अंज़रुल बारी
लोकसभा चुनाव 2024 में तीसरी बार जीत हासिल करने के लिए बीजेपी ने स्ट्रैटजी बनानी शुरू कर दी है. दो दिन पहले देर रात पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर कुछ चुनिंदा कैबिनेट मंत्रियों, पार्टी के प्रभारियों और सांसदों की एक मीटिंग हुई, इसमें कई निर्णय लिए गए. सूत्रों की मानें तो अब हरेक सांसदों के जिम्मे 100 बूथ और विधायकों के जिम्मे 25 ऐसे बूथ होंगे, जहां पार्टी कमजोर है. इसके साथ ही टिकट वितरण समेत कई फैसले किए गए.
पार्टी के उच्चस्तर पर इस बात को लेकर सहमति बनी है कि ऐसे मौजूदा सांसद जिनका जन्म 1955 के बाद हुआ है, उन्हें ही 2024 में लोकसभा का टिकट दिया जाएगा. इससे पहले जन्मे नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा. यानी 70 प्लस के नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा. केवल एक-दो अपवादों में ही इस नियम से छूट मिलेगी. यह नियम लागू हुआ तो बीजेपी के मौजूदा 301 सांसदों में से 81 को टिकट नहीं मिलेगा.
पिछले लोकसभा चुनाव से ही बीजेपी 70 साल से अधिक के नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न करने के नियम का पालन कर रही है. पार्टी का मानना है कि नए लोगों को तभी मौका मिलेगा जब पुराने कार्यकर्ता, नए लोगों को रास्ता देंगे. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, यह टिकट काटना नहीं बल्कि अपने से कम उम्र के कार्यकर्ताओं को सौंपने जैसा है.
17वीं लोकसभा में बीजेपी के लगभग 25% सांसद 2024 के चुनाव तक 70 से अधिक उम्र के हो जाएंगे. 1956 से पहले जन्मे मौजूदा सांसदों में सबसे अधिक यूपी से 12, गुजरात से 10, कर्नाटक से 9, महाराष्ट्र से 5, झारखंड से 2, बिहार से 6, मध्य प्रदेश से 5 और राजस्थान से 5 हैं.
अगर यह फॉर्मूला लागू हुआ, तो बीजेपी के कई दिग्गज नेता 2024 के बाद लोकसभा में नहीं दिखेंगे. जो नेता इस फार्मूले के तहत प्रभावित होने वाले हैं उनमे प्रमुख नाम है हेमा मालिनी (मथुरा), सदानंद गौड़ा (बेंगलूरु), राव साहेब दानवे (जालना), वीके सिंह (गाजियाबाद), अश्विनी चौबे (बक्सर), एसएस, अहलूवालिया (वर्धमान), रीता बहुगुणा जोशी (इलाहाबाद), रतनलाल कटारिया (अंबाला), किरण खेर (चंडीगढ़), अर्जुनराम मेघवाल (बीकानेर), श्रीपद नायक (गोवा), सीआर पाटिल (नवसारी), रविशंकर प्रसाद (पटना साहिब), राव इंद्रजीत सिंह (गुड़गांव), गिरिराज सिंह (बेगूसराय), राधामोहन सिंह (पूर्वी चंपारण), आरके सिंह (आरा), और सत्यपाल सिंह (बागपत) जो इस फॉर्मूले की जद में आ जाएंगे.
बीजेपी ने देशभर में 74 हजार कमजोर बूथों का चयन किया है, जहां संगठन पूरी तरह कमजोर है. इन बूथों को मजबूत करने की जिम्मेदारी विधायक और सांसदों को दी गई है. यहां पर विधायक और सांसद लोकल इन्फ्लूएंसर, संघ के स्थानीय प्रचारक के साथ कॉर्डिनेट कर बूथ मजबूत करने का काम करेंगे.