Friday, November 22, 2024
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ब्राजील का लोकतंत्र शर्मसार, पूर्व और मौजूदा राष्ट्रपति में भिड़ंत 

 

अखिलेश अखिल

जब राजनीति उदंडता की सीमा पर उतर आये तो लोकतंत्र बदनाम होगा ही. ब्राजील में पिछले दो महीने से चल रहे राजनीतिक उठापटक की पराकाष्ठा रविवार को तब सामने आयी जब चुनाव हार चुके पूर्व राष्ट्रपति के समर्थकों ने लोकतंत्र को ही बंधक बनाने का खेल शुरू किया और संसद, राष्ट्रपति भवन से लेकर अदालत को भी अपने कब्जे में लेने का खेल किया. जो जानकारी मिल रही है और जो तस्वीरें सामने आ रही है वह बेचैन करने वाली है. ब्राजील में पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के हजारों समर्थक पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन में घुस गए और भारी तोड़फोड़ भी की. पुलिस ने हंगामा करने वाले 400 लोगों को गिरफ्तार किया है. खबर के मुताबिक करीब दर्जन भर से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं. यह बात और है कि सरकारी इमारतों में घुसे उपद्रवियों को बहार निकाल दिया गया है, लेकिन सरकार इसे एक हमला मान रही है. ब्राजील की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने इसे फासीवादी हमला बताया है. सिल्वा पिछले हफ्ते ही राष्ट्रपति बने हैं.

 

ब्राजील की ये घटना राजनीतिक द्वन्द की कहानी है. लोकतंत्र में चुनावी हार जीत तो होते ही रहती है, लेकिन जब राजनीति दुश्मनी में बदल जाती है तो लोकतंत्र तार -तार हो जाता है. ब्राजील की ये घटना तानाशाही राजनीति का एक उदाहरण है जो नए राष्ट्रपति की शपथ के एक हफ्ते बाद हिंसा में बदल गई है.

बता दें कि ब्राजील में अक्टूबर में प्रेसिडेंट इलेक्शन हुए थे. इन चुनावों में बोल्सोनारो हार गए थे और लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा की जीत हुई. पिछले हफ्ते 1 जनवरी को सिल्वा ने शपथ ली. इसके बाद ही बोल्सोनारो समर्थकों ने सरकारी इमारतों पर हमला बोल दिया. बोल्सोनारो के समर्थकों ने सिल्वा को राष्ट्रपति मानने से इनकार कर दिया है. प्रदर्शनकारी तभी से राजधानी ब्रासीलिया में बड़ी संख्या में डेरा डाले हुए हैं. इसके चलते संसद में अब तक एक भी सत्र नहीं चल पाया है.

बता दें कि ब्राजील की प्रमुख सरकारी इमारतों में जिस तरह से हिंसा हुई है, वैसी ही हिंसा 2 साल पहले 6 जनवरी 2021 को अमेरिका में भी हुई थी. तब चुनाव हार चुके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थक कैपिटल हिल यानी अमेरिकी संसद में दाखिल हुए थे. उन्होंने हिंसा की थी. इस घटना की जांच कर रही कमेटी ने हिंसा के लिए पूरी तरह से ट्रम्प को जिम्मेदार ठहराया था.

यह बात और है कि ब्राजील में फौरी तौर पर सरकारी भवनों से उपद्रवियों को निकल दिया गया है, और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. लेकिन राजधानी की सड़के अभी भी प्रदर्शनकारियों से भरी हुई है. पूर्व राष्ट्रपति के समर्थक भरी संख्या में मौजूद हैं और कहते फिर रहे हैं कि अभी प्रदर्शन थमेगा नहीं. हम सिल्वा को राष्ट्रपति नहीं मानेंगे. उधर सरकार ने कहा- लोकतंत्र तबाह नहीं होने देंगे. और अपराधियों से अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाएगा.

राष्ट्रपति सिल्वा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ब्रासीलिया में हुई हिंसा को असभ्य बताया. उन्होंने कहा- सिक्योरिटी में चूक हुई, तभी बोल्सोनारो के समर्थक संसद के अंदर घुस पाए. ये लोग वह सब कुछ हैं जो राजनीति को भद्दा बनाता है. हिंसा में शामिल सभी लोगों को सजा जरूर मिलेगी.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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