जिस तरह के राजनीतिक खेल चल रहे हैं उससे साफ़ लगता है कि एनडीए राष्ट्रपति उम्मीदवार और आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मुर्मू का चुनाव में जीतना तय है. विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के जीत की सम्भावना कमजोर होती जा रही है. झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू आज दोपहर 12 बजे एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगी. इस मौके पर पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह सहित पार्टी के कई दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे. 29 जून को पर्चा भरने की आखिरी तारीख है.
इससे पहले गुरुवार को द्रौपदी मुर्मू की पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई. इसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के घर पर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नामांकन के लिए प्रस्तावक और समर्थक के तौर पर नॉमिनेशन पेपर पर हस्ताक्षर किए गए.
आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी ने गुरूवार को ऐलान किया है कि उनकी पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी. सीएम जगन का मानना है कि मुर्मू का समर्थन करना एससी, एसटी, बीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधित्व पर हमेशा जोर देने की उनकी विचारधारा के अनुरूप है. जगन बिजी शेड्यूल के कारण मुर्मू द्वारा नामांकन दाखिल करने में शामिल नहीं हो पाएंगे. हालांकि, राज्यसभा सांसद विजय साई रेड्डी और लोकसभा सांसद मिधुन रेड्डी मौजूद रहेंगे.
मुर्मू के समर्थन में कई और दल भी सामने आये हैं. ओडिशा की बीजू जनता दल पहले ही मुर्मू के समर्थन की घोषणा कर चुकी है. मेघालय जनतांत्रिक गठबंधन (एमडीए) ने भी समर्थन करने की घोषणा की है. संघ के एक संगठन अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने के निर्णय को ऐतिहासिक करार दिया है.
आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी ने भी समर्थन का ऐलान किया है. सिक्किम के मुख्यमंत्री और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के अध्यक्ष प्रेम सिंह तमांग ने राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन किया है. बिहार की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने भी समर्थन करने की घोषणा की है. एलजेपी (रामविलास) भी मुर्मू के समर्थन की घोषणा कर चुकी है.
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से आनेवाली आदिवासी नेता हैं. झारखंड की नौंवी राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं. वह पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया. इससे पहले बीजेपी – बीजेडी गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रह चुकी हैं.
देश में अब तक आदिवासी समुदाय का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन पाया है. महिला, दलित, मुस्लिम और दक्षिण भारत से आने वाले लोग राष्ट्रपति बन चुके हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय इससे वंचित रहा है. ऐसे में यह मांग उठती रही है कि दलित समाज से भी किसी व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया जाए.