मशहूर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना कलीम सिद्दीकी को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिल गई है. हाईकोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस सरोज यादव और जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने मौलाना कलीम सिद्दीक़ी की याचिका पर सुनवाई के बाद जमानत देने का फैसला किया.
दरअसल मौलाना कलीम सिद्दीकी ग्लोबल पीस सेंटर के अध्यक्ष रहे हैं. विदेशों से मिली धनराशि से कई मदरसों की फंडिंग का भी यूपी एटीएस ने उनपर झूठे आरोप लगाए हैं. मौलाना कलीम सिद्दीकी पर आरोप है कि वह शैक्षणिक, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं क आड़ में जबरन धर्मांतरण कराने का काम देशव्यापी स्तर पर कर रहे थे. आरोप है कि उन्हें इसके लिए उन्हें विदेशों से भारी मात्रा में फंडिंग की जा रही थी.
बता दें कि मौलाना कलीम सिद्दीक़ी धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत करीब डेढ़ साल से जेल में बंद थे. उन्हें 21 सितंबर 2021 को उत्तर प्रदेश के इंटी टेररिस्ट स्क्वाड ने गिरफ्तार किया था. आरोप है कि मौलाना कलीम सिद्धीकी की ट्रस्ट को बहरीन से डेढ़ करोड़ और विदेशी फंडिंग से 3 करोड रुपए मिले थे. मौलाना कलीम सिद्दीक़ी की तरफ से अदालत में वकील एस एम रहमान फैज, ब्रिज मोहन सहाय और जियाउल कय्यूम जिलानी ने पैरवी की.