अंज़रुल बारी
बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल द्वारा पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के बारे में की गई अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी के ख़िलाफ़ देश और दुनिया में जबरदस्त विरोध हो रहा है. शुक्रवार को जुमा की नमाज के बाद देश के अलग अलग हिस्सों में मुसलमानों ने जमकर विरोध और प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि सरकार आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करे. हालांकि कुछ इलाकों में ये प्रदर्शन हिंसक रूप अख्तियार कर गया. इस दौरान कई शहरों में हुए विरोध प्रदर्शनों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई को लेकर सवाल उठने लगे है. देश में मुस्लिम छात्रों की सबसे बड़ी संस्था स्टूडेंट इस्लामिक आर्गनाइजेशन ने एक बयान जारी कर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई पर हैरत जताते हुए कहा कि हम इस कार्रवाई से स्तब्ध हैं. विशेष रूप से रांची और इलाहाबाद में पुलिस की बर्बरता के परिणाम स्वरूप दर्जनों लोगों को गंभीर चोटें आई हैं और राँची में दो मौतें हुई हैं. विभिन्न राज्य सरकारों की पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज और प्रदर्शनकारियों पर बेरहमी से गोलियां चलाने की घटना अत्यंत चिंताजनक है. इन घटनाओं ने एक बार फिर राज्य की संस्थाओं में मौजूद इस्लामोफ़ोबिया, सांप्रदायिकता और क्रूरता को उजागर किया है.
संस्था की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि एक तरफ वो लोग हैं जो पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) के ख़िलाफ़ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें राज्य और पुलिस द्वारा सुरक्षा प्रदान की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ़ देश भर के सैकड़ों मुसलमानों पर अनगिनत मुकदमे दर्ज किये गये हैं और उन्हें झूठे आरोपों में गिरफ़्तार किया गया है. कथित हिंसा के आरोपियों के घरों को बिना उचित क़ानूनी प्रक्रिया के तोड़ा जा रहा है. पुलिस जिस तरह से काम कर रही है, उसमें क़ानून का शासन और निष्पक्षता की झलक दिखाई नहीं देती है.
एसआईओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान अहमद की तरफ से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में देर रात सामाजिक कार्यकर्ता जावेद मुहम्मद की ग़ैर-क़ानूनी ढंग से की गई गिरफ़्तारी और उनके परिवार के सदस्यों, महिलाओं और बच्चों के उत्पीड़न से हम विशेष रूप से स्तब्ध हैं. हमारा मानना है कि उन पर लगे आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं. यह राज्य द्वारा योजनाबद्ध घटनाओं का फ़ायदा उठाने के लिए और सामाजिक कार्यकर्ताओं, सवाल पूछने वाले लोगों पर शिकंजा कसने की पूर्व में आज़माई और परखी हुई रणनीति का हिस्सा है. बयान में कहा गया है कि हमने इसे दिल्ली में देखा, हमने इसे सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान देखा, और हम इसे लगातार देख रहे हैं.
सलमान अहमद ने कहा कि यह पूरी तरह स्पष्ट है कि हिंदुत्ववादी ताक़तें जानबूझ कर मुसलमानों को भड़काने और देश में अशांति फैलाने की कोशिश कर रही हैं. सरकार की निष्क्रियता से उत्साहित और बिकाऊ मीडिया की सहायता से वे भारत की बड़ी मुस्लिम आबादी और उनकी धार्मिक भावनाओं व प्रतीकों को बदनाम करने के लिए अभद्र भाषा और गाली-गलौज का इस्तेमाल कर रहे हैं.
अपने बयान में उन्होंने कहा कि जहां हमें देश में अल्पसंख्यकों के जीवन, सम्मान की रक्षा करनी चाहिए और नफ़रत के प्रचार तंत्र से लड़ना चाहिए, वहीं हमें उकसाने के इन प्रयासों से भी स्वयं को अलग करना चाहिए. प्रतिरोध के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है. हमें स्थिर और शांतिपूर्ण रहना चाहिए. हमारे विरोध प्रदर्शनों में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. हम फ़ासीवादियों को समाज का ध्रुवीकरण करने और मुस्लिम समुदाय को चोट पहुँचाने के अपने उद्देश्य में सफ़ल नहीं होने देंगे.