Home ताज़ातरीन शर्मनाक : किसान केदारी ने पीएम मोदी की लम्बी उम्र की कामना की, फिर आत्महत्या कर ली 

शर्मनाक : किसान केदारी ने पीएम मोदी की लम्बी उम्र की कामना की, फिर आत्महत्या कर ली 

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शर्मनाक : किसान केदारी ने पीएम मोदी की लम्बी उम्र की कामना की, फिर आत्महत्या कर ली 

 

आखिर कौन नहीं चाहता कि हमारा देश सर्वशक्तिमान हो. और हमारा प्रधानमंत्री दीर्घजीवी हो. लेकिन क्या यह सब मान लेने भर से ही संभव है ! खासकर किसानो ने इस देश को जितना कुछ दिया है, हमारी सरकार उसे उतना नहीं दे पायी. चुनाव से पहले किसानो के लिए बहुत सारे वादे आजादी के बाद से ही होते रहे हैं. सरकार चाहे किसी भी पार्टी की बनती रही हो लेकिन किसानो की हालत नहीं सुधरी. आज तो आलम ये है कि कई नेता किसानो की आवाज को देशद्रोह मानते हैं और सरकार विरोधी. ऐसी ही परिस्थितियों की एक दारुण कहानी सामने आयी है महाराष्ट्र से.

महाराष्ट्र के पुणे के एक किसान द्वारा 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके जन्मदिन की बधाई देने के बाद तालाब में कूदकर आत्महत्या करने की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. किसान का नाम दशरथ एल. केदारी है, जो हालात से बेहद निराश और टूटा हुआ बताया जा रहा है.

घटना की पुष्टि सोमवार को उसके परिवार ने की है. उनके साले अरविंद वाघमारे के मुताबिक घटना बांकरफटा गांव की है, जहां केदार पिछले 8 साल से किसान के तौर पर काम कर रहा था. वाघमारे ने बताया, “उस दिन वह बहुत उदास लग रहा था, लेकिन केदारी ने प्रधानमंत्री की लंबी उम्र की कामना की और फिर पास के तालाब में कूदकर आत्महत्या कर ली. बाद में उसके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया.”

केदारी ने अपने सुसाइड नोट में ‘हैप्पी बर्थडे टू यू, पीएम’ की शुभकामनाएं दीं और फिर कहा कि राज्य सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने में विफलता के कारण उसे अपना जीवन समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा. क्योंकि उसे कर्जदारों द्वारा परेशान किया गया था. उसने बताया कि कैसे राज्य हाल ही में आई बाढ़ और महामारी के नुकसान से तबाह हुए प्याज, टमाटर और अन्य किसानों को एमएसपी नहीं दे रहा था.

सुसाइड नोट में केदारी ने कहा, “हम क्या कर सकते हैं? आपको सिर्फ अपने लिए चिंता है मोदी साहब. हम भिक्षा नहीं मांग रहे हैं, लेकिन हमारे कारण क्या सही है. हमें एमएसपी दिया जाना चाहिए क्योंकि साहूकार हमें धमका रहे हैं. किसानों जैसा जोखिम कोई नहीं लेता, हम अपनी शिकायत लेकर कहां जाएं.”

किसान की आत्महत्या पर शिवसेना के प्रवक्ता किशोर तिवारी और डॉ. मनीषा कायंडे ने कड़ा संज्ञान लेते हुए राज्य के कृषि संकट से निपटने में सरकार की विफलता के लिए सरकार की आलोचना की, जो आत्महत्याओं के साथ निराशा में हैं. डॉ. कायंडे ने कहा, “एक किसान पीएम को बधाई देता है और फिर आत्महत्या कर लेता है, लेकिन पीएम देश में ‘चीतों’ को लाने में व्यस्त हैं. ये है देश की दुखद स्थिति.”

वहीं किशोर तिवारी ने कहा कि पीएम को तुरंत केदारी परिवार से मिलने आना चाहिए क्योंकि राज्य सरकार किसानों की समस्याओं को हल करने में विफल रही है या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अगले सप्ताह पुणे की यात्रा के दौरान मृतक किसानों के परिजनों को सांत्वना देने का निर्देश देना चाहिए.

42 वर्षीय केदारी के परिवार में उनकी पत्नी शांता और कॉलेज जाने वाले दो बड़े बच्चे 20 वर्षीय पुत्र शुभम और 18 वर्षीय पुत्री श्रावणी हैं. अब इस परिवार का क्या होगा कौन जाने !

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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