Sunday, December 22, 2024
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न्यूज़ चैनल्स ‘हेट स्पीच’ की सबसे बड़ी वजह, सुप्रीम कोर्ट ने खबरिया चैनलों के एंकर्स को लगाई लताड़

 

भारत में दिन-ब-दिन बढ़ रही नफरत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने टीवी न्यूज़ चैनल की जमकर फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनलों पर होने वाली डिबेट और शो के एंकर्स को हेट स्पीच की बड़ी वजह करार दिया है.

अदालत ने टीवी चैनलों पर होने वाली बहस और उसके कंटेंट पर अपनी सख्त नाराज़गी का इज़हार किया है. अदालत ने कहा कि टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान ऐंकर की बड़ी जिम्मेदारी होती है. डिबेट के दौरान उसे हेट स्पीच रोकनी चाहिए. कोर्ट ने केंद्र की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना और उसपर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘सरकार मूकदर्शन बन कर ये सब देख रही है’ और इस मामले को ‘बहुत छोटा’ आंक रही है.

 

पिछले साल फाइल की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, मुख्यधारा की मीडिया और सोशल मीडिया पर दिए जाने वाले भाषणों पर कोई नियंत्रण नहीं है. ऐसे में ऐंकर की जिम्मेदारी है कि वह हेट स्पीच को रोके.

 

जस्टिस जोसेफ ने कहा, प्रेस की स्वतंत्रता जरूरी है लेकिन हमें पता रहना चाहिए कि सीमा रेखा कहां है. उन्होंने कहा, हेट स्पीच कई तरह की हो सकती है. यह वैसे ही है जैसे कि किसी की हत्या कर दी जाए या फिर उसे धीरे-धीरे मारा जाए. उन्होंने कहा कि सरकार को कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं करनी चाहिए लेकिन कम से कम इस मामले में कोर्ट का सहयोग करना चाहिए.

 

जस्टिस केएम जोसफ़ और जस्टिस ऋषिकेश राय की बेंच ने टीवी डिबेट को रेगुलेट करने और ऐसे एंकर्स को लेकर दिशानिर्देश तैयार करने की भी मंशा ज़ाहिर की और केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह इस मामले पर कोई क़ानून लेकर आना चाहती है?

 

मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी. कोर्ट ने हेट स्पीच रोकने के लिए लॉ कमीशन की सिफारिशों पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. साल 2017 में लॉ कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में हेट स्पीच को रोकने को लेकर रिपोर्ट दी थी. इसमें कहा गया था, ‘भारत के किसी भी कानून में हेट स्पीच को पारिभाषित नहीं किया गया है. हालांकि अभिव्यक्ति कि आजादी से अलग कुछ एक भाषणों पर रोक लगाई गई है. आईपीसी की धारा 153सी, 505ए में भी भड़काऊ भाषण के खिलाफ रोक लगाने की बात है.’

 

बता दें कि टीवी पर शाम को होने वाली बहस अकसर सोशल मीडिया पर वायरल होती है. इसमें कई ऐसी क्लिप भी होती हैं जो कि हेट स्पीच से जुड़ी होती हैं. इस महीने की शुरुआत में गूगल और मेटा ने भी अपने प्लैटफॉर्म्स से ऐसे कॉन्टेंट को हटाने का भरोसा जताया था.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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