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बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी आने के बाद हालांकि नूपुर शर्मा ने अपनी उस याचिका को वापस ले लिया है जिसमे देश के कई राज्यों में उनपर दर्ज मुक़दमे को एक ही जगह ट्रांसफर करने की बात कही गई थी. लेकिन अब नूपुर शर्मा की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. विवादित बयान को लेकर नूपुर शर्मा के खिलाफ 9 ज्यादा राज्यों की अदालतों में मामले दर्ज हैं. नुपुर शर्मा के खिलाफ दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, तेलंगाना, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश में धार्मिक भावनाएं भड़काने का मुकदमा दर्ज है. अब उन्हें इन राज्यों में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा और बुलाने पर कोर्ट में पेश होना पड़ेगा.

विभिन्न राज्यों में दर्ज मामलों को एक स्थान पर सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने का अधिकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को है. सिर्फ एकमात्र सुप्रीम कोर्ट ही सभी मुकदमों को एक साथ क्लब करके एक साथ दिल्ली या किसी अन्य राज्य स्थानांतरित करके सुनवाई किये जाने का आदेश दे सकता था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इंकार के बाद नूपुर शर्मा के पास कोई चारा नहीं बचा है. उन्हें हर शहर में दर्ज मुकदमे की कार्रवाई का अलग-अलग सामना करना पड़ेगा. इन सभी राज्यों में अलग-अलग जांच चलेगी और उसकी प्रक्रिया में नूपुर को सहयोग करना पड़ेगा.

उधर, पुलिस ने नूपुर शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153(ए), धारा 504, धारा 505(2), धारा 506 के तहत मामला दर्ज किया है. नूपुर शर्मा के वकील ने दलील दी थी कि बयान एक ही जगह दिया गया है, लेकिन एफआईआर कई जगह दर्ज हो गई हैं. उनकी जान पर खतरे को देखते हुए हम सिर्फ ये चाहते हैं कि सुनवाई एक ही जगह हो. मगर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में ये भी कहा कि उनकी बयानबाजी की वजह से देश भर में आग लग गई है और उदयपुर जैसा दुखद मामला सामने आया है. उन्होंने जो कुछ कहा, वो शर्मनाक है और इसके लिए उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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