्म करने के भी संकेत दिए है.

शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने कहा कि ‘हम अपने पड़ोसी अरब देशों, पूर्व और पश्चिम के दोस्तों को ये यकीन दिलाते हैं कि हम शांति, भलाई, सहयोग और विकास की ओर आगे बढ़ रहे हैं’. उन्होंने कहा कि अरबों के पास मौजूद सभ्यता, सांस्कृति, प्राकृतिक और मानव संसाधन मौजूद है, वो हमारे देशों और लोगों को हर क्षेत्र में नए सिरे से और भी मजबूती से खड़े और हमें सक्षम बनाने के लिए काफी हैं’.

शिखर सम्मेलन के अंत में अरब लीग ने साझा बयान जारी किया. बयान के अनुसार अरब नेता ने साझा बुनियादों, मूल्यों, रुचियों और एक नियति के आधार पर साझा अरब एक्शन को बढ़ावा देने के महत्व पर ज़ोर दिया हैं. बयान में इजरायली कब्जे वाली सरकार के सदस्य और इजरायली सुरक्षा गार्ड के तहत कनेसेट के सदस्यों के जरिए माजिद अल-अक्सा मस्जिद पर हमले की कड़ी निंदा की गई.

अरब लीग का 32 वां शिखर सम्मेलन सऊदी अरब की मेजबानी में शुक्रवार को जेद्दा शहर में हुआ, जिसमें सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद भी शरीक थे. दरअसल बशर अल असद सीरिया में 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद पहली बार सऊदी अरब पहुंचे थे. इस सम्मेलन में यूक्रेनी राष्ट्रपति विलाडेमिर जेलेंस्की को भी विशेष न्योता मिला था, सऊदी अरब पहुंचे राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अरब लीग देशों से रूस के खिलाफ युक्रेनी जनता के हिमायत करने की अपील की. जबकि सऊदी अरब ने रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्ता जारी रखने की बात कही है.

बता दें कि 22 अरब देशों के इस लीग में सऊदी अरब, यूएई, इराक, जॉर्डन, मोरक्को, सुडान, कुवैत, कतर, बहरीन, ओमान समेत करीब 22 देश शामिल हैं और लगभग सभी देशों के राष्ट्र प्रमुख अरब लीग के इस 32 वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सऊदी अरब पहुंचे थे. हालांकि इस शिखर सम्मेलन में, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान हिस्सा नहीं ले सके, उनकी जगह उनके भाई और उपराष्ट्रपति शेख मंसूर बिन जायद सऊदी अरब पहुंचे.

तुर्की के चुनावी दंगल के सबसे अहम दौर का पहला राउंड ख़त्म, दूसरे राउंड के लिए 28 मई को फिर पड़ेगा वोट

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तुर्की में पिछली एक सदी का सबसे अहम चुनाव हो रहा है. लोग सरकारी तौर पर नतीजों के एलान का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं. इन चुनाव में राष्ट्रपति पद के साथ साथ संसद की 600 सीटों के लिए भी वोटिंग हुई है. खबर है कि नए राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर एक बार फिर से वोटिंग होगी.

दरअसल, पहले राउंड में राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन और उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी कमाल कलचदारलू, दोनों को ही पचास फ़ीसदी से अधिक वोट नहीं मिल सके हैं. जिसके बाद अब 28 मई को रनऑफ़ वोटिंग यानी निर्णायक मुक़ाबला होगा. तुर्कीये में संविधान के मुताबिक जीत के लिए उम्मीदवार को 50% वोट मिलना अनिवार्य होता है, मगर मौजूदा चुनावों में कोई भी उम्मीदवार 50% वोट हासिल नहीं कर पाया है, जिसके बाद अब 28 मई को अर्दोआन और उनके निकटतम विरोधी के बीच दूसरे राउंड की वोटिंग होगी.

हालांकि साल 2002 से सत्ता पर क़ाबिज़ अर्दोआन को 49.49 फ़ीसदी मतों के साथ बढ़त मिली हुई है. उनके समर्थकों का मानना है कि अर्दोआन दोबारा अच्छे मार्जिन से चुनाव जीत जाएंगे.

वहीं, अर्दोआन को कड़ी टक्कर देने वाले और विपक्षी कमाल कलचदारलू को 44.79 फ़ीसदी मत ही मिल सके हैं. उन्होंने भी दूसरे राउंड में चुनाव जीतने का दावा किया है.

