अखिलेश अखिल
राजस्थान कांग्रेस में अभी भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कांग्रेस के कई विधायक काफी नाराज हैं ऐसे में माना जा कि अगर विधयकों की नाराजगी शांत नहीं की गई तो राज्य सभा के लिए चौथी सीट पार्टी के हाथ से फिसल सकती है. पार्टी के कई विधायकों को उदयपुर में रखा गया है लेकिन उनमे से अधिकतर विधायक काफी नाराज बताए जा रहे हैं. विधायकों की नाराजगी को देखते हुए और राज्य सभा सीट पर पार्टी के नाराज विधायकों को देखते हुए सचिन पायलट को दिल्ली बुलाया गया है. जानकारी के मुताबिक सचिन पायलट पार्टी के बड़े नेताओं से विधायकों की नाराजगी पर बात करेंगे. अगर नाराज विधयकों की मांगे नहीं मानी गई तो कांग्रेस के हाथ से चौथी सीट निकल सकती है.
राजस्थान में राज्यसभा चुनाव से पहले बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों ने सीएम गहलोत की मुश्किलें बढ़ा दी है. मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, विधायक वाजिब अली और गिर्राज सिंह मलिंगा के सख्त तेवर बरकरार है. तीनों विधायक बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे. विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा का कहना है कि संकट में कांग्रेस को समर्थन दिया गया. बदले में मुझे केस मिले. मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा का कहना है कि बसपा विधायकों को उचित सम्मान नहीं मिला. विधायक वाजिब अली का कहना है कि अफसरशाही हावी है. सीएम से कई बार अपने विधानसभा के लंबित काम पूरा करने के लिए अनुरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. वाजिब अली ने कहा कि हमारे क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी और अवैध खनन की बहुत शिकायतें थीं.
मैंने खुद मुख्यमंत्री को इसे लेकर पत्र लिखा लेकिन पता नहीं वह चीजें कहां चली जाती हैं. खुद को कोई पद नहीं दिए जाने पर वाजिब अली ने व्यंग कसते हुए कहा कि पद देने वालों की भी नजरें बहुत बड़ी होती हैं. उन्हें पार्टी में संतुलन बनाना पड़ता है, जो उन्हें योग्य लगे उनको एडजस्ट कर दिया गया. हम तो जनता के ट्रस्टी हैं. जनता के लिए काम कर रहे हैं. यही हमारा कर्तव्य है.
उल्लेखनीय है कि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक वाजिब अली को लेकर कहा जा रहा है कि सरकार को समर्थन देने के बावजूद उन्हें कोई पद नहीं मिला. इसलिए वह नाराज है. अफसरशाही पर वाजिब अली लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. आज एक बार फिर उन्होंने कहा कि अफसरशाही में कमजोरी के चलते सरकार जनता तक जो जन कल्याणकारी योजनाएं पहुंचाना चाहती है, वह सही से नहीं पहुंचा पा रही है. भरतपुर के नगर से विधायक वाजिब अली ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो बाडे़बंदी में चले जाएंगे. लेकिन वोट तो 10 तारीख को डालना है. वह कहीं से भी डाल देंगे. उसमें तो कोई दिक्कत नहीं. उधर, ईडी के नोटिस को लेकर वाजिब अली ने कहा कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है. उनका तो व्यापार ही ऑस्ट्रेलिया में है फिर भी अगर कोई एजेंसी मुझसे कोई बात पूछेगी तो मैं सम्मान के साथ उन्हें पूरी जानकारी दूंगा.