अंज़रुल बारी
गुर्जर आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे कर्नल किरोड़ी बैंसला का निधन हो गया है. किरोड़ी बैसला लंबे समय से बीमार चल रहे थे. तबीयत बिगड़ने पर किरोड़ी सिंह को जयपुर स्थित आवास से मणिपाल हॉस्पिटल ले जाया गया था. जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ था. गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोड़ी सिंह का सफर शुरुआत में शिक्षक के तौर पर हुआ. लेकिन फौजी पिता के कारण उनका रुझान फौज की तरफ चला गया. उन्होंने सेना ज्वाइन कर सिपाही के रूप में राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट में भर्ती हो गए. सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बैंसला शरीक रहे.
किरोड़ी सिंह बैंसला एक पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे हैं. उन्हें दो उपनामों से भी उनके साथी पुकारते थे. सीनियर्स उन्हें ‘जिब्राल्टर का चट्टान’ और साथी कमांडो ‘इंडियन रेम्बो’ कह कर बुलाते थे.
सेना से रिटाटर होने के बाद किरोड़ी सिंह राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की. आंदोलन के दौरा कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया. आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे. उनके आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है. किरोड़ी सिंह कई बार कह चुके है. कि उनके जीवन को मुगल शासक बाबर और अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, दो लोगों ने प्रभावित किया है. उनका कहना है कि राजस्थान के ही मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है और इससे उन्हें सरकारी नौकरी में खासा प्रतिनिधित्व मिला. लेकिन गुर्जरों के साथ ऐसा नहीं हुआ. गुर्जरों को भी उनका हक मिलना चाहिए.