Monday, December 23, 2024
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यूपी में बाबा बुलडोज़र पर होगी आज सुप्रीम सुनवाई 

यूपी में बाबा बुलडोज़र पर होगी आज सुप्रीम सुनवाई

 

यूपी में बाबा बुलडोजर पर आज सुप्रीम सुनवाई होनी है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बुलडोज़र एक्शन के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर ये सुनवाई हो रही है. जमीयत की मांग है कि बुलडोज़र की कार्रवाई को रोका जाए. इसके अलावा अवैध रूप से घरों में तोड़फोड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच जमीयत की याचिका पर सुनवाई करेगी.

दरअसल, प्रयागराज में पुलिस ने 10 जून को हुई हिंसा का मास्टरमाइंड जावेद मोहम्मद नाम के शख्स को बताया था. इसके बाद प्रयागराज विकास प्राधिकरण यानी पीडीए के अफसरों ने जावेद के मकान को अवैध बताते हुए ढहा दिया था. जमीयत का आरोप है कि अफसरों ने बिना कानूनी प्रक्रिया के मनमाने ढंग से जावेद का घर ढहाया है.

याचिका में लिखा गया है कि जिस मकान को पीडीए ने ढहाया है उसका मालिक जावेद नहीं, बल्कि उसकी पत्नी परवीन फातिमा है. यह घर परवीन को शादी से पहले उनके माता-पिता ने गिफ्ट किया था. चूंकि जावेद का उस मकान पर कोई स्वामित्व नहीं है, इसलिए उस मकान को गिराए जाना कानून के मूल सिद्धांत के खिलाफ है.

पीडीए ने दावा किया था कि इमारत का निर्माण अवैध रूप से किया गया था. मई में नोटिस जारी होने के बाद भी जावेद सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुआ था. हालांकि, उनके वकीलों ने कहा था कि परिवार को केवल शनिवार की देर रात (मकान गिराए जाने से पहले की रात) को नोटिस की एक कॉपी मिली थी.

यूपी में जुमे की नमाज़ के बाद हिंसा और उसके बाद हुई कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 3 जज समेत 12 लोगों ने बीते मंगलवार को चीफ जस्टिस को लेटर लिखा था. इसमें यूपी में प्रदर्शनकारियों को अवैध रूप से हिरासत में लेने, घरों पर बुलडोज़र चलाने और पुलिस हिरासत में कथित मारपीट की घटनाओं का सुओ मोटो यानी स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है.

पत्र में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का मौका नहीं दिया गया. इसकी बजाय उत्तर प्रदेश के राज्य प्रशासन ने ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करने की मंजूरी दी है. पत्र में यह कहा गया है कि यूपी पुलिस ने 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और विरोध करने वाले नागरिकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें यह देखा गया है कि पुलिस हिरासत में युवकों को लाठियों से पीटा जा रहा है. प्रदर्शनकारियों के घरों को बिना सूचना के बुलडोज़र से तोड़ा जा रहा है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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