Sunday, December 22, 2024
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2016 के दंगा मामले में गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवानी को 6 महीने की सजा

 

पहले गोवा कांग्रेस में बीजेपी की सेंधमारी के गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है. अहमदाबाद की एक कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी समेत 19 लोगों को जेल की सजा सनाई है. कोर्ट ने उन्हें 2016 के दंगा भड़काने और भीड़ जुटाने के आरोप में दर्ज एक केस में दोषी पाया है. मामले की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी ने जिग्नेश पर जुर्माना भी लगाया है. गुजरात में कुछ महीने बाद चुनाव होने हैं ऐसे में मेवानी की गिरफ्तारी कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान है.

उन्होंने जिग्नेश की सजा को 17 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया है, ताकि वह अपील दायर कर सकें. मेवाणी और 18 अन्य लोगों के खिलाफ 2016 में विश्वविद्यालय थाने में एक मामला दर्ज किया गया था. यह मामला गुजरात विश्वविद्यालय के कानून विभाग के एक निर्माणाधीन भवन का नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखने की मांग पर जोर देने के लिए रोड़ जाम करने से संबंधित था.

इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 143 (गैरकानूनी सभा) और 147 (दंगा) के साथ-साथ गुजरात पुलिस अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. एफआईआर में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था उनमें से एक आरोपी की मौत हो चुकी है. बता दें कि जिग्नेश मेवाणी एक जाने-माने दलित नेता हैं. उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ा था.

यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि साल के अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. हार्दिक पटेल के पार्टी से बाहर जाने की वजह से कांग्रेस पहले ही राज्य में कमजोर स्थिति में आ गई है. अब जिग्नेश मेवाणी को जेल की सजा होने से पार्टी की चिंताएं और ज्यादा बढ़ गई हैं, क्योंकि गुजरात की राजनीति में जिग्नेश एक बड़ा नाम हैं.

बता दें कि कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी ने साल 2016 में गुजरात यूनिवर्सिटी के पास रास्ता रोको आंदोलन किया था. यह आंदोलन गुजरात यूनिवर्सिटी के कानून विभाग की बिल्डिंग का नाम डॉ. बी.आर अंबेडकर भवन रखने की मांग को लेकर था.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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