अखिलेश अखिल
पिछले कुछ महीनों से देश के कई इलाकों में हो रहे धर्म संसद में जिस तरह से देश और समाज का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई है, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख काफी सख्त हो गया है. बुद्धवार को फिर से उत्तराखंड के रुड़की में धर्म संसद हो रही है जिस पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी निगाहें हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने पिछले दिनों उत्तराखंड सरकार को चेताते हुए कहा कि भड़काऊ भाषण पर लगाम नहीं लगी, तो वरिष्ठ अफसरों को इसके लिए जिम्मेदार माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को एक हलफनामा दायर कर यह स्पष्ट करने के लिए भी कहा है कि कार्यक्रम में कुछ गलत होने से रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं.
वहीं, हिमाचल के ऊना में 17 अप्रैल को हुई धर्म संसद पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि प्रशासन ने भड़काऊ बातों से रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए. देश की शीर्ष अदालत ने पूछा है कि ऐसे मामलों के लिए पहले आ चुके निर्देशों के पालन के लिए लिए क्या कदम उठाए गए है.
पिछले महीने छत्तीसगढ़ के रायपुर के एक संगठन द्वारा आयोजित धर्म संसद में कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी के बारे में अपमानजनक शब्द कहे थे. साथ ही नाथूराम गोडसे को बापू की हत्या के लिए सही ठहराया था. कालीचरण महाराज ने कहा कि लोगों को धर्म की रक्षा के लिए एक कट्टर हिंदू नेता को सरकार का मुखिया चुनना चाहिए. उन्होंने कहा था कि इस्लाम का लक्ष्य राजनीति के माध्यम से राष्ट्र पर कब्जा करना है. हमारी आंखों के सामने उन्होंने 1947 में कब्जा कर लिया था. हालांकि, इस विवाद के बाद कालीचरण महाराज को अरेस्ट कर लिया गया था.
इसी तरह से हरिद्वार में हुई धर्म संसद में हेट स्पीच का एक वीडियो सामने आने के बाद से हड़कंप मच गया था. इस धर्म संसद में एक वक्ता ने विवादित भाषण देते हुए कहा था कि धर्म की रक्षा के लिए हिंदुओं को हथियार उठाने की जरूरत है और मुस्लिम आबादी बढ़ने पर रोक लगानी होगी. वक्ता ने यह भी कहा कि किसी भी हालत में देश में मुस्लिम प्रधानमंत्री न बने.