आखिर शाहनवाज हुसैन नप गए. बीजेपी की राजनीति में अपनी हस्ती बनाने वाले शाहनवाज हुसैन के बारे में ज्यादातर लोगों की राय यही है कि वो बीजेपी के बड़े नेता हैं. लेकिन सच क्या है यह कोई नहीं जनता. जो पार्टी किसी को नेता बनाती है. वही पार्टी किसी नेता को बौना बनाकर भी छोड़ देती है. समय के मुताबिक नेताओं का आंकलन होता है और उस आंकलन पर जब वो फिट नहीं बैठते तो उसे फेंक दिया जाता है. बड़बोले शाहनवाज हुसैन अब कोर्ट के रडार पर हैं. अब शाहनवाज हुसैन दुष्कर्म के आरोपी हैं और बीजेपी भला यह आरोप क्यों सहन करेगी !
बीजेपी के कद्दावर नेता और बिहार के पूर्व उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन की मुश्किलें बढ़ गयी है. दिल्ली हाइकोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में बीजेपी नेता पर केस दर्ज करने का आदेश दे दिया है. शाहनवाज हुसैन इस मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दे रहे थे, लेकिन हाइकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं अदालत ने इस मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस को फटकार भी लगाई है.
बिहार के पूर्व उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन बीजेपी के कद्दावर नेता समझे जाते हैं. दिल्ली हाइकोर्ट के एक आदेश ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है. शाहनवाज हुसैन दुष्कर्म के एक मामले में आरोपित हैं. जिसमें पीड़िता ने वर्ष 2018 में ही प्राथमिकी करने की मांग की थी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के साकेत कोर्ट ने कुछ महीने बाद प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश भी दिया था. इस आदेश को शाहनवाज हुसैन ने साकेत कोर्ट में ही विशेष जज के सामने चुनौती दी थी. लेकिन वहां राहत नहीं मिलने के बाद मामला हाइकोर्ट पहुंचा. हाईकोर्ट ने 2018 में ही प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगायी थी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शाहनवाज हुसैन के इस मामले में हाइकोर्ट ने पुलिस को फटकार लगायी. जज ने ये आशंका जताई कि पुलिस केस दर्ज करने में हिचक रही है. न्यायालय ने पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठाया. वहीं याचिकाकर्ता की अपील को खारिज करते हुए दिल्ली पुलिस को तीन माह के अंदर मामले की जांच करने और आइपीसी की धारा 173 के तहत अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश भी दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी के कद्दावर नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ अप्रैल 2018 में दिल्ली की एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था. महिला का आरोप है कि छतरपुर के एक फॉर्म हाउस में नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया. महिला ने इसकी शिकायत दिल्ली पुलिस में की थी, लेकिन मामला दर्ज नहीं होने पर वो अदालत की शरण में चली गयी. इस मामले में साकेत जिला अदालत ने दिल्ली पुलिस को केस दर्ज करने का निर्देश दिया था.