Sunday, December 22, 2024
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पड़ोसी मुल्कों से आए अल्पसंख्यकों को केंद्र सरकार गुजरात में देने जा रही है नागरिकता

पीटीआई के मुताबिक केंद्र सरकार ने सोमवार को एक बार फिर अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले और वर्तमान में गुजरात के दो जिलों में रह रहे हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है. यह नागरिकता उन्हें नागरिकता कानून, 1955 के तहत दी जाएगी. विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) के बजाय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता देने का यह कदम महत्वपूर्ण है.

विवादों में रहा नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) में भी अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. चूंकि इस अधिनियम के तहत नियम अब तक सरकार द्वारा नहीं बनाए गए हैं, इसलिए इसके तहत अब तक किसी को नागरिकता नहीं दी जा सकी है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी की गई एक अधिसूचना के माध्यम से यह जानकारी सामने आई है. इस अधिसूचना के अनुसार, गुजरात के आणंद और मेहसाणा जिलों में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5, धारा 6 के तहत नागरिकता दी जाएगी. उन्हें नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण की अनुमति मिलेगी या उन्हें देश के नागरिक का प्रमाण पत्र दिया जाएगा.

अधिसूचना में कहा गया है कि गुजरात के दो जिलों में रहने वाले ऐसे लोगों को अपने आवेदन ऑनलाइन जमा करने होंगे, जिनका सत्यापन जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा किया जाएगा. आवेदन और उस पर रिपोर्ट एक साथ केंद्र सरकार के लिए ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी. कलेक्टर जरूरी समझने पर आवेदक के नागरिकता पाने के लिए उपयुक्त होने को लेकर किसी भी तरह की जांच कर सकते हैं. इसके लिए कलेक्टर को ऑनलाइन ही संबंधित जांच एजेंसी को आवेदन भेजता है तो ऐसे में एजेंसी के लिए उसका सत्यापन करना और अपनी टिप्पणी के साथ जांच पूरी करना आवश्यक हो जाता है.

अधिसूचना में कहा गया है कि प्रक्रिया को पूरा करने के बाद कलेक्टर, आवेदक की उपयुक्तता से संतुष्ट होकर, उसे पंजीकरण या नागरिक बनाकर भारत की नागरिकता प्रदान करता है. इसके साथ ही मामले के अनुसार, पंजीकरण या नागरिक बनाए जाने का प्रमाण पत्र जारी करता है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सताए गए और 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए गैर-मुस्लिमों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय राष्ट्रीयता देना चाहती है.

दिसंबर 2019 में संसद से सीएए पारित होने और उसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. इन विरोध प्रदर्शन के दौरान सौ से अधिक लोगों की जान चली गई थी. हालांकि, सीएए अभी तक लागू नहीं किया गया है. क्योंकि इसके तहत नियम बनाए जाने अभी बाकी हैं.

संसदीय कार्य की नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के लिए नियम राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए या लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों से विस्तार की मांग की जानी चाहिए.

जनवरी 2020 में गृह मंत्रालय ने अधिसूचित किया था कि यह अधिनियम 10 जनवरी, 2020 से लागू होगा. लेकिन बाद में राज्यसभा और लोकसभा में संसदीय समितियों से नियमों को लागू करने के लिए कुछ और समय देने का अनुरोध किया था, क्योंकि देश कोविड महामारी के कारण अपने सबसे खराब स्वास्थ्य संकट से गुजर रहा था और इसका विरोध भी किया जा रहा था.

पिछले पखवाड़े में केंद्रीय गृह मंत्रालय को सीएए के नियमों को तैयार करने के लिए राज्यसभा और लोकसभा में अधीनस्थ विधान पर संसदीय समितियों को एक और विस्तार दिया गया था. राज्यसभा से जहां 31 दिसंबर, 2022 तक अनुमति दी गई है, जबकि लोकसभा को 9 जनवरी, 2023 तक का समय दिया गया है. सीएए के तहत नियम बनाने के लिए गृह मंत्रालय को दिया गया यह सातवां विस्तार था.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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