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आईपीएल में चैम्पियन रही चेन्नई और मुंबई क्या रोक पायेगी हार का सिलसिला

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आईपीएल में चैम्पियन रही चेन्नई और मुंबई क्या रोक पायेगी हार का सिलसिला

आईपीएल 2022 के मुक़ाबले इन दिनों जोर-शोर से जारी हैं और दो ग्रुप में बंटी दस टीमें हर मैच में जीत का परचम लहराने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर भी लगा रही हैं पर हैरानी की बात है कि पिछली और कुल मिलाकर चार बार की चैंपियन चेन्नई सुपरकिंग्स अपने शुरुआती तीन मैच लगातार गँवा कर हार की हैट-ट्रिक लगा चुकी है. चेन्नई के अलावा पाँच बार की चैंपियन मुंबई इंडियंस भी लगातार दो मैच हार चुकी है.

इनके शुरूआती चरण में निराशाजनक प्रदर्शन से इनके प्रशंसक और क्रिकेट पंडित भी हैरान है.

यह बात भी सच है कि इस सीज़न की नीलामी के बाद दोनों ही टीमों में कई बदलाव हुए और इनके कुछ खिलाड़ी दूसरी टीमों में चले गए और कुछ नए-पुराने खिलाड़ी बदलाव के तौर पर टीम में शामिल हुए लेकिन अभी तक दोनों टीमें जीत के भरोसे पर खरा नहीं उतरी है.

इस सीज़न के शुरू होने से पहले चेन्नई सुपरकिंग्स को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुँचाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने अचानक कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर चेन्नई टीम के साथ-साथ सबको हैरान कर दिया. उसके बाद आनन-फ़ानन में टीम मैनेजमेंट ने बेहद अनुभवी और चेन्नई के सबसे कामयाब आलराउंडर रविंद्र जडेजा के हाथों में टीम की कमान सौंप दी.

बाद में रविंद्र जडेजा ने भी स्वीकार किया कि धोनी के कप्तानी छोड़ने के बाद टीम प्रशासन ने उनसे कप्तानी सँभालने को लेकर काफ़ी बातचीत की. यानी इस बार आईपीएल में खेलने के लिए उतरने से पहले रविंद्र जडेजा को कुछ समय कप्तान के तौर पर अपनी मानसिकता को परिपक्व करने का समय मिल गया लेकिन इसका कोई लाभ उनकी टीम को मिलता नहीं दिखा है.

चेन्नई अभी तक कोलकाता नाइटराइडर्स और लखनऊ सुपरजाएंट्स से छह-छह विकेट से और पंजाब किंग्स से 54 रन से हार चुकी है. लगातार तीन हार से झुंझलाए कप्तान रविंद्र जडेजा ने ईमानदारी से स्वीकार करते हुए कहा कि “टी-20 क्रिकेट में एक लय हासिल करने की बात होती है जिसके बाद जीत का सिलसिला शुरू हो जाता है.”

साफ़ है कि चेन्नई अभी अपनी चिर परिचित लय में दिखाई नहीं दे रही है.

वैसे चेन्नई की लगातार तीन हार को लेकर क्रिकेट समीक्षक विजय लोकापल्ली कहते हैं “टीम की सलामी जोड़ी चल नहीं रही है. जिन रितुराज गायकवाड़ ने पिछले साल लगभग हर मैच में रन बनाए और उसके बाद हर तरफ़ से आवाज़ उठी कि उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया जाए उनसे रन नहीं बन रहे. पहले चेन्नई को बड़ी ज़बरदस्त शुरूआत मिलती थी. नम्बर एक से लेकर नम्बर पाँच तक सब रन बनाते थे जो अब नहीं हो पा रहा है. रविंद्र जडेजा नए रोल में हैं जिसमें वह कामयाब नहीं हो पा रहे हैं.”

क्रिकेट समीक्षक विजय लोकापल्ली की बात को चेन्नई के बल्लेबाज़ों का साधारण प्रदर्शन सही साबित करता है.

