उच्चतम न्यायालय ने पैगंबर मुहम्मद साहब के अपमान को लेकर गुरुवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी राज्य सरकारों को निर्देश जारी किया है. अदालत ने अपने निर्देश में राज्य सरकारों से कहा है कि वह इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक अपनी कार्रवाई से सम्बंधित रिपोर्ट तीन हफ्ते के अंदर कोर्ट में दाखिल करें.
समाचार एजेंसी “दि रिपोर्ट न्यूज़” के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने जीमयत उलेमा-ए-हिंद समेत केस से जुड़े अन्य याचिकाकर्ताओं को भी आदेश दिया कि वह भी पैगंबर मुहम्मद साहब के खिलाफ नफ़रत और अपमानित करने वाली सभी चीजों और घटनाओं को प्रदर्शित करने वाला चार्ट तैयार करें और एक सप्ताह के भीतर अपने अपने राज्य के अधिकारियों को सौंप दें. ताकि वो अदालत को बता सकें की इस संबंध में किया कार्रवाई की गई है. इसके बाद एक हफ्ते के अंदर नोटिस का जवाब दाखिल किया जाए. इस मामले में अदालत ने अगली सुनवाई के लिए छह सप्ताह के बाद का समय निर्धारित किया है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सितंबर 2021 में त्रिपुरा में सामूहिक रूप से इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद साहब का अपमान किए जाने के बाद अदालत में दस्तक दी थी. और यह अपील की थी कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी नहीं किया गया, तो देश में ऐसी घटनाओं को बार बार दोहराया जाएगा. जो न सिर्फ तकलीफ पहुंचाने वाला होगा, बल्कि देश के लिए कठिन परिस्थितियां पैदा करने का सबब बनेगा. अर्जी में कहा गया था कि आज देश में जो भी परिस्थितियां हैं, वह जमीयत उलेमा-ए-हिंद की पहले से दी गई चेतावनी को अनदेखा किए जाने का नतीजा हैं और इसके लिए सरकारों का ऐक्शन ना लिया जाना भी जिम्मेदार है.