Thursday, December 26, 2024
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योगी सरकार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का करेगी सर्वेक्षण

 

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करेगी ताकि शिक्षकों की संख्या, पाठ्यक्रम और वहां उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानकारी जुटाई जा सके.

अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार मदरसों में छात्रों को बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता के संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की आवश्यकता के अनुसार सर्वेक्षण करेगी.

अंसारी ने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान मदरसे का नाम और इसे संचालित करने वाली संस्था का नाम, चाहे वह निजी या किराए के भवन में चल रहा हो, वहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या और पेयजल, शौचालय, फर्नीचर और बिजली आपूर्ति की सुविधाओं के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी.

मदरसे में शिक्षकों की संख्या, उसके पाठ्यक्रम, आय के स्रोत और किसी गैर-सरकारी संगठन से उसके जुड़ाव के बारे में भी जानकारी एकत्र की जाएगी. यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य सरकार इस सर्वेक्षण के बाद नए मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू करेगी, मंत्री ने कहा कि वर्तमान में सरकार का उद्देश्य केवल गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के बारे में जानकारी एकत्र करना है.

उल्लेखनीय है कि इस समय उत्तर प्रदेश में कुल 16,461 मदरसे हैं, जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान दिया जाता है. प्रदेश में पिछले छह साल से नए मदरसों को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया गया है. मंत्री ने कहा कि बुधवार को जारी आदेश के अनुसार मदरसों में विवादित प्रबंधन समिति या समिति के किसी सदस्य की अनुपस्थिति की स्थिति में मदरसा प्राचार्य एवं जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मृतक आश्रित कोटे से नियुक्तियां कर सकेंगे.

पहले यदि प्रबंध समिति में कोई समस्या आती थी तो मृतक के आश्रित को नौकरी पाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता था.

अंसारी ने कहा कि सहायता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के आवेदन के आधार पर अब संबंधित मदरसों के प्रबंधकों की सहमति और राज्य मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार की मंजूरी से उनका तबादला किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मदरसों में कार्यरत महिला कर्मचारियों को भी मैटरनिटी लीव और चाइल्ड केयर लीव नियमानुसार मिलेगी.

इस बीच, शिक्षक संघ मदारिस अरबिया के महासचिव दीवान साहब जमां ने राज्य सरकार के इन फैसलों का स्वागत किया है, और कहा कि इससे मदरसा शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को लाभ होगा.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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