सलामी बल्लेबाज़ रितुराज गायकवाड़ तीन मैचों में 0-1 -1 रन ही बना पाए है. कोलकाता के ख़िलाफ़ उनके जोड़ीदार डेवॉन कॉनवे तीन रन बना सके. इसके बाद उनकी जगह सलामी बल्लेबाज़ी करने उतरे रोबिन उथप्पा ने लखनऊ के ख़िलाफ़ 50 रन बनाए लेकिन पंजाब के ख़िलाफ अगले मैच में वह 13 रन बना सके. हालांकि उन्होंने कोलकाता के ख़िलाफ़ नम्बर तीन पर खेलते हुए 28 रन बनाए थे. यह बताता है कि वह अच्छी शुरूआत को बड़े स्कोर में तब्दील नहीं कर सके.

यही हाल बाद के बल्लेबाज़ों अंबाती रायडू और रविंद्र जडेजा का रहा. शिवम दूबे ने लखनऊ के ख़िलाफ 49 और पंजाब किंग्स के ख़िलाफ़ 30 गेंदों पर ताबड़तोड़ 57 रन बनाए. वहीं महेंद्र सिंह धोनी ने कोलकाता के ख़िलाफ़ 50 रन बनाए, लेकिन यह सब इनके एकाकी प्रयास थे जो टीम को जीताने में नाकाम रहे.

चेन्नई की ऐसी हालत को लेकर भारत के पूर्व बल्लेबाज़, चयनकर्ता और आईपीएल की सलाहकार समिति के सदस्य रहे चुके अशोक मल्होत्रा की राय भी विजय लोकपल्ली से मिलती जुलती है.

वह कहते हैं “पहले मैच में सलामी बल्लेबाज़ डेवॉन कॉनवे फ्लाप हुए तो उनकी जगह रोबिन उथप्पा भी सलामी बल्लेबाज़ की भूमिका में नाकाम रहे. रितुराज गायकवाड़ का ना चलना भी काफ़ी महँगा साबित हो रहा है.”

अशोक मल्होत्रा और विजय लोकापल्ली दोनों यह भी मानते हैं कि तेज़ गेंदबाज़ दीपक चहर के ना खेलने से भी टीम की गेंदबाज़ी कमजोर हुई है. वह पहले पॉवर प्ले में दो तीन ओवर में इक्का दुक्का विकेट निकालते थे. उनका ना खेलना काफ़ी बड़ा झटका है क्योंकि कोई भी ऐसा गेंदबाज़ दिखाई नहीं दे रहा है दो शुरूआती विकेट ले और पॉवर प्ले में रन रोक पाए.

बल्लेबाज़ी में मोईन अली और रविंद्र जडेजा अभी तक सेट नहीं हो पाए है. धोनी भी अभी भी अपनी शैली में ही खेल रहे हैं जो मैच को अंतिम ओवर तक ले जाते हैं जब रन औसत 16-17 रन का हो जाता है. यह सब गड़बड़ है.

अशोक मल्होत्रा आगे कहते हैं कि शिवम् दूबे ने पिछले मैच में कमाल की बल्लेबाज़ी की. उनका साथ धोनी दे रहे थे, लेकिन वह बल्ले से साथ नहीं दे रहे थे सिर्फ़ बातों से दे रहे थे, और बातों से मैच नहीं जीते जाते बल्ले से यह मैच जीते जाते है.

चेन्नई के एक और धुरंधर खिलाड़ी ब्रावो को बल्लेबाज़ी में काफ़ी पीछे भेजे जाने के सवाल को लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं, “देखिए कहते हैं ना कि उम्र का तक़ाज़ा. ब्रावो नम्बर नौ पर खेलते हैं. प्रिटोरियस नम्बर दस पर खेलते हैं, यानी काग़ज़ पर आख़िर तक बल्लेबाज़ी है लेकिन प्रदर्शन कोई नहीं कर रहा. ब्रावो और प्रिटोरियस को ऊपर खिलाया जा सकता है लेकिन परेशानी है कि इन्हें खिलाए किस नम्बर पर. धोनी नम्बर सात पर बल्लेबाज़ी कर रहे हैं. जडेजा अगर अच्छे कप्तान हैं तो उन्हें कप्तानी करने का मौक़ा भी दिया जाए. उन्हें नम्बर चार या पाँच पर ही खेलना चाहिए क्योंकि वह ऐसे खिलाड़ी हैं जो मैच का रुख़ बदल सकते है, ख़ासकर जब टॉप ऑर्डर नहीं चल रहा हो. देखना होगा रितुराज गायकवाड़ कब लय में आते है.