माना जा रहा है कि तुर्की में सालों बाद सबसे मुश्किल चुनाव हो रहा है. 8.5 करोड़ की आबादी वाले देश में एक तरफ महंगाई चरम पर है, तो दूसरी तरफ इसी साल फ़रवरी में आए भीषण भूकंप ने तुर्की को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया है.

याद रहे कि इस बार के राष्ट्रपति पद के चुनाव न सिर्फ़ ये तय करेंगे कि तुर्की का नेतृत्व किसके हाथों में होगा, बल्कि इससे ये भी तय होगा कि क्या तुर्की एक बार फिर से ‘धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक’ रास्ते पर लौटता है या नहीं.

नफरत और विभाजन की राजनीति को खारिज करने पर कर्नाटक के लोगों का शुक्रिया: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद

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जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद कर्नाटक के लोगों को बधाई देते हुए नफरत की राजनीति को नकारने की जमकर सराहना की है. मीडिया को जारी एक बयान में जमाअत -ए- इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा कि, ” जमाअत-ए-इस्लामी हिंद नफरत और ध्रुवीकरण के पैरोकारों को हराने के लिए कर्नाटक के लोगों की सराहना करती है.

कर्नाटक के लोगों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने और घृणा फैला कर उनका ध्रुवीकरण करने के हताश प्रयासों के बावजूद कर्नाटक के लोगों ने अपना संयम बनाए रखा और साम्प्रदायिकता पर आधारित चुनाव अभियान से अपने वोट को प्रभावित नहीं होने दिया. कर्नाटक के लोगों ने देश की जनता को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि उकसावे के बावजूद किस तरह एकजुट रहें और शांति और सद्भाव बनाए रखें.

उन्होंने दिखाया है कि सत्ता में बैठे लोगों की विफलताओं को छिपाने के लिए जानबूझकर बनाए गए भावनात्मक मुद्दों की तुलना में रोजगार, मूल्य वृद्धि, स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण जैसे वास्तविक मुद्दे अधिक महत्वपूर्ण हैं. यह एक स्वागत योग्य संकेत है कि जिन लोगों ने समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश की है, और घृणा का सहारा लिया, उनकी चुनावों में व्यापक रूप से हार हुई.”

जमाअत के उपाध्यक्ष ने कहा, “कर्नाटक चुनावी नतीजा सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को भी एक संदेश देता है. उन्हें हिजाब प्रतिबंध, हलाल मुद्दा, मुस्लिम आरक्षण और उनके आर्थिक बहिष्कार जैसे मुद्दों पर राजनीतिक नुकसान के डर के बिना एक सैद्धांतिक रुख अपनाना चाहिए. धर्मनिरपेक्ष दलों और क्षेत्रीय दलों को कर्नाटक के फैसले से सबक सीखना चाहिए और उन नीतियों को अपनाना चाहिए जो जाति और धार्मिक विचारों की परवाह किए बिना न्याय और समानता पर आधारित हों.

उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक समुदाय के विरोध के डर से मुसलमानों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व में उनका उचित हिस्सा देने से इनकार करना सैद्धांतिक रूप से गलत है. कर्नाटक के लोगों ने संदेश दिया है कि भारतीय राजनीति भावनात्मक मुद्दों या विभाजन और ध्रुवीकरण का कारण बनने वाले मुद्दों के बजाय वास्तविक मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए. जो पार्टियां नफरत फैलाकर फायदा उठाने में विश्वास रखती हैं, उन्हें अपनी कार्यशैली में सुधार करना चाहिए क्योंकि यह नीति राजनीतिक रूप से टिकाऊ नहीं है. कर्नाटक के नतीजे साबित करते हैं कि उत्पीड़ितों के लिए न्याय की वकालत करना, सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना और विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना ही चुनाव जीतने का एकमात्र तरीका है.”

पहलवानों के सपोर्ट में जंतर-मंतर पहुंचे राकेश टिकैत का केंद्र सरकार पर हमला, बोले, अब भूत उतारना ही पड़ेगा’,

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दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों को सपोर्ट करने आज खाप पंचायतें और किसान संगठन खुलकर सामने आ गए हैं. खाप के साथ-साथ बड़ी तादाद में किसान संगठन के लोग भी धरनास्थल पर पहुंचे हुए हैं. इसमें BKU टिकैत के अध्यक्ष नरेश टिकैत भी पहलवानों के धरनास्थल पर पहुंचे हैं. जंतर-मंतर पर लोगों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इस मुद्दे पर किसान और खाप साथ हैं. आंदोलन के रोडमैप को लेकर बैठक जारी है.

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर मोदी सरकार की आलोचना क्यों नहीं की जा रही? क्या इस मसले पर राहुल गांधी की आलोचना होनी चाहिए? उन्होंने कहा कि ‘अब केंद्र सरकार का भूत उतारना ही पड़ेगा. इसके लिए कभी मिर्ची का इस्तेमाल करना पड़ता है तो कभी कुछ और करना पड़ता है’. टिकैत ने सवाल किया कि क्या दिल्ली पुलिस ने पहले भी इसी तरह की धाराओं के तहत किसी को गिरफ्तार नहीं किया है? अगर नहीं किया है तो उसे (बृजभूषण) गिरफ्तार न करे और अगर किया है तो आगे कार्रवाई करे.

उधर मुश्किल में फंसे भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने खाप पंचायतों और हरियाणा के जाटों से अपील की है कि वह दिल्ली आने से पहले अपने गांव या आसपास के किसी भी पहलवानों से उनके बारे में पूछ लें. बृजभूषण ने कहा कि जो लड़ाई वह लड़ रहे हैं, वह जूनियर बच्चों के लिए है. माता पिता अपने जीवन में कटौती कर अपने बच्चों को पहलवान बनाना चाहते हैं. वह उनकी लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि यदि एक भी गुनाह साबित हो गया तो वह फांसी पर लटक जाएंगे.

भारी भीड़ को देखते हुए पहले ही दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड में आ गई थी. सोनीपत-दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर अलर्ट जारी कर दिया गया था. सिंघु बॉर्डर पर भी भारी पुलिस बल की तैनाती रविवार सुबह से ही कर दी गई थी. यहां SSB की बटालियन भी तैनात की गई है. पुलिस यहां पिकेट लगाकर चेकिंग कर रही है.

बता दें कि रविवार को भारतीय किसान यूनियन उगराहां और संयुक्त किसान मोर्चा, दोनों के कार्यकर्ताओं ने जंतर-मंतर पर जमावड़ा लगाया है. बीकेयू उगराहां ने ऐलान किया है कि वह 11 मई से 18 मई के बीच देश भर में मोदी सरकार और बृजभूषण की अर्थी जलाएगा. पंजाब से आए बीकेयू के सदस्यों ने इस दौरान लंगर भी लगाया.

मणिपुर हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत, मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, धीरे धीरे सामान्य हो रहे हैं हालत

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मणिपुर में इस हफ्ते भड़की हिंसा अब धीरे-धीरे शांत हो रही है. हालांकि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है. राज्य में सेना-असम राइफल्स और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की तैनाती के बाद से हालात सुधरते दिख रहे हैं. इस बीच मणिपुर सरकार ने हिंसा में जान गंवाने वालों का आधिकारिक आंकड़ा भी जारी किया है. बताया गया है कि अलग-अलग हिंसा की घटनाओं में अब तक करीब 54 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, अनाधिकारिक आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा बताया गया है.

बताया गया है कि हिंसा में जिन 54 लोगों की मौत हुई है, उनमें से 16 के शव चुराचांदपुर के जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखे गए हैं. जबकि 15 शव जवाहरलाल नेहरु इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में रखे गए हैं. इसके अलावा इंफाल के पश्विम में स्थित लाम्फेल में रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की ओर से 23 की मौत की पुष्टि की गई है.

बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी. मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 50% से अधिक है, और मैतेई समुदाय को मणिपुर में हर एतबार से मजबूत समुदाए के तौर पर जाना जाता है. जिसका मणिपुर में जमकर विरोध हो रहा है.

महिला रेसलर्स के समर्थन में खाप पंचायतों का दिल्ली कूच, टिकरी बॉर्डर पर पुलिस के सामने नारेबाजी

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दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठी महिला पहलवानों का समर्थन करने आज जंतर-मंतर पर खाप पंचायतें और किसान संगठनों के लोग जुट रहे हैं. दोनों ने ही धरना स्थल पर संयुक्त महापंचायत लगाने का ऐलान किया है. इसे देखते हुए दिल्ली पुलिस ने भी विशेष तैयारी की है.

भारी भीड़ जुटने की संभावना को देखते हुए दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड में आ गई है. सोनीपत-दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर अलर्ट है. सिंघु बॉर्डर पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. यहां SSB की बटालियन भी तैनात है. बताया जा रहा है कि यहां से गाड़ियों को चेकिंग के बाद ही दिल्ली में प्रवेश दिया जाएगा. पुलिस यहां पिकेट लगाकर चेकिंग कर रही है.

इस बीच महिला किसानों का एक बड़ा जत्था टिकरी बॉर्डर, बहादुरगढ़ पहुंचा है. यहां महिलाएं बसों और जीप में बैठ कर पहुंचीं हैं. ये महिलाएं पहलवानों के प्रति अपना समर्थन जताने पंजाब से आई हैं. यहां दिल्ली पुलिस के उन्हें रोक लिया, जिसके बाद किसानों ने जमकर नारेबाजी की. टिकरी बॉर्डर पहुंची महिलाएं अपने साथ खाना बनाने का सामान लेकर आईं और जंतर-मंतर पहुंचना चाहती थीं. ये महिलाएं भारतीय किसान यूनियन उग्राहा से जुड़ी हुई हैं, जो किसान आंदोलन में भी शामिल रही थीं.

सऊदी अरब और ईरान को एक दूसरे का दुश्मन बताना अस्वीकार्य है: इब्राहिम रईसी

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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा है कि सऊदी अरब को ईरान का दुश्मन या ईरान को सऊदी अरब का दुश्मन कहना हर तरह से अस्वीकार्य है.

सीरियन न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा कि सऊदी अरब से तनाव के दौरान भी ईरान ने रियाज़ को अपना दुश्मन देश घोषित करने से परहेज किया था.

ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनेई ने सिर्फ अमेरिका और इजरायल को ही दुश्मन देश घोषित किया है.

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका और इज़रायल ने ईरान को फोबिया बनाकर क्षेत्र के देशों को डराने और धमकाने की साजिश रची और समय के साथ इस साजिश का पर्दाफाश हो गया.

राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने कहा कि ईरान और सऊदी अरब दो बड़े देश हैं, उन्होंने कहा कि संबंधों की बहाली से क्षेत्र में बड़े बदलाव आएंगे.

एक सवाल के जवाब में रईसी ने वाजेह लफ्जों मैं कहा कि ईरान पिछले कई दशकों में सीरिया के साथ खड़ा था और भविष्य में भी खड़ा रहेगा.

उन्होंने कहा कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल – असद ने अमेरिकी गठबंधन सेनाओं और इज़रायल के खिलाफ डटकर लड़ाई लड़ी है.

ईरानी राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने कहा कि अमेरिकियों ने आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी समूह बनाने की बात स्वीकार की है.

एपीसीआर ने खंडवा साम्प्रदायिक झड़प मामले में 28 लोगों की जमानत मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से मंज़ूर कराई

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नई दिल्ली, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) ने कलीम और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य के मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से 28 लोगों की जमानत मंज़ूर कराने में कामयाबी हासिल कर ली है. यह मामला खंडवा जिले के इमलीपुरा इलाके में 30 जुलाई, 2014 को हुई सांप्रदायिक झड़प से जुड़ा हुआ था, जिसके नतीजे में हाल के दिनों में ही सत्र न्यायालय ने 40 आरोपियों को दोषी ठहराया था. इनमें से कई सजायाफ्ता आरोपी घटना के समय नाबालिग थे और अब उन्हें अपने स्वास्थ्य, और भविष्य की संभावनाओं को चिंताएं सता रही हैं.

दोषी आरोपियों पर एक पुलिस दल पर पथराव करने का आरोप लगाया गया था, जिसके नतीजे में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 188 (एक लोक सेवक द्वारा कानूनी रूप से घोषित आदेश की अवज्ञा) और अन्य धाराओं में मुक़दमा पंजीकृत हुआ था. हाल ही में, मध्य प्रदेश की एक स्थानीय अदालत ने उन्हें सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और उनमें से हर एक पर 6,500 रुपये का जुर्माना भी लगा दिया था.

हालांकि, दोषियों के परिवारों का कहना है कि वह शुक्रवार का दिन था और घासपुर इलाके के सभी पुरुष घटना के समय नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में मौजूद थे. कुछ बदमाशों ने आवेश में आकर पुलिस पर पत्थर फेंके, लेकिन इस तरह की घटना के लिए कोई आम इरादा या योजना नहीं थी. घटना के बाद कई निर्दोषों को भी इस मामले में झूठा फँसाने के पुलिस पर इल्ज़ाम हैं.

सजायाफ्ता आरोपियों के अधिकांश परिवार गरीब और हाशिए की पृष्ठभूमि से आते हैं, और इस मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद वह अपने एकमात्र आमदनी के स्त्रोत को भी खो चुके हैं. एपीसीआर मप्र उच्च न्यायालय की जबलपुर खंडपीठ के समक्ष आपराधिक अपील संख्या 1303/2023 में अधिवक्ता कबीर पॉल एवं अधिवक्ता संकल्प कोचर के माध्यम से इस मामले में 28 आरोपियों को कानूनी प्रतिनिधित्व प्रदान कर रहा था.

अपीलकर्ताओं ने अपनी सजा निरस्त करने की अपील की है, और उनके वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य में कई चूक और विरोधाभासों का हवाला देते हुए ट्रायल कोर्ट ने उन्हें गलत तरीके से अपराधों का दोषी ठहराया है. अपीलकर्ता 20 दिसंबर, 2023 को फैसला आने के बाद से पिछले चार महीनों से जेल में हैं और उनकी इस अपील की सुनवाई में लंबा समय लगने की संभावना है.

दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपीलकर्ताओं की जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया और उनकी अपील के लंबित रहने के दौरान उनकी जेल की सजा को निलंबित करने का निर्देश दिया. अपीलकर्ताओं को 50,000 रुपये की राशि के निजी मुचलके के साथ और एक जमानती प्रस्तुत करने पर रिहा करने का आदेश न्यायालय ने सुनाया.

बता दें कि एपीसीआर इंसाफ और मानवाधिकारों को सबके सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध है. एपीसीआर ने सभी संबंधित व्यक्तियों और संगठनों को उनकी इन सर्गर्मियों में समर्थन करने का आग्रह किया है.

क्षेत्र और क्षेत्र के बाहर कई परिवर्तन तेहरान-दमिश्क के बीच भाईचारे को प्रभावित नहीं कर सके: राष्ट्रपति रईसी

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दमिश्क: सीरिया के अपने पहले सरकारी दौरे पर सीरिया की राजधानी दमिश्क पहुंचे ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी ने तेहरान और दमिश्क के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडलों की एक संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जो लोग कल तक सीरिया पर ईरान के राजनीतिक रुख, स्थिति और दृष्टिकोण के बारे में संदेह कर रहे थे, वो आज इस बात से सहमत हैं कि ईरान की स्थिति सही और निष्पक्ष थी.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में ईरान सीरियाई सरकार और देश के साथ खड़ा था, वैसे ही वह सीरियाई भाइयों के साथ इसके पुन: निर्माण, उसके विकास और उसे आगे ले जाने के लिए उसके साथ खड़ा रहेगा.

इस बीच, सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने भी इस्लामी गणराज्य ईरान के ज़रिए कठिन और मुश्किल दिनों के दौरान सीरियाई सरकार और लोगों की मदद और समर्थन की प्रशंसा की और कहा कि सीरियाई सरकार और यहां के लोग, अपने ईरानी भाइयों के प्यार और उनके समर्थन को कभी नहीं भूलेंगे.

दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने तेहरान और दमिश्क के बीच आपसी सहयोग और समझौतों पर हस्ताक्षर किए. साथ ही दोनों देशों और क्षेत्र के अन्य लोगों के हितों को पूरा करने के लिए इस्लामिक गणराज्य ईरान और सीरिया के बीच रणनीतिक और दीर्घकालिक सहयोग के व्यापक कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया.

इससे पहले, जब इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी अपनी पहली ऐतिहासिक यात्रा पर सीरिया की राजधानी दमिश्क पहुंचे, तो सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने पीपुल्स पैलेस में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया.

स्वागत समारोह में सबसे पहले दोनों देशों के राष्ट्रगान बजाए गए, जिसके बाद दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया. जिसके बाद राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी और बशर असद ने एक दूसरे से अपने उच्च अधिकारियों का परिचय दिया.

दमिश्क हवाई अड्डे से पीपुल्स पैलेस के रास्ते में सीरिया के लोगों ने भी ईरान के राष्ट्रपति का स्वागत किया. सड़क के दोनों ओर लोग ईरान और सीरिया के झंडों के साथ ईरान के राष्ट्रपति का स्वागत करते दिखे, तो राष्ट्रपति भी अपनी कार से उतरे और सीरिया के लोगों के प्यार के जवाब में अपना हाथ हिला कर उनका अभिवादन स्वीकार किया.