धोनी के कप्तानी छोड़ने के बाद रविंद्र जडेजा के कंधों पर आए कप्तानी के भार को लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं, “धोनी ने कहने को कप्तानी थोड़ी है पर छोड़ी नहीं है. वह अभी भी कप्तान हैं जबकि नाम के कप्तान हैं जडेजा. अगर जडेजा को कप्तानी दी है तो फ़िर उन पर भरोसा भी कीजिए. उन्हें सलाह दें लेकिन निर्णय भी लेने दें. सारी कप्तानी धोनी कर रहे हैं क्योंकि जडेजा लॉग ऑन लॉग ऑफ़ पर खड़े रहते है. ऐसे में मेरी समझ में नहीं आ रहा कि असल में चेन्नई का कप्तान कौन है. यह बहुत बड़ा सवालिया निशान है.”

वहीं रोहित शर्मा तो मुंबई इंडियंस के सबसे कामयाब कप्तान हैं लेकिन वह भी जीत के लिए संघर्ष कर रहे है.

मुंबई दिल्ली से चार विकेट से और राजस्थान से 23 रनों से हार चुकी है. उसके प्रदर्शन को लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं, “मुंबई की गेंदबाज़ी काफ़ी कमजोर दिखाई दे रही है. उन्हें स्पिनर कृणाल पांडया की कमी खल रही है. मुंबई किसके भरोसे बचाव कर रही है यह समझ में नहीं आ रहा क्योंकि जसप्रीत बुमराह अच्छी गेंदबाज़ी कर रहे हैं लेकिन टीम में ट्रेंट बोल्ट नहीं है. टाइमल मिल्स और डेनियल सैमस दो खब्बू गेंदबाज़ ज़रूर लिए हैं लेकिन वह ट्रेंट बोल्ट की कमी पूरी नहीं कर पा रहे है. बल्लेबाज़ी में रोहित शर्मा को रन बनाने पड़ेंगे. सूर्यकुमार यादव का ना खेलना काफ़ी महँगा साबित हो रहा है क्योंकि वह ऐसे खिलाड़ी हैं जो मध्यमक्रम को पकड़ लेते हैं और रनों की गति भी बढ़ाते हैं, विकेट भी नहीं गँवाते.”

इसे लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं, “चेन्नई को बदलाव लाना पड़ेगा. चेन्नई की टीम नई बोतल में पुरानी शराब की तरह है. टीम में मोईन अली, ब्रावो, रोबिन उथप्पा सब पुराने खिलाड़ी हैं और मुंबई को अच्छे स्पिनर्स की कमी खल रही है. ऑस्ट्रेलियन स्पिनर वहां तो ठीक हैं लेकिन भारतीय पिचों पर वह नहीं चल पाते. बुमराह और मिल्स को स्पिनर का साथ चाहिए और फ़िर बल्लेबाज़ भी बड़ा स्कोर स्कोरबोर्ड पर लगाए. सूर्यकुमार यादव टीम में लौटे, रोहित शर्मा और ईशान किशन बड़ी पारी खेले तो बात बने.”

अब मुंबई इंडियंस बुधवार छह तारीख़ को कोलकाता नाइटराइडर्स से और चेन्नई सुपरकिंग्स नौ तारीख़ को सनराइज़र्स हैदराबाद के ख़िलाफ मैच खेलेंगी और उन मैचों का परिणाम इनकी दशा और दिशा बताएगा.